scorecardresearch
 

'इंदिरा गांधी के सिर पर पल्लू था, राष्ट्रपति के सिर पर है, क्या ये भी PFI की साजिश?', JDS नेता का सवाल

कर्नाटक के जेडीएस नेता सीएम इब्राहिम ने कहा कि इंदिरा गांधी ने 'पल्लू' रखा, भारत की राष्ट्रपति 'पल्लू' रखती हैं. क्या ये भी PFI की साजिशें हैं? राजस्थान में महिलाओं के हाथों पर 'पल्लू' होता है. क्या हम उन्हें मुसलमान घोषित करते हैं? उन्होंने कहा कि पल्लू भारतीय परंपरा की संस्कृति है.

Advertisement
X
सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर) के सीनियर नेता चंद महल इब्राहिम ने हिजाब विवाद पर राज्य सरकार को घेरा है. सीएम इब्राहिम ने कहा है कि देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सिर पर पल्लू था. वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सिर पर पल्लू है, क्या ये भी PFI की साजिश है? दरअसल राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि हिजाब विवाद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की साजिश है. 

Advertisement

सीएम इब्राहिम ने कहा, "इंदिरा गांधी ने 'पल्लू' रखा, भारत की राष्ट्रपति 'पल्लू' रखती हैं. क्या ये भी PFI की साजिशें हैं? राजस्थान में महिलाओं के हाथों पर 'पल्लू' होता है. क्या हम उन्हें मुसलमान घोषित करते हैं?जेडी (एस) नेता ने कहा, "पल्लू भारतीय परंपरा की संस्कृति है." 

कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच के सामने दावा किया कि 2021 तक स्कूलों में लड़कियां हिजाब नहीं पहनती थीं. 2022 में इसे लेकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने सोशल मीडिया पर मूवमेंट चलाया. सोची समझी साजिश के तहत इसमें बच्चों को शामिल किया गया.  

PFI से प्रेरित हैं प्रदर्शन करने वाली छात्रा: सरकार  

कर्नाटक सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता स्टूडेंट्स पीएफआई से प्रेरित हैं. हाई कोर्ट ने भी सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने में अज्ञात लोगों का हाथ माना था. पुलिस ने भी हाई कोर्ट में इसे लेकर साक्ष्य पेश किए थे. उन्होंने कहा कि 2004 से 2021 तक हिजाब को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि सरकार पीएफआई के खिलाफ चार्जशीट की कॉपी कोर्ट में पेश करेगी.   

Advertisement

'2014 से ड्रेस में आ रही थी छात्राएं' 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि अगर सरकार ने 5 फरवरी की अधिसूचना जारी नहीं की होती तो यह कर्तव्य की अवहेलना होती. तुषार मेहता के मुताबिक, 29 मार्च 2013 को उडुपी के पीयू कॉलेज में प्रस्ताव पास हुआ था कि ड्रेस तय की जाएगी. इसके बाद ड्रेस तय की गई. इसमें हिजाब नहीं था. 2014 में कर्नाटक सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर पीयू कॉलेजों में कॉलेज डेवलेपमेंट कमेटी बनाने का निर्देश दिया. 1 फरवरी 2014 को CDC के लिए सर्कुलर जारी किया गया. 2019 में फिर प्रस्ताव पास हुआ कि ड्रेस जारी रहेगी. याचिकाकर्ताओं ने 2021 में पीयू कॉलेज में एडमिशन लिया और नियमों का पालन करने का संकल्प लिया. 

'2022 में धार्मिक भावनाओं के आधार पर आंदोलन' 

तुषार मेहता के मुताबिक, 2022 में सोशल मीडिया पर पीएफआई के द्वारा हिजाब को लेकर मूवमेंट शुरू किया गया. सोशल मीडिया पर मूवमेंट को लोगों की धार्मिक भावनाओं के आधार पर आंदोलन बनाने के लिए तैयार किया गया था. सोशल मीडिया के जरिए लोगों से हिजाब पहनने को कहा गया. पीएफआई के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था. इसे लेकर चार्जशीट भी दाखिल की गई है. यह कुछ बच्चों का काम नहीं है, जो हिजाब पहनना चाहते हैं. ये सुनियोजित साजिश है. ये स्टूडेंट्स पीएफआई की सलाह के मुताबिक काम कर रहे हैं. 

Advertisement

'ड्रेस का विचार असमानता से बचना' 

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि ड्रेस का विचार स्कूलों में असमानता के विचार से बचना है. कई स्कूलों में असमानता देखी जा सकती है, इसलिए ड्रेस की जरूरत महसूस हुई. इसमें अमीरी या गरीबी नहीं दिखा सकते. दवे ने जवाब दिया कि मैं बिल्कुल सहमत हूं कि हर संस्था को अपनी पहचान पसंद है. सबरीमाला फैसले और हिजाब मामले में हाई कोर्ट के फैसले में अंतर है. 

 

Advertisement
Advertisement