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Ukraine: पोलैंड-हंगरी-रोमानिया में MEA के अधिकारी तैनात, भारतीय छात्रों को निकालने की ऐसी तैयारी

Indian medical students in Ukraine: रूस यूक्रेन वार का आज पांचवां दिन है. भारत से डॉक्टरी की पढ़ाई पढ़ने यूक्रेन गए हजारों छात्राएं और छात्र अभी भी युद्ध क्षेत्र में फंसे हैं. कुछ बच्चे ने बम और गोले से बचने के लिए बंकर में शरण ली है. ऐसे छात्र-छात्राओं ने भारत सरकार से जल्द रेस्क्यू की गुहार लगाई है.

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पोलैंड की सीमा पर फंसे भारत के छात्र (फोटो- आजतक)
पोलैंड की सीमा पर फंसे भारत के छात्र (फोटो- आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राजधानी कीव में फंसे हैं 2000 भारतीय
  • कीव पर कब्जे के लिए चल रही है भीषण जंग
  • हवाई मार्ग के अलावा रेल रूट से निकासी पर चल रही बात

Russia Ukraine news: यूक्रेन में युद्ध के बीच फंसे छात्रों को निकालने के लिए भारत सरकार हवाई रास्ते के अलावा अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रही है. भारत सरकार ने यूक्रेन के पड़ोसी देशों से बात की है और इस विकल्प पर चर्चा कर रही है कि छात्रों को रेल रूट और सड़क मार्ग से भी यूक्रेन से निकाला जाए. केंद्र ने इसके लिए युद्ध स्तर पर कूटनीति शुरू की है. 

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इस मामले में ताजा अपडेट यह है कि भारत अपने 4 सीनियर मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेज रहा है. ये मंत्री भारतीय नागरिकों को निकालने में मदद करेंगे. जिन मंत्रियों को भेजा जा रहा है उनमें हरदीप पुरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरेन रिजिजू और जनरल वीके सिंह का नाम शामिल है.

विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा है कि रेल मार्ग का उपयोग करके हंगरी और स्लोवाकिया की सीमा के पास, उज़होरोड के आसपास के पास फंसे लोगों को निकालने का विकल्प तलाशा जा रहा है. इन्हें रेल रूट के जरिए बुडापेस्ट तक लाया जाएगा. इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 

हर्ष श्रृंगला ने कहा कि भारत ने यूक्रेन से अपने लगभग 2,000 नागरिकों को निकाल लिया है और उनमें से 1,000 को हंगरी और रोमानिया से चार्टर्ड उड़ानों से घर वापस लाया गया है. 

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भारत ने यूक्रेन और रूस से शेयर की स्टूडेंट्स की लोकेशन

भारत अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए रूस और यूक्रेन दोनों देशों से लगातार संपर्क में है. श्रृंगला ने कहा कि उन्होंने रूस और यूक्रेन के राजदूतों से अलग-अलग मुलाकात की और उन्हें यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा पर भारत की गहरी चिंता से अवगत कराया. 

 

रूस और यूक्रेन के साथ बातचीत में भारत ने दोनों देशों के साथ उन स्थानों की जानकारी साझा की है जहां भारतीय छात्र फंसे हैं. हर्ष श्रृंगला ने कहा, "हमने उन स्थानों को साझा किया है जहां भारतीय छात्र और नागरिक अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रित हैं, दोनों राजदूतों ने हमारी चिंताओं पर ध्यान दिया और हमें आश्वासन दिया कि वे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के बारे में फिक्रमंद हैं."

विदेश सचिव ने कहा कि यूक्रेन के साथ-साथ रूसी राजदूत दोनों के साथ मेरी बातचीत आश्वस्त करने वाली थी और मुझे लगता है कि मुझे इस बात का यकीन है कि जब यूक्रेन से हमारे नागरिकों को बाहर निकालने की बात होगी तो हमें उनका पूरा समर्थन मिलेगा.

रेड क्रॉस से संपर्क में भारत

उन्होंने कहा कि भारत ने जिनेवा में रेड क्रॉस यानी आईसीआरसी (International Committee of Red Cross) से भी संपर्क किया है क्योंकि रेड क्रॉस भी  यूक्रेन में अपना अभियान शुरू कर रहा है. 

