इंफोसिस के सह-संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन ने 'भारत में स्टार्ट-अप इकोसिस्टम: सफलता और चुनौतियां' को लेकर अहम बातें कहीं. 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ' में शामिल हुए क्रिस गोपालकृष्णन ने देश में स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार की पहल और योगदान का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, 'सरकार से सपोर्ट भी जरूरी है. जहां मुख्यमंत्री स्टार्टअप का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं, उन राज्यों ने बहुत अच्छा किया. केरल ने स्टार्टअप इकोसिस्टम में अच्छा काम किया है.'
उन्होंने कहा, 'केरल के स्टार्टअप विलेज ने कई तरह के प्रयोग किए. केरल और बेंगलुरु ने इससे लेकर बहुत अच्छा काम किया... जब 2015 में पीएम मोदी ने स्टार्टअप को समर्थन देने की बात कही तो स्टार्टअप्स जगत में बहुत बदलाव आया. भारत 2015 के बाद दुनिया में स्टार्टअप्स के लिए तीसरा सबसे अच्छा डेस्टिनेशन बन गया है ...इंडिया में निकट भविष्य में कई तरह के अवसर पैदा होंगे जिनमें, इलेक्ट्रिक व्हीकल में शानदार अवसर हैं, जिसमें पावर सप्लाई, बैटरी जैसी चेन के जरिए और भी नए अवसर पैदा होंगे.'
कोरोना के दौर को याद करते हुए गोपालकृष्णन ने कहा, 'कोविड के दौरान हमने टेली कंसल्ट किया, इसमें भी बहुत अवसर हैं और यह भविष्य में सफल होंगे. इंफोसिस के बाद में आईटी में कुछ नहीं कर रहा हूं लेकिन मैं रिसर्च, स्टार्टअप को सपोर्ट करता हूं. उम्र भले ही रिटायर की हो गई हो लेकिन काम से कभी भी रिटायर नहीं होना चाहिए. स्टार्टअप को शुरू करने की कोई उम्र नहीं होती, जब विचार आते हैं तो आप शुरू कर सकते हैं... किसी भी काम के लिए इकोसिस्टम बहुत जरूरी है. कोई कंपनी शुरू करता है तो वो या सफल होगी या फेल, लेकिन एक सबक जरूर मिलता है.'
उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा इस बात में विश्वास करता हूं कि आपकी सफलता में हर स्टेकहोल्डर का हाथ होता है. सार्वजनिक जगहों पर मूल्यांकन अलग तरह से होता है और हर वक्त लोगों की नजर आपकी शेयर पर रहती है. नए निवेशक के पास पाने के लिए कुछ खोने को नहीं होता है...पैसा कमाना किसी ग्राहक को मूल्य प्रदान करने का परिणाम है. आप अपने ग्राहक की सेवा के लिए एक व्यवसाय स्थापित करते हैं'
टेक्नोलॉजी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'कंप्यूटर ह्यमून टास्क के लिए लगातार बेहतर बनते जा रहे हैं. यह हम पर निर्भर करता है कि कैसे हम टेक्नोलॉजी का यूज कैसे करते हैं. टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग हमेशा से होता आया है और होता भी रहेगा. एआई के जरिए टास्क को आसान किया जा सकता है, मशीन का यूज बेहतर के लिए किया जा सकता है... भारत आईटी सर्विस में दुनिया में सबसे बेस्ट हैं. टॉप फाइव आईटी कंपनी विश्व में भारत की हैं. हम टेक्नोलॉजी के जरिए कैसे बेहतर हो सकते हैं, इस पर बात पर रिसर्च की जा सकती है. हमें निजी उद्योगों को रिसर्च के लिए बढ़ावा देना होगा. अनुसंधान में आप कभी नहीं कह सकते हैं कि आप इस समय तक सफल हो सकते हैं. लगातार प्रयास करने से ही सफल हो सकते हैं. जब एलॉन मस्क ने रॉकेट लॉन्च किया तो वो चार मिनट के अंदर ही ब्लास्ट हो गया, लेकिन वो उदास नहीं हुए...'
गोपालकृष्णन यहीं नहीं रूके, उन्होंने आगे कहा, 'हमारा बेस्ट टेलैंड यहां से बाहर गया और वहां जाकर गूगल, माइक्रोसाफ्ट जैसी कंपनियों के सीईओ जैसे पदों पर काबिज हुआ. हमें इकोसिस्टम तैयार करना होगा. बाहर की सरकारें अनुसंधान पर जोर देते हुए मदद देती हैं. एआई को लेकर जो बाइडेन ने कई मिलयन डॉलर की मदद का ऐलान किया. इसरो को सरकार ने कब तक सपोर्ट किया .. इसरो की शुरुआत 60 के दशक में हुई और सफल होने में कितना समय लगा सब जानते हैं.'