scorecardresearch
 

चीन की घेराबंदी, भारत म्यांमार को देगा सबमरीन, जानें INS Sindhuvir की खासियत

भारत ने म्यांमार को आईएनएस सिंधुवीर सौंपने का फैसला कर लिया है. यह फैसला दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग बढ़ाने और चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के उद्देश्य से किया गया है.

Advertisement
X
INS Sindhuvir
INS Sindhuvir
स्टोरी हाइलाइट्स
  • म्यांमार को सबमरीन देगा भारत
  • INS Sindhuvir को सौंपा जाएगा
  • चीन के खिलाफ मोर्चेबंदी की तैयारी

भारत ने म्यांमार को आईएनएस सिंधुवीर सौंपने का फैसला कर लिया है. यह फैसला दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग बढ़ाने और चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के उद्देश्य से किया गया है. भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से आईएनएस सिंधुवीर को सौंपने का ऐलान विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला और सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की म्यांमार यात्रा के तुरंत बाद किया गया.

Advertisement

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा कि म्यांमार के साथ हमारे अच्छे संबंध है. भारत, म्यांमार नौसेना को पनडुब्बी आईएनएस सिंधुवीर सौंपेगा. हम समझते हैं कि यह म्यांमार नौसेना की पहली पनडुब्बी होगी. यह हमारे सागर विजन का हिस्सा है, जिसका मकसद पड़ोसी देशों को सशक्त बनाना है.

आईएनएस सिंधुवीर को हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा नवीनीकृत किया गया था. इसे साल के शुरू में भारतीय नौसेना ने हिंदुस्तान शिपयार्ड को सौंप दिया गया था. यह भारतीय नौसेना के बेड़े में 10 किलो वर्ग की पनडुब्बियों में से एक है. आईएनएस सिंदूरक्षक 2013 में आग लगने से विस्फोट में नष्ट हो गया था.

3,000 टन के आईएनएस सिंधुवीर को रूस और भारत दोनों ही जगहों पर लगातार हाईटेक बनाया गया है. इस लिहाज से आईएनएस सिंधुवीर नई तकनीक से लैस है और 31 साल बाद भी इसकी उपयोगिता बनी हुई है. हाल ही में विशाखापट्टनम में हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड में इसमें डीजल इलेक्ट्रिक बोट के आधुनिकीकरण पर काम किया गया है.

Advertisement

देखें: आजतक LIVE TV

सूत्रों ने कहा कि भारतीय नौसेना, मित्र देशों के साथ सैन्य सहयोग को बढ़ाने के मकसद से म्यांमार की नौसेना को प्रशिक्षित कर रही है. इससे पहले बांग्लादेश ने चीन से दो पुरानी पनडुब्बियां खरीदी थीं और बीजिंग भी म्यांमार को समान उपलब्ध कराने पर जोर दे रहा था. 

सितवे बंदरगाह में भारत का सहयोग
भारत ने कलादान परिवहन परियोजना के हिस्से के रूप में म्यांमार में सीतवे बंदरगाह का निर्माण भी किया है. पारगमन परियोजना कोलकाता को म्यांमार के सितावे बंदरगाह से जोड़ेगी और अंत में मिजोरम को जोड़ देगी. इससे कोलकाता से मिजरोम की दूरी करीब एक हजार किलोमीटर कम हो जाएगी और चार दिनों की यात्रा का समय बचेगा.

भारत और म्यांमार के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास
भारत और म्यांमार की सेनाओं ने विद्रोही समूहों के खिलाफ संयुक्त अभियान भी चलाया है. दरअसल, अराकान सेना ने मिजोरम सीमा पर अपना बेस बनाया है, जो दोनों देशों की सेनाओं के लिए चिंता की बात है. भारत से मिले इनपुट के आधार पर, म्यांमार की सेना ने सीमा पार नगा विद्रोहियों के ठिकानों को भी निशाना बनाया.

 

Advertisement
Advertisement