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जब हॉक्स कॉल के बाद इंदिरा गांधी के प्लेन को वापस लौटना पड़ा, अफसर के इस्तीफे तक पहुंच गई थी बात

बम की धमकी आने पर एक विमान को कुछ निश्चित प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है, भले ही वह हॉक्स कॉल हो. अगर उड़ान के दौरान बम की धमकी मिलती है, तो तुरंत अलर्ट जारी किया जाता है और एयरपोर्ट की बम थ्रेट असेसमेंट कमेटी (BTAC) की बैठक बुलाई जाती है. बीटीएसी के सदस्यों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन (बीसीएएस), संबंधित एयरलाइन और एयरपोर्ट ऑपरेटर के प्रतिनिधि शामिल होते हैं.

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जब हॉक्स कॉल के बाद इंदिरा गांधी के प्लेन को वापस लौटना पड़ा
जब हॉक्स कॉल के बाद इंदिरा गांधी के प्लेन को वापस लौटना पड़ा

ये वो दौर था जब देश की कमान इंदिरा गांधी के हाथ में थी. निर्गुट सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री अपने स्टाफ के साथ बंबई से उड़ान भरती हैं. यह एक साधारण व्यावसायिक विमान था जो लुसाका जा रहा था. फ्लाइट को अभी उड़ान भरे महज 15 मिनट ही हुए थे कि खबर आई कि प्लेन में बम रखा हुआ है. यह सुनकर अधिकारियों के पसीने छूट गए लेकिन इंदिरा गांधी शांत रहीं.

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'PM को बता दीजिए, उनके ऑर्डर के खिलाफ जा रहा हूं'

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ अफवाह होगी. किसी ने मजाक किया होगा. यात्रा जारी रखिए. लेकिन फ्लाइट में मौजूद मुख्य सचिव पी. एन. हक्सर ने नटवर सिंह से कहा, 'प्रधानमंत्री को बता दीजिए कि मुख्य सचिव उनके आदेश के खिलाफ जा रहे हैं और प्लेन को वापस मोड़ा जा रहा है.' वह सफर जारी रखने के पक्ष में नहीं थे और इसके लिए इस्तीफा देने को भी तैयार थे. खबर थी कि प्लेन में मौजूद किसी पटेल के पास बम है लेकिन विमान में उस वक्त पांच पटेल मौजूद थे. लिहाजा उड़ते हुए इसका पता लगा पाना संभव नहीं था.

यह भी पढ़ें: बम की धमकी के बाद अकासा एयरलाइन की फ्लाइट की गोरखपुर एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग

'हॉक्स कॉल' निकली बम की धमकी

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विमान वापस बंबई उतरा. सुरक्षा एजेंसियों ने प्लेन की तलाशी ली और जैसा इंदिरा गांधी का अनुमान था यह धमकी महज एक अफवाह थी. प्लेन में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला. कुछ ऐसी ही धमकियां इन दिनों लगातार लोगों को परेशान कर रही हैं. ये धमकियां न सिर्फ असुविधा का कारण बन रही हैं बल्कि लोगों में एक अजीब तरह के डर को भी बढ़ा रही हैं कि 'कभी भी, कुछ भी हो सकता है'. 

क्या होती है हॉक्स कॉल?

'हैलो, प्लेन में बम रखा है', पिछले कुछ महीनों से इस तरह की कॉल्स और ईमेल ने सुरक्षा एजेंसियों की नाक में दम कर रखा है. आमजन के बीच इस तरह की धमकियों को लेकर एक नया शब्द अब प्रचलन में है- हॉक्स कॉल. एक फोन या ईमेल आता है, कभी किसी फ्लाइट पर, कभी स्कूल-कॉलेजों में तो कभी होटल में. दूसरी तरफ बैठा शख्स बम की धमकी देता है. हड़कंप मच जाता है. सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो जाती हैं. जांच-पड़ताल की जाती है. पता चलता है धमकी फर्जी थी, इसे ही हॉक्स कॉल कहते हैं.

