सीरिया से गहराते संकट के बीच रविवार को स्वदेश लौटे भारतीय नागरिकों ने मीडिया से बातचीत में वहां के हालात पर बात की. चंडीगढ़ के निवासी और मैकेनिकल इंजीनियर सुनील दत्त ने बताया कि "वहां की सड़कों पर कुछ असामाजिक तत्व भी थे, जो लूटपाट कर रहे थे." उन्होंने कहा कि "आग और धमाकों की आवाजों ने स्थिति को और बदतर बना दिया."
भारतीय दूतावास ने इस संकट के समय में अपनी तत्परता दिखाई और लगातार संपर्क में रहकर उन्हें सुरक्षित रखने की सलाह दी. दिल्ली हवाई अड्डे पर सुनील दत्त ने बताया, "हमसे दूतावास ने कहा कि हम शांत रहें और दरवाजे न खोलें."
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गली-गली में लोग भाग रहे थे लोग, हो रहा था लूटपाट
ग्रेटर नोएडा के रहने वाले संचित कपूर ने बताया कि वह सीरिया में लगभग सात महीने से थे. हालात 7 दिसंबर को बहुत खराब हो गए थी और उन्हें दमिश्क शहर ले जाया गया था. उन्होंने कहा, "आग और बमबारी से हम सब पैनिक में थे. गली-गली में लोग भाग रहे थे और कुछ लोग तो लूटपाट में भी शामिल थे."
भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया, "हमने सीरिया से उन सभी भारतीय नागरिकों को निकाल लिया है जो वहां से लौटना चाहते थे. अब तक, 77 भारतीय नागरिकों को सीरिया से सुरक्षित निकाल लिया गया है."
विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारतीय दूतावास के कर्मचारियों ने दमिश्क में भारतीयों को सीमा तक पहुंचाया, जिसके बाद लेबनान में हमारे मिशन ने उनका स्वागत किया और उनकी इमीग्रेशन प्रोसेस का काम पूरा किया. संचित कपूर ने बताया, "हमें लेबनान पहुंचे थे, वहां रहने और खाने की अच्छी व्यवस्था थी.
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तीन दिन दमिश्क में ठहरे थे लोग
रतन लाल, सीरिया में पिछले पांच साल से थे, ने कहा कि हालात गंभीर होने पर उन्हें दमिश्क बुलाया गया और एक होटल में ठहराया गया. वीजा मिलते ही वे आगे की यात्रा के लिए हवाई अड्डे चले गए. गुरुग्राम के चेतन लाल, जो पिछले 10 सालों से सीरिया में नौकरी कर रहे थे, ने भी सहायता के लिए भारतीय और लेबनानी दूतावासों का धन्यवाद किया. उन्होंने बताया कि "तीन दिन हमें दमिश्क में ठहराया गया और फिर वापसी की यात्रा में काफी सहयोग मिला." भारतीय दूतावास सीरिया में अभी भी काम कर रहा है और भारत ने सीरिया में स्थिरता के लिए शांति की अपील की है.