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RSS ने पांचजन्य के लेख से किया किनारा, कहा- भारत के विकास में Infosys का अहम रोल

पांचजन्य और इफोसिस विवाद के बाद अब राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने पत्रिका में छपे लेख से किनारा कर लिया है. जीएसटी और आयकर पोर्टलों में खामियों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य ने स्वदेशी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी इंफोसिस पर हमला किया था.

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सुनील आंबेकर. (फाइल फोटो)
सुनील आंबेकर. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पांचजन्य में इंफोसिस पर हमला करते हुए लिखा गया था लेख
  • अब आरएसएस ने लेख से किया किनारा

पांचजन्य और इफोसिस विवाद के बाद अब राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने पत्रिका में छपे लेख से किनारा कर लिया है. जीएसटी और आयकर पोर्टलों में खामियों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य ने स्वदेशी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी इंफोसिस पर हमला किया था.

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विवाद गहराने के बाद अब आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर ने ट्विटर कर इस विवाद पर सफाई पेश की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, भारतीय कंपनी के नाते इंफोसिस का भारत की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान है. इंफोसिस संचालित पोर्टल को लेकर कुछ मुद्दे हो सकते हैं परंतु पांचजन्य में इस संदर्भ में प्रकाशित लेख, लेखक के अपने व्यक्तिगत विचार हैं, तथा पांचजन्य संघ का मुखपत्र नहीं है.अतः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को इस लेख में व्यक्त विचारों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.

क्या है मामला

आरएसएस से जुड़ी पत्रिका पांचजन्य ने आईटी कंपनी इंफोसिस पर जानबूझकर भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था. पत्रिका ने कंपनी पर ‘नक्सलियों, वामपंथियों और टुकड़े-टुकड़े गैंग’ की मदद करने का भी आरोप लगाया गया था. लेख में कहा गया था कि पत्रिका के पास यह कहने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है लेकिन इंफोसिस पर कई बार "नक्सलियों, वामपंथियों और टुकड़े-टुकड़े गैंग" की मदद करने का आरोप लगाया गया है.

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पत्रिका ने अपनी कवर स्टोरी ‘साख और आघात’ (प्रतिष्ठा और नुकसान) में इंफोसिस पर आरोप लगाया था. लेख में इंफोसिस पर तंज कसते हुए ऊंची दुकान फीका पकवान तक कहा गया था. यह भी सवाल किया गया था कि क्या इंफोसिस अपने विदेशी क्लाइंट को ऐसी गड़बड़ सर्विस देगा?

इस लेख के बाद कांग्रेस के नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने आर्टिकल को राष्ट्रविरोधी बतााय था. एक ट्वीट में उन्होंने कहा था कि यह सरकार से दोष हटाने का प्रयास है, इसकी निंदा की जानी चाहिए. पांचजन्य के एडिटर हितेश शंकर ने कहा कि इंफोसिस बड़ी कंपनी है, काफी अहम काम उसकी विश्वसनीयता के आधार पर सरकार ने उसे दिए हैं. टैक्स पोर्टल में गड़बड़ी राष्ट्र से जुड़ा मसला है, इसके लिए जो लोग जिम्मेदार हैं, उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए.

 

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