इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन कार्यक्रम में देश के सबसे युवा सांसद पुष्पेंद्र सरोज ने शिरकत की. पुष्पेंद्र ने उत्तर प्रदेश की कौशांबी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव जीता है और तब उनकी उम्र सिर्फ 25 साल थी. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान बताया कि युवाओं को राजनीति में क्यों आना चाहिए. साथ ही लोकसभा में अपने फेवरेट सांसदों का भी जिक्र किया.
एक लाख वोट से जीता चुनाव
सपा सांसद पुष्पेंद्र सरोज ने कहा कि लोकसभा में मेरी उम्र से भी ज्यादा अनुभव रखने वाले सांसदों के साथ बैठना मेरे लिए गर्व की बात है और उनसे काफी कुछ सीखने को मिलता है. उन्होंने कहा कि देश की 60 फीसदी से ज्यादा आबादी की उम्र 35 साल से कम है, ऐसे में युवा सांसद के नाते मेरी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. उनके मुद्दे संसद में उठाना और युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रेरित करना जरूरी है. आज के युवा राजनीति को खराब बात मानते हैं जबकि उन्हें खुद राजनीति में आकर इसे बदलने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि मैं एक राजनीतिक परिवार से आता हूं क्योंकि मेरे पिता इंद्रजीत सरोज भी राजनेता हैं. मुझे टिकट मिला और मैं एक लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर आया. लेकिन अब सांसद बनकर अगर जनता के लिए काम नहीं करूंगा तो अगली बार मुझे भी हार मिलेगी. उन्होंने कहा कि भले ही आज की राजनीति धर्म और जाति पर आधारित हो लेकिन युवा अपने मुद्दों पर बात करना चाहता है, यह बदलाव का एक अच्छा संकेत है. अगर किसी को राजनीति में आना है तो पहले किसी विचारधारा या फिर किसी नेता को आदर्श मानना होगा, जिसके दिखाए रास्ते पर आप आगे बढ़ सकते हैं.
बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या
पुष्पेंद्र सरोज ने कहा कि देश में आज युवाओं के सामने बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है और उनका समय रोजी-रोटी की जुगाड़ में ही बीत जाता है. एक वजह यह भी कि युवा राजनीति में नहीं आना चाहते क्योंकि उनके लिए पहले जीवन यापन की जरूरतों को पूरा करना अहम हो जाता है. राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं है, इसलिए युवा परिवार की देखभाल के लिए किसी जॉब या फिर बिजनेस की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं.
नितिन गडकरी के काम से प्रभावित
संसद में किस नेता से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं? इस सवाल के जवाब में सपा सांसद पुष्पेंद्र ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपने काम को लेकर काफी सजग और स्पष्ट हैं. संसद में प्रश्न काल के दौरान में वह विपक्षी सांसदों के हर सवाल का बेबाक अंदाज से जवाब देते हैं और हर कोई उनके बयान से संतुष्ट भी होता है, यही नहीं उनके जवाब के दौरान कोई शोर-शराबा तक नहीं करता. उन्होंने बताया कि गडकरी जी हर सांसद की समस्या को ध्यान से सुनते हैं और जल्द से जल्द उसका समाधान खोजने की कोशिश करते हैं.
इसके अलावा उन्होंने अखिलेश यादव को आदर्श बताते हुए कहा कि मेरे जैसे 25 साल के युवा को लोकसभा का टिकट देना अपने आप में एक साहसी कदम है. उन्होंने मुझ पर भरोसा किया यह बड़ी बात है. पुष्पेंद्र सरोज ने कहा कि सपा मुखिया अखिलेश यादव चाहते हैं कि पढ़े-लिखे युवा संसद पहुंचें, इसी वजह मेरे जैसे अन्य युवा भी सपा की टिकट पर चुनाव जीते हैं.
सोशल मीडिया की ताकत पर बात करते हुए पुष्पेंद्र सरोज ने कहा कि मास मैसेजिंग के लिहाज से यह बहुत बेहतर प्लेटफॉर्म है. लेकिन भारत में अब भी ओल्ड फैशन पॉलिटिक्स ही काम करती है, जहां आपको जनता के बीच जाकर अपना मैसेज देना होता है. देश में जनता से जुड़ाव के बगैर सिर्फ सोशल मीडिया से कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता. इसके लिए आपको जमीन पर उतरना होगा और जनता के बीच जाकर ही अपनी बात कहनी होगी.