घातक हमलावर हेलिकॉप्टर (Attack Helicopter) क्यों चाहिए? असल में जहां फाइटर जेट (Fighter Jet) सटीक हमला नहीं कर सकते, वहां इन हेलिकॉप्टरों की मदद ली जाती है. फाइटर जेट से कम गति में ज्यादा सटीक और घातक हमला करने सक्षम ये होते हैं ये हेलिकॉप्टर. क्योंकि फाइटर जेट ज्यादा गति में उड़ते हैं. उनका उपयोग अलग होता है. अटैक हेलिकॉप्टर सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) जैसे हमले करने में ज्यादा फायदेमंद होते हैं.
भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) वायु सेना दिवस से पहले 3 अक्टूबर को राजस्थान के जोधपुर एयर बेस पर लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (Light Combat Helicopter - LCH) का स्क्वॉड्रन तैनात करने जा रहा है. यानी पूरी की पूरी पश्चिमी सीमा और सुरक्षित हो जाएगी. सीमा उस पार से किसी भी तरह की नापाक हरकत हुई तो ये हेलिकॉप्टर निगरानी के साथ तुरंत करारा मुंहतोड़ जवाब दे देगा. यह हेलिकॉप्टर नहीं, आसमान में उड़ती हुई मौत है.
LCH की जरुरत तब पड़ी थी, जब करगिल युद्ध हो रहा था. तब लगा कि भारतीय सेना के पास एक ऐसा हेलिकॉप्टर होना चाहिए जो अधिक ऊंचाई वाले इलाके में हमला कर सके. दुश्मन की धज्जियां उड़ा सके. लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर इसी काम के लिए बनाया गया. इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने 15 LCH खरीदने के लिए 3,887 करोड़ रुपयों की अनुमति दी थी. जिसमें से 377 करोड़ रुपये इस साल मार्च में जारी किए गए थे. 15 हेलिकॉप्टरों में से 10 वायुसेना और पांच भारतीय सेना को मिलेंगे.
क्या काम करेगा यह अटैक हेलिकॉप्टर?
इसका मुख्य काम होगा कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (Combat Search and Rescue) यानी युद्ध के समय अपने सैनिकों की खोज और उन्हें बचाना. दुश्मन के हवाई डिफेंस को खत्म करना (Destruction of Enemy Air Defence - DEAD). घुसपैठ को रोकना (Counter Insurgency - CI). ड्रोन आदि को मार कर गिराना. इसके अलावा अधिक ऊंचाई पर मौजूद दुश्मन के बंकरों को ध्वस्त करना.
हेलिकॉप्टर की उड़ान क्षमता से डरेगा चीन
लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (Light Combat Helicopter - LCH) को दो पायलट मिलकर उड़ाते हैं. 51.10 फीट लंबे इस हेलिकॉप्टर की ऊंचाई 15.5 फीट है. जब यह पूरे हथियारों और ईंधन के साथ लोड होता है, तब इसका वजन 5800 किलोग्राम हो जाता है. इस पर 700 किलोग्राम तक के हथियार लगाए जा सकते हैं. 550 किलोमीटर रेंज में यह अधिकतम 268 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से उड़ान भर सकता है.
यह लगातार तीन घंटे 10 मिनट की उड़ान भरने में सक्षम है. यह हिमालय के लिए बेहतर इसलिए है क्योंकि यह हेलिकॉप्टर 16,400 फीट की ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकता है. यानी चीन की हालत पस्त करने के लिए इससे बेहतर हेलिकॉप्टर नहीं हो सकता. इस हेलिकॉप्टर का कॉकपिट ग्लास का है. साथ ही फ्रेम कंपोजिट है. भविष्य में इसके वर्जन को और भी ज्यादा अपग्रेड किया जाएगा. इस हेलिकॉप्टर की बॉडी और रोटर ब्लेड यानी पंखे खास धातु से बने हैं. इनपर गोलियों का असर नहीं होता.
कौन से हथियार लग सकते हैं इस हेलिकॉप्टर में
लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (Light Combat Helicopter - LCH) की चोंच यानी कॉकपिट के ठीक आगे नीचे की तरफ 20 मिलिमीटर की एक तोप लगी है. इसके अलावा इसमें चार हार्डप्वाइंट्स हैं. यानी चार एक जैसे या अलग-अलग प्रकार के हथियार लगाए जा सकते हैं. जैसे - चार 12 FZ275 लेजर गाइडेड रॉकेट्स या हवा से हवा में मार करने वाली चार Mistral मिसाइलें, या चार ध्रुवास्त्र (Dhruvastra) एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें. या चार क्लस्टर बम, अनगाइडेड बम, ग्रेनेड लॉन्चर लगाया जा सकता है. या फिर इन सबका मिश्रम सेट किया जा सकता है.
एचएएल 150 LCH बनाकर दे सकता है
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का कहना है कि अगर जरुरत पड़ती है तो वह 150 लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (Light Combat Helicopter - LCH) बनाकर दे सकता है. हर साल दस हेलिकॉप्टर की दर से. इंडियन आर्मी एक जून 2022 को बेंगलुरु में इसका पहला स्क्वॉड्रन तैनात कर चुकी है. इसे अगले साल चीन के पास लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास तैनात कर दिया जाएगा. सेना और 95 हेलिकॉप्टर खरीदना चाहती है. इन हेलिकॉप्टरों को 7 यूनिटों में अलग-अलग पहाड़ी इलाकों में तैनात किया जाएगा. अब तक 9 हेलिकॉप्टर बने हैं.
LCH के आने से क्या बदलाव होगा
लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (Light Combat Helicopter - LCH) के जोधपुर पर तैनात होने के बाद सोवियत संघ के समय के Mi-25 के स्क्वॉड्रन को खत्म किया जा सकता है. Mi-35 हेलिकॉप्टरों का फिर से मेंटेनेंस और आधुनिकीकरण किया जा रहा है. इनका एक स्क्वॉड्रन तो खत्म कर दिया गया है. ताकि उनकी लाइफ बढ़ सके. आमतौर पर एक स्क्वॉड्रन में 17 से 20 हेलिकॉप्टर होते हैं. यानी जहां भी ये हेलिकॉप्टर तैनात होंगे वहां पर दुश्मन हमला करने से पहले कई बार सोचेगा.