बिहार के खुफिया विभाग का अलर्ट है कि पिछले कुछ सालों में, आतंकी गतिविधियों की तैयारी के लिए, बिहार एक सॉफ्ट पॉकेट बन गया है. यहां आईएसआई (ISI) और चीन के स्लीपर सेल आकर छुप जाते हैं और यहीं से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं. इसका खुलासा आईबी की हालिया जांच में सामने आया है.
बिहार की ओर से नई दिल्ली गृह मंत्रालय को जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसके मुताबिक इंडियन मुजाहिद्दीन ने बिहार और बंगाल से सटे बॉर्डर इलाके में 2022 की शुरुआत में ही 200 से अधिक स्लीपर सेल के सदस्यों को तैयार करने का टारगेट फिक्स किया है. गृह मंत्रालय को ये रिपोर्ट सशस्त्र सीमा बल की उस रिपोर्ट को आधार बनाकर भेजी गई है, जिसमें एसएसबी ने इंडो नेपाल सीमा पर हाल में हुई संदिग्ध गतिविधियों का हवाला देते हुए अपनी गुप्त रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपी है.
टारगेट पर सीमांचल के जिले
स्लीपर सेल के लिए मुजाहिद्दीन की तरफ से किशनगंज, अररिया और सुपौल के अलावा सीमांचल के बेरोजगार युवाओं को टारगेट बनाया गया है. 2022 के लिए चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इंडो नेपाल बॉर्डर पर हुई संदिग्ध गतिविधियों में स्लीपर सेल के सदस्यों के चयन की बात सामने आई है. सदस्यों में उन युवाओं को टारगेट रखा गया है, जो बेरोजगार हैं और सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं. स्लीपर सेल के चयन के लिए सोशल मीडिया एकाउंट से उनकी जानकारी निकाली गई है. सरकार विरोधी पोस्ट को देखने के बाद, उनसे आतंकी संगठन संपर्क साध रहे हैं. इस सेल में शामिल होने वाले ज्यादातर युवक गरीब, बेरोजगार और नासमझ भी हैं. सूत्रों के मुताबिक, इन युवकों को देर रात तकरीर के नाम पर आयोजित कार्यक्रमों में ट्रेनिंग के लिए ले जाया जा रहा है.
उज्बेकिस्तान की युवतियों का खुलासा
जानकारी के मुताबिक, स्लीपर सेल का सदस्य बनने वाले युवाओं को पहले लालच देकर फंसाया जाता है. बाद में वास्तविकता सामने आने पर उनके पास इससे निकलने का कोई उपाय नहीं होता. हाल में जोगबनी इंटीग्रेडेट चेक पोस्ट पर, भारत सरकार की एंजेंसियों की गिरफ्त में आईं उज्बेकिस्तान की कुछ युवतियों ने यह एक्सक्लूसिव जानकारी दी थी. उसके बाद ये खुलासा हुआ था कि स्लीपर सेल एक्टिव करने के लिए काफी संख्या में अफगानी नागरिक बिहार और बंगाल सीमा से सटे जिलों को अपने टारगेट पर रखे हुए हैं. सक्रिय आंतकी संगठन के ये मेंबर सीमांचल के जिलों में पैसे खर्च कर, आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड बनवा लेते हैं.
पुलिस की पहुंच से दूर फरार विदेशी
सीमांचल के जिले कटिहार अवैध विदेशी नागरिकों का सेफ ज़ोन रहा है. कटिहार से हाल के दिनों में फरार हुए आधा दर्जन से अधिक अफगानी नागरिक आज तक पुलिस और जांच एजेंसियों की पहुंच से दूर हैं. जांच एजेंसियों का दावा है कि सीमावर्ती इलाकों में ये नागरिक अपनी गतिविधि चला रहे हैं. भारत की सुरक्षा एजेंसियों से बचकर ये अपने लोगों की फौज स्लीपर सेल के रूप में तैयार कर रहे हैं, जो भारत विरोधी गतिविधियों में उनका साथ दे रहे हैं.
जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
जांच एजेंसियों और सशस्त्र सीमा बल की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि भारत विरोधी गतिविधियों में लगे ये लोग इलाके की पूरी जानकारी अपने ऊपर तक शेयर करते हैं. किसी भी राज्य की जनसंख्या और खासकर युवाओं की गतिविधियों के अलावा किसी भी स्टेट के जातीगत समीकरण के बारे में भी जानकारी शेयर करते हैं. ये स्थानीय लोगों से मिलकर रहते हैं और सरकारी कार्यों और योजनाओं के बारे में भी ऊपर तक जानकारी पहुंचाते हैं. यह अपना जीवन इस तरह गुजारते हैं कि इनकी गतिविधियों पर स्थानीय लोगों को भी शक ना हो.
एसएसबी की रिपोर्ट भेजी गई दिल्ली
एसएसबी ने भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ी संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी है. जिसमें नकली नोटों की तस्करी से लेकर, नेपाल से बिहार आकर संदिग्ध चाल-चलन वाले लोगों की सूची शामिल है. एसएसबी ने आईएसआई और चीन के प्रभाव में आकर काम करने वाले ग्रुप की नेपाल में बढ़ी सक्रियता की भी रिपोर्ट को साझा की है. बताया जा रहा है कि भारतीय जांच एजेंसियां हरकत में हैं और भारत नेपाल के साथ बांग्लादेश की सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है.