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ब्रिटेन की धरती पर पहली बार हमले की जांच करेगी NIA, खालिस्तान समर्थक अमृतपाल की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को असम की डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है. वह अजनाला हिंसा का आरोप है. उसके खिलाफ खालिस्तान मूवमेंट को देश में बढ़ाने समेत कई गंभीर आरोप है. मार्च में अमृतपाल पर पुलिस एक्शन के विरोध में लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमला कर दिया गया था. इस मामले की जांच के लिए NIA की टीम लंदन रवाना हो चुकी है.

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खालिस्तान समर्थकों ने 19 मार्च को कर दिया था भारतीय उच्चायोग पर हमला (फाइल फोटो)
खालिस्तान समर्थकों ने 19 मार्च को कर दिया था भारतीय उच्चायोग पर हमला (फाइल फोटो)

लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमले की जांच के लिए सोमवार रात एनआईए की टीम लंदन रवाना हो गई है. सूत्रों के मुताबिक NIA खालिस्तानी लिंक के अहम मोहरों की सूची भी लेकर गई है. NIA की टीम ये लिस्ट स्कॉटलैंड यार्ड(ब्रिटिश एजेंसी) से शेयर कर सकती है.  जानकारी के मुताबिक एनआईए लंदन पहुंच कर कुछ लोगों के बयान दर्ज करेगी. इसके अलावा हाई कमीशन के आसपास सीसीटीवी फुटेज की जांच करेगी. एनआईए की टीम में 3 से 4 सदस्य हैं.

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गिरफ्तार हो चुके पंजाब के खालिस्तान समर्थक संगठन 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख अमृतपाल सिंह पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में 19 मार्च को लंदन में खालिस्तान समर्थकों ने हंगामा किया था. खालिस्तान समर्थकों ने उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन के दौरान भारतीय झंडे को मिशन से उतारकर वहां खालिस्तान का झंडा लगा दिया था. प्रदर्शनकारियों ने उच्चायोग में तोड़फोड़ की थी और भारत विरोधी नारे लगाए थे. हालांकि, बाद में भारतीय अधिकारियों ने वहां पहले से भी ज्यादा बड़ा तिरंगा लहरा दिया था.

एनआईए ने इस घटना को लेकर केस दर्ज कर लिया था. गृह मंत्रालय के आदेश के बाद पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इस मामले में केस दर्ज कर अपनी जांच शुरू की थी. बाद में ये मामला एनआईए को ट्रांसफर हुआ है. इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी किया गया था.

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भारत सरकार ने लिया था एक्शन 

भारत ने उच्चायोग पर हमले और वहां पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था न होने पर सख्त आपत्ति जताई थी. विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश उच्चायोग के सबसे वरिष्ठ राजनयिक को तलब कर अपना विरोध जताया और उच्चायोग में सुरक्षा न होने पर सवाल किया था. भारत ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.

भारत ने इसकी प्रतिक्रिया में नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग और दूतावास के आवास के बाहर सुरक्षा व्यवस्था में कमी कर दी थी. इसके बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने एक बयान में कहा था कि ब्रिटेन भारतीय उच्चायोग में सुरक्षा की समीक्षा कर रहा है.

उन्होंने कहा था कि भारतीय उच्चायोग को निशाना बनाकर की गई हिंसा अस्वीकार्य है और उनकी सरकार भारतीय मिशन में सुरक्षा की समीक्षा के लिए स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर काम कर रही है.

विदेश मंत्री ने दी थी कड़ी प्रतिक्रिया

ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग के परिसर में खालिस्तान समर्थकों द्वारा भारतीय झंडे के अपमान और उच्चायोग में तोड़फोड़ को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सख्त प्रतिक्रिया दी थी.

उन्होंने कहा था कि दूतावास या उच्चायोग के परिसर का सम्मान और राजनयिक को सुरक्षा प्रदान करना देशों का कर्तव्य होता है और ब्रिटेन ने अपने कर्तव्य को नहीं निभाया है.

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ब्रिटिश सरकार ने भी की थी निंदा

- मार्च में घटना के बाद मेयर सादिक खान  ने कहा था कि वह इस हिंसा और तोड़फोड़ की निंदा करते हैं. उन्होंने ट्वीट किया था-‘हमारे शहर में इस तरह के बर्ताव के लिए कोई जगह नहीं है.’

- भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने कहा था कि यह घटना शर्मनाक और पूरी तरह अस्वीकार्य है. लंदन में भारतीय उच्चायोग में जो कुछ हुआ उसको लेकर मैं यहां के गुस्से को समझता हूं. वहां अज्ञात लोगों के एक समूह ने हाई कमीशन को नुकसान पहुंचाया था. अगर हमारे हाई कमीशन के साथ ऐसा होता तो मुझे भी उतना ही गुस्सा आता. भारतीय हाई कमीशन में जो हुआ, वह बिल्कुल ठीक नहीं था. 

23 अप्रैल को अमृतपाल हुआ अरेस्ट

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल पंजाब पुलिस को 35 दिन तक चकमा देता रहा था लेकिन उसे 23 अप्रैल को को अरेस्ट कर लिया गया था. उसे मोगा जिले के रोडे गांव के गुरुद्वारे से गिरफ्तार किया गया था. रोडे खालिस्तानी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले का पैतृग गांव है. गिफ्तार करने के बार अमृतपाल को असम की डिब्रूगढ़ जेल शिफ्ट कर दिया गया है.

 

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