scorecardresearch
 

रेलवे के 'कवच' से होगी ट्रेनों की सुरक्षा, आमने-सामने आने पर भी नहीं होगी टक्कर

पूर्वोत्तर रेलवे के अंतर्गत कवच तकनीक सबसे पहले गोरखपुर बाराबंकी मेन लाइन पर लगाने की तैयारी शुरू की जा रही है. इसके लिए रेलवे ने 467 करोड़ का बजट मंजूर किया है. ऐसे में जल्द काम शुरू होने के आसार हैं. आइये इस तकनीक के बारे में विस्तार से जानते हैं, क्या है कवच और ये कैसे काम करता है.

Advertisement
X
Railways
Railways

देश में अन्य रेलवे ज़ोन के मुकाबले पूर्वोत्तर रेलवे विकास की राह में सबसे तेज है. पूर्वोत्तर रेलवे के पास विश्व के सबसे लंबे प्लेटफॉर्म का रिकॉर्ड है. साथ ही रेल मदद पोर्टल से प्राप्त जन परिवेदनाओं के निस्तारण में पूर्वोत्तर रेलवे सबसे कम समय लगाता है. पूर्वोत्तर रेलवे यात्री की सुविधाओं को देखते हुए हमेशा नए प्रबंध करता रहता है. अब यात्रियों की सुरक्षा का ख़्याल करते हुए पूर्वोत्तर रेलवे स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली यानी कवच तकनीक लाने की योजना बना रहा है. हालांकि, पूर्व मध्य रेल इस पर पहले से काम कर रहा है.

Advertisement

यह तकनीक सबसे पहले गोरखपुर बाराबंकी मेन लाइन पर लगाने की तैयारी शुरू की जा रही है. इसके लिए रेलवे ने 467 करोड़ का भारी-भरकम बजट मंजूर किया है. ऐसे में इस पर जल्द काम शुरू हो जाने के आसार हैं. आइये इस तकनीक के बारे में विस्तार से जानते हैं, क्या है कवच और ये कैसे काम करता है.

क्या है कवच?

‘कवच‘ एक टक्कर रोधी तकनीक है. यह प्रौद्योगिकी रेलवे को शून्य दुर्घटनाओं के अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी. इस तकनीक से अगर एक ट्रैक पर दो ट्रेनें आ भी जाएं तो ऐसा दावा है कि एक निश्चित दूरी पर दोनों ही ट्रेन खुद-ब-खुद रुक जाएंगी. दरअसल, इसकी तकनीक इतनी सटीक है कि अगर दो ट्रेनें पूरी रफ्तार में आमने-सामने आ जाएं तो भी टक्कर नहीं होगी. ऐसा दावा है कि लाल सिग्नल पार होते ही ट्रेन में अपने आप ब्रेक लग जाएगा. यही नहीं, इससे अगले 5 किलोमीटर के दायरे में सभी ट्रेन बंद हो जाएंगी. साथ ही साथ पीछे से आने वाली ट्रेन को भी कवच बचा लेगा. गौरतलब है कि पूर्वोत्तर रेलवे के 10 अलग-अलग रूटों के 1440 किलोमीटर ट्रैक पर कवच तकनीक लगाने की योजना है, जिसकी शुरुआत के लिए 7 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है.

Advertisement

कैसे काम करता है रेलवे का कवच?

यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए इसके अलावा लाल सिग्नल पर कवच तकनीक युक्त ट्रेन को फुल स्पीड पर पार करने का परीक्षण किया जाएगा. ऐसा करने पर ट्रेन में सिग्नल के 500 मीटर पहले ही ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएंगे और 5 किलोमीटर के दायरे में सभी चलती हुई ट्रेन खुद ही रुक जाएंगी. कवच तकनीक के जरिए ट्रेन चलाते समय लोको पायलट की सभी हरकतों जैसे ब्रेक, हॉर्न, थ्रोटल हैंडल आदि की मॉनिटरिंग की जाती है. यदि ड्राइवर के द्वारा इनमें से किसी भी प्रकार की चूक होती है तो कवच तकनीक की सहायता से सबसे पहले ऑडियो-वीडियो के माध्यम से अलर्ट किया जाएगा. यदि कोई क्रिया नहीं होती है तो चलती ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएंगे, जिससे किसी भी अनहोनी से बचा जा सकता है. रेलवे का लक्ष्य है कि आगामी 2024 तक कवच तकनीक लगाने का काम पूरा कर लिया जाए. 

क्या कहते हैं मुख्य अधिकारी?

पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि रेलवे सुरक्षा को लेकर संवेदनशील है. यात्रियों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित हो सके, इसके लिए लगातार आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता रहा है. उसी क्रम में कवच जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. यह पूरी तरह से भारत में बनी टेक्नोलॉजी है. पूर्वोत्तर की मेन लाइन में इसको लगाने के लिए पहली बार बजट जारी किया गया है, इसकी शुरुआत के लिए सात करोड़ रुपये मिले हैं. जिससे शुरुआती इक्विपमेंट्स को ख़रीदा जाएगा. इसे सबसे पहले पूर्वोत्तर रेलवे की मेन लाइन पर लगाया जाएगा, जो बाराबंकी से छपरा के बीच की है.

Advertisement


 

Advertisement
Advertisement