ICICI बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर को अंतरिम राहत देने से बैंक को अपूरणीय क्षति होगी. बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को यह टिपण्णी की.
न्यायमूर्ति के आर श्रीराम और न्यायमूर्ति आर एस पाटिल की खंडपीठ ने हाई कोर्ट के जस्टिस आर आई छागला की एकल पीठ द्वारा कोचर की अर्जी खारिज करने के नवंबर 2022 के आदेश को बरकरार रखा.
एकल पीठ के आदेश को खंडपीठ के समक्ष दी थी चुनौती
कोचर ने एकल पीठ के आदेश को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी. खंडपीठ ने बुधवार को अपने आदेश में कहा कि कोचर को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से आईसीआईसीआई बैंक को 'अपूरणीय क्षति' और 'पक्षपात' होगा, क्योंकि अगर बैंक मुकदमे में सफल होता है तो उसे कोचर के पास मौजूद शेयर या उसके समतुल्य राशि वसूली करने की आवश्यकता होगी.
अदालत ने कहा कि प्रतिवादी एक बैंक है जिसके शेयर स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हैं. खंडपीठ ने कहा, 'मामले के तथ्य प्रतिवादी (आईसीआईसीआई बैंक) के पक्ष में हैं क्योंकि वह सार्वजनिक सूचीबद्ध कंपनी है. अगर अपीलकर्ता (कोचर) अपने मुकदमे में सफल होती है, तो ऐसी स्थिति में प्रतिवादी को शेयर बाजार से शेयर खरीदने या उनके मूल्य के बराबर राशि का भुगतान करने के लिए के लिए निर्देश दिया जा सकता है.'
खंडपीठ ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट की एकल पीठ द्वारा पारित नवंबर 2022 का आदेश एकतरफा या त्रुटिपूर्ण नहीं था.
हाई कोर्ट ने नवंबर 2022 के अपने आदेश में कोचर को यह भी निर्देश दिया था कि वह बैंक के 6.90 लाख रुपये के शेयर का लेन-देन ना करें जिसे उन्होंने 2018 में हासिल किए थे.
अपनी अर्जी में कोचर ने अनुरोध किया उन्हें वे लाभ दिए जाएं जो उन्हें बिना शर्त के थे, जब बैंक ने 2018 में उनकी समयपूर्व सेवानिवृत्ति को स्वीकार कर लिया था.
अर्जी में कहा गया कि बैंक किसी ऐसे व्यक्ति को बर्खास्त नहीं कर सकता जो पहले ही रिटायर हो चुका हो. उन्हें बिना शर्त दिए गए लाभ में कर्मचारी शेयर विकल्प शामिल थे जो 2028 तक इस्तेमाल किए जा सकते थे.