झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन एक अवैध खनन मामले के आरोप में ED की रडार पर हैं. मामला सूबे के साहेबगंज ज़िले में 1000 करोड़ के घोटाले से जुड़ा है. 8 जुलाई को ED ने हेमंत सोरेन के करीबी पंकज मिश्रा के घर पर छापेमारी की थी. एजेंसी को यहां से हेमंत सोरेन की बैंक पासबुक, साइन किए हुए दो चेक और चेक बुक मिली थी. सितंबर महीने में चार्जशीट दाखिल करते हुए ED ने बताया था कि जांच में उसे अवैध खनन में एक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की हेराफेरी होने के सबूत मिले हैं. इस मामले में पंकज मिश्रा के साथ-साथ बच्चू यादव और प्रेम प्रकाश को भी ED ने गिरफ्तार किया था. इसके बाद एजेंसी ने पूछताछ के लिए 3 नवंबर को ED ने हेमंत सोरेन को तलब किया था. लेकिन हेमंत सोरेन ने अपने व्यस्त कार्यक्रम का हवाला देते हुए समय की मांग की थी. जिसके बाद ED ने दूसरी बार समन भेजकर उन्हें आज बुलाया. पूछताछ के लिए जाने से पहले सोरेन के समर्थन में पूरे प्रदेश से झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता रांची पहुंचे. पेशी से पहले सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार को गिराने की साजिश हो रही है और आनेवाले दिनों में उनके कुछ विधायकों के घर रेड होगी. तो हेमंत सोरेन से आज ED किन सवालों पर पूछताछ कर रही है, आगे इस जांच के किस तरफ बढ़ने के आसार लगते हैं और क्या ईडी के पास ऐसे सबूत हैं कि सोरेन की गिरफ्तारी की नौबत भी आए? सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.
यूपीए 2 के आखिरी सालों में सरकार के ख़िलाफ़ एक माहौल बन रहा था. तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी गांधीनगर से दिल्ली आने का प्रयास कर रहे थे. सियासत के फ़लक पर जो मुद्दे छाए हुए थे, उनमें काले धन की ख़ूब चर्चा थी. पीएम बनने के दो साल बाद मोदी ने 8 नवम्बर 2016 को रात आठ बजे नोटबन्दी का ऐलान किया. एक झटके में 500 और 1000 के नोटों को चलन से हटा दिया गया. मोदी सरकार के इस फैसले को काले धन पर चोट कहा गया. तब नोटबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं थीं कि क्या ये औचक फैसला कानून सम्मत था या नहीं? अब जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बीवी नागरत्ना वाली 5 जजों की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है. कल इस कड़ी में केंद्र ने एक हलफनामा दायर किया. जिसमें कहा गया कि डेमोनेटाइजेशन का ये फैसला बहुत ही सोच - समझकर लिया गया था. और इसके लिए 8 महीने पहले से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से सरकार की बातचीत चल रही थी. लेकिन क्या वाक़ई ऐसा था? नोटबंदी के दौरान और उसके बाद भी, आरबीआई की तरफ से जो बयान आए, उनको याद करें तो कंसल्टेशन और एडवांस प्रिपरेशन के लेवल पर क्या सरकार और रिज़र्व बैंक सेम पेज पर दिख रहे थे? नोटबंदी को लेकर जो मक़सद गिनवाए गए थे सरकार की तरफ से, क्या वो पूरे हुए? सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.
आज ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसला आया है, जिसमें कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को सुनवाई के योग्य माना है. दरअसल, हिंदू पक्ष की ओर से एक याचिका दायर की गई थी. जिसमें चार मांगें रखी गई थीं. पहला ये कि मस्जिद के अंदर मिले ढांचे, जिसे हिंदू पक्ष 'शिवलिंग' बता रहा है, उसकी नियमित रूप से पूजा करने की इजाजत दी जाए. दूसरा- मस्जिद परिसर में मुसलमानों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगे. तीसरा-पूरे ज्ञानवापी परिसर को हिंदुओं को सौंपा जाए और चौथा ये कि मंदिर के ऊपर बने विवादित ढांचे को हटाने की इजाज़त दी जाए. इस मामले की सुनवाई बीते 14 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिविजन महेंद्र कुमार पांडे की अदालत ने की थी. जिसमें मुस्लिम पक्ष की तरफ से जोर देकर कहा गया था कि हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए. उस दिन कोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया था. लेकिन आज अपने आदेश में मुस्लिम पक्ष की इस मांग को ख़ारिज कर दिया. इसके पीछे क्या वजह रही और अब जबकि कोर्ट ने हिंदू पक्ष की मांगों वाली याचिका को हियरिंग के लिए एक्सेप्ट कर लिया है तो आगे कोर्ट का रुख़ क्या रहने वाला है? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में भी ज्ञानवापी मामले से जुड़ी जो सुनवाई चल रही है, उसका क्या अपडेट है? सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.
और 'दिन भर' के आख़िर में बात किसी के लिए अनन्य तो कुछ के लिए जघन्य बन चुके कुत्तों की. डॉग लवर्स एन्ड डॉग हेटर्स के बीच हम बंटते जा रहे हैं. और इसकी वजह बन रहा है पालतू या फिर आवारा कुत्तों का किसी को काट लेना. ऐसे में, हर दिन नए-नए आदेश और जुर्माने की बात होने लगी है. जैसे, गुरुग्राम में जिला कंज्यूमर फोरम ने कहा कि अब पालतू कुत्तों को बाहर घुमाते वक्त गले में चेन और मुंह पर कवर बांधना होगा, वरना मालिक पर तगड़ा जुर्माना लगेगा. साथ ही विदेशी नस्ल के 11 कुत्तों पर बैन लग गया है. आज ही ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने लिफ़्ट में एक बच्चे को काट लेने वाले कुत्ते के मालिक पर 10 हज़ार का जुर्माना और इलाज का खर्चा देने का आदेश दिया. कल सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागपुर में अब पब्लिक प्लेसेज़ पर कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक नहीं होगी. क्योंकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने इससे उलट फैसला दिया था. सवाल है कि कुत्ते पालने, उसको बाहर घुमाने, खिलाने और उसके काटने पर एक्शन को लेकर इतना कन्फ्यूजन क्यों है, असल समस्या कहाँ है और क्या रूल के हिसाब से इसमें कोई यूनिफॉर्मिटी हो सकती है?