14 दिनों में 350 फ्लाइट्स को मिली धमकी

कुछ महीनों से आ रहीं धमकियां अब रोज आने लगी हैं. रविवार को भी 50 विमानों को बम के नाम पर डराने का प्रयास किया. लखनऊ के होटलों में तो जो मेल आया उसमें लिखा था कि 'बम ग्राउंड फ्लोर पर एक काले बैग में रखा है'. पिछले सिर्फ 14 दिनों की बात करें तो 350 फ्लाइट्स को इस तरह की धमकियां मिल चुकी हैं. इनमें से कई में धमकी देने वाले ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया.

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हॉक्स कॉल आने पर क्या करना होता है?

बम की धमकी आने पर एक विमान को कुछ निश्चित प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है, भले ही वह हॉक्स कॉल हो. अगर उड़ान के दौरान बम की धमकी मिलती है, तो तुरंत अलर्ट जारी किया जाता है और एयरपोर्ट की बम थ्रेट असेसमेंट कमेटी (BTAC) की बैठक बुलाई जाती है. बीटीएसी के सदस्यों में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन (बीसीएएस), संबंधित एयरलाइन और एयरपोर्ट ऑपरेटर के प्रतिनिधि शामिल होते हैं. 

समिति खतरे को 'स्पेसिफिक', 'नॉन-स्पेसिफिक' और 'ऑन बोर्ड ड्यूरिंग फ्लाइट' में वर्गीकृत करती है. अगर समिति खतरे को 'स्पेसिफिक' मानती है, तो पायलटों को अपना अगला कदम उठाने से पहले एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से बातचीत करने के लिए कहा जाता है.

अगर 'उड़ान के दौरान विमान में' बम की धमकी मिलती है, तो पायलट तय करता है कि उसे क्या करना है. उड़ान भरने वाली जगह पर लौटने, गंतव्य की ओर आगे बढ़ने, या विमान को निकटतम लैंडिंग साइट की ओर मोड़ने का विकल्प इस आधार पर चुना जाता है कि खतरा स्पेसिफिक है या नॉन-स्पेसिफिक. अगर बम की धमकी किसी ऐसी उड़ान पर आती है जिसने अभी तक उड़ान नहीं भरी है, तो विमान को बीटीएसी के परामर्श के बाद सुरक्षा जांच के लिए एक एकांत क्षेत्र में ले जाया जाता है. 

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यह भी पढ़ें: जब 95 फ्लाइट्स को मिली बम की धमकी, पायलट ने भेजा 'कोड 7700' और फिर...

देश से बाहर होने पर क्या करते हैं पायलट?

अगर भारतीय हवाई क्षेत्र के बाहर किसी अंतरराष्ट्रीय उड़ान को बम की धमकी मिलती है, तो पायलटों को एटीसी से संपर्क करने के लिए कहा जाता है. फ्लाइट की रियल टाइम लोकेशन के आधार पर, पायलट को निकटतम डिपार्चर एयरपोर्ट पर लौटने या गंतव्य तक पहुंचने या उड़ान को नजदीकी हवाई अड्डे की तरफ मोड़ने का निर्देश दिया जाता है.

जिस विमान पर बम की धमकी मिली होती है, लैंडिंग के बाद उसे हवाईअड्डे पर एक सुनसान जगह पर ले जाया जाता है. यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को जितनी जल्दी हो सके विमान से उतरने के लिए कहा जाता है. सामान, कार्गो और खानपान की सामग्री उतार दी जाती है, जिसके बाद यात्रियों और उनके सामान की फिर से जांच की जाती है. 

एयरलाइन, इंजीनियरिंग और सुरक्षा कर्मचारी खोजी कुत्तों और स्कैनिंग मशीनों का उपयोग करके खाली विमान की पूरी तरह से तलाशी लेते हैं. यदि कुछ भी संदिग्ध नहीं पाया जाता है तो विमान को परिचालन के लिए छोड़ दिया जाता है. 

यदि कोई संदिग्ध वस्तु पाई जाती है, तो सुरक्षाकर्मी और बम निरोधक दस्ते आवश्यकतानुसार हस्तक्षेप करते हैं. अग्निशामकों और चिकित्सा कर्मियों सहित अन्य इमरजेंसी टीमें भी इस दौरान तैयार रहती हैं ताकि वे किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए कदम उठा सकें.

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