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Live: जंग के बीच सुलह का रास्ता अपनाएंगे रूस-यूक्रेन? बेलरूस में बातचीत का मंच तैयार

हर्ष श्रृंगला ने कहा कि, "हमने उनसे कहा है कि कृपया सुनिश्चित करें कि जब भी वे अपना ऑपरेशन शुरू करें, उन्हें हमारे नागरिकों की जरूरतों के बारे में पता होना चाहिए और जहां भी संभव हो, उन्हें बाहर ले जाना चाहिए." भारत रेड क्रॉस के साथ भी भारतीय नागरिकों की जानकारी शेयर कर रहा है.

माल्डोवा सीमा पर पहुंच रहे विदेश मंत्रालय के अधिकारी

बता दें कि यूक्रेन में रूस के हमले के बाद वहां फंसे भारतीय छात्र-छात्राएं यूक्रेन के अलग अलग बॉर्डर पर जाकर फंस गए हैं. इनमें से कुछ छात्र-छात्राएं यूक्रेन-मोल्डोवा की सीमा पर भी हैं. इनकी सुरक्षित निकासी के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने माल्डोवा के विदेश मंत्री निकू पोपेस्कु से बात की और भारतीय नागिरकों को निकालने के लिए मदद मांगी. एस जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा है कि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का एक दल आज वहां पहुंच रहा है. 

पोलैंड में Exit point पर इसलिए हुई भीड़

भारत सरकार के अनुसार हालांकि हंगरी और रोमानिया के लिए बॉर्डर क्रॉसिंग से लोगों का निकलना जारी है, लेकिन पोलैंड के एग्जिट प्वाइंट पर एक साथ लाखों लोग पहुंच गए हैं इसलिए वहां जाम की स्थिति है, इस स्थान पर भारत के भी कई नागरिक फंसे हुए हैं. बता दें कि यूक्रेन से निकलने के लिए ये बॉर्डर मुफीद साबित हो रहा है. इसलिए यहां से यूक्रेन के लोग भी निकलना चाहते हैं और यूक्रेन में फंसे दूसरे विदेशी नागरिक भी इसी प्वाइंट से निकलना चाहते हैं. इसलिए इस बॉर्डर पर अफरा-तफरी की स्थिति है. यहां पहुंचे भारतीय छात्र बाहर निकलने की आस में कई घंटों से यहां डेरा डाले हैं. बता दें कि पोलैंड ने कहा है कि वह भारतीय छात्रों को बिना वीजा के ही अपने देश में प्रवेश की अनुमति दे रहा है. 

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विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा, "हमारे बहुत से लोग लंबे समय से वहां हैं और मुझे लगता है कि वे बहुत कठिन स्थिति में हैं. हम उनसे पूरी तरह सहानुभूति रखते हैं और उन्हें वहां से निकलने के लिए क्या ऑप्शन दिया जा सकता है इसके लिए हम चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं."

यूक्रेन के इन शहरों में फंसे हैं भारतीय छात्र

विदेश सचिव ने कहा कि भारत के लिए मुख्य चिंता अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, जो राजधानी कीव सहित उन इलाकों में फंसे हैं जहां भीषण संघर्ष छिड़ा है. कीव में लगभग 2000 भारतीय छात्र-छात्राएं हैं.  इस बीच कीव से कर्फ्यू हटा दिया गया है. यहां फंसे भारतीयों को रेलवे स्टेशन पहुंचने कहा गया है. कीव के अलावा भारतीय नागरिक पूर्वी शहर खारकिव, सुमी और ओडेसा में भी फंसे हुए हैं. 

भारत ने कहा कि यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने वहां फंसे लोगों को सुझाव दिया है कि कीव समेत पूर्वी क्षेत्र में फंसे लोगों को पश्चिमी दिशा की ओर बढ़ते रहना चाहिए चाकि वो वार जोन में न आएं और बॉर्डर एरिया की ओर पहुंचें. 

भारत इससे पहले पश्चिमी यूक्रेन में ल्वीव और चेर्नित्सि शहरों में कैंप स्थापित करने में कामयाब रहा है, ताकि भारतीयों को हंगरी, रोमानिया और पोलैंड में भेजा जा सके. भारत ने अपने अधिकारियों को हंगरी में जाहोनी बॉर्डर पर तैनात कर दिया है. इसके अलावा पौलैंड में Shehyni-Medyka सीमा पर भी भारतीय अफसर ड्यूटी पर हैं. भारत ने स्लोवाक और रोमानिया के जरिए भी सड़क मार्ग से अपने नागरिकों को निकालने की तैयारी कर रहा है. 

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