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क्या हो अगर एक दिन के लिए सभी महिलाएं छुट्टी पर चली जाएं? खुद ही जान लीजिए जवाब

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. इसका मकसद है महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर दुनिया का ध्यान लगाना. ऐसे में हमने कुछ आंकड़ों की मदद से ये समझने की कोशिश की है कि अगर महिलाएं एक दिन के लिए छुट्टी पर चली जाएं तो फिर क्या होगा?

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आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. (Photo: Rahul Gupta/ aajtak.in)
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. (Photo: Rahul Gupta/ aajtak.in)

जरा सोचिए. सिर्फ सोचिए. आप सवेरे उठें और देखें कि आपके आस-पास न तो आपकी मां है, न बहन है, न बेटी है, न पत्नी है. आप ये सोचकर ऑफिस निकल जाते हैं कि सब कहीं गए होंगे. लेकिन ये क्या? आप ऑफिस पहुंचे, वहां आपके साथ काम करने वाली एक भी महिला कर्मचारी नहीं है. थोड़ी देर बाद टीवी पर एक पुरुष एंकर आता है और समाचार पढ़ता है कि सभी महिलाएं अचानक छुट्टी पर चली गई हैं. 

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ये महज एक कोरी कल्पना है. मगर सोचिए कि किसी दिन सच में ऐसा हो जाए कि सारी महिलाएं छुट्टी पर चली जाएं तो क्या होगा?

आज से कुछ साल पहले अमेरिका में एक ऐसा ही कैंपेन हुआ था. अमेरिका की सारी महिलाओं ने एक दिन की छुट्टी पर जाने का फैसला ले लिया था. उन्होंने फैसला लिया कि वो न तो कोई काम करेंगी, न कुछ खरीदेंगी. ऐसा उन्होंने 8 मार्च 2017 यानी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर किया था. ऐसा करने के पीछे मकसद ये था कि दुनिया महिलाओं के योगदान पर भी ध्यान दे. 

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. और मान लें कि आज के दिन देश की सभी महिलाएं छुट्टी पर चली जाएं या कहीं गायब हो जाएं तो क्या होगा? आप यकीन नहीं मानेंगे लेकिन आपके साथ वो सब होगा, जो आपने कभी सोचा भी न होगा. इसलिए, हमने कुछ आंकड़ों की मदद से ये समझने की कोशिश की है कि अगर महिलाएं न हों तो क्या हो? 

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Infographics: Rahul Gupta/ aajtak.in

अब बात देश में कैसी है महिलाओं की स्थिति?

- आबादी मेंः मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 तक देश की आबादी 136 करोड़ के आसपास होने का अनुमान है. इनमें से 48.6% महिलाएं हैं. देश में अब महिलाओं की आबादी की ग्रोथ रेट पुरुषों से ज्यादा है. 2021 में महिलाओं की आबादी की ग्रोथ रेट 1.10% रही, जबकि पुरुषों 1.07%. 

- शिक्षा मेंः रिपोर्ट के मुताबिक, 1951 में पुरुषों की साक्षरता दर 27.2% थी, जो 2017 तक बढ़कर 84.7% हो गईं. वहीं, 1951 में महिलाओं की साक्षरता दर 8.9% थी, जो 2017 तक बढ़कर 70.3% तक पहुंच पाई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2011 की तुलना में 2017 में महिलाओं की साक्षरता दर 8.8% बढ़ी है.

- रोजगार मेंः यहां महिलाओं की स्थिति खराब है. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में भारत में लेबर फोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी 21% से भी कम थी. यानी, 79% महिलाएं ऐसी थीं जो रोजगार के योग्य थीं, लेकिन वो काम की तलाश नहीं कर रही थीं. मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक्स की रिपोर्ट बताती है कि देश में 35% महिलाएं ऐसी हैं, जो घरों में हेल्पर के तौर पर काम करतीं हैं, जबकि ऐसा काम करने वाले पुरुष 9 फीसदी से भी कम हैं.

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- राजनीति मेंः लोकसभा में 15% और राज्यसभा में 14% से भी कम महिला सांसद हैं. मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में जितने विधायक हैं, उनमें से सिर्फ 9% ही महिलाएं हैं. मिजोरम में 26% महिला विधायक हैं. जबकि, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में 14-14% महिला विधायक हैं.

- अदालतों मेंः सुप्रीम कोर्ट में 33 जजों में सिर्फ 4 ही महिलाएं हैं. देशभर की हाईकोर्ट्स में भी महिला जजों की हिस्सेदारी काफी कम है. सिर्फ तेलंगाना और सिक्किम हाईकोर्ट ही ऐसी हैं, जहां 30% से ज्यादा महिला जज हैं. मणिपुर, मेघालय, पटना, त्रिपुरा और उत्तराखंड हाईकोर्ट में तो एक भी महिला जज नहीं है. देशभर की अदालतों में महिला वकीलों की संख्या 15% के आसपास ही है.

- सेना मेंः रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, थल सेना में जेसीओ और ओआर में महिलाओं की संख्या 0.1 फीसदी ही है. हालांकि, थल सेना की मेडिकल कॉर्प्स और डेंटल कॉर्प्स में 21 फीसदी महिलाएं हैं. वहीं, वायुसेना में 6 फीसदी और नौसेना में 13 फीसदी से ज्यादा महिलाएं हैं. 

- पुलिस और अर्धसैनिक बलों मेंः ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (BPRD) के आंकड़ों के मुताबिक, 1 जनवरी 2022 तक देश भर में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या 11.75% थी. वहीं, लोकसभा में सरकार ने बताया था कि 14 दिसंबर 2022 तक अर्धसैनिक बलों में 10.12 लाख जवानों में से 34,278 यानी महज 3.38% महिलाएं ही थीं.

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Infographics: Rahul Gupta/ aajtak.in

फिर भी किसी से कम नहीं महिलाएं

कुछ दिन पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि देश में महिलाएं हर दिन 7.2 घंटे ऐसा काम करतीं हैं, जिसके लिए उन्हें कोई सैलरी नहीं मिलती.

इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि हर दिन महिलाएं जितना काम फ्री में करती हैं, अगर उसके लिए उन्हें सैलरी दी जाए तो सालभर में ये 22.7 लाख करोड़ रुपये बैठेगी. ये रकम भारत की जीडीपी के 7.5 फीसदी के बराबर है.

इसके अलावा, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के 64 देशों की महिलाएं हर दिन 1,640 घंटे बिना सैलरी के काम करती हैं. ये जो काम करतीं हैं, वो 11 ट्रिलियन डॉलर यानी दुनिया की जीडीपी के 9 फीसदी के बराबर है.

इससे पहले 2010 में वर्ल्ड बैंक ने ब्राजील में एक स्टडी की थी. इस स्टडी में सामने आया था कि अगर महिलाओं की कमाई पुरुषों से ज्यादा हो, तो वो उस पैसे को ऐसी जगह खर्च करना ज्यादा पसंद करती हैं, जिससे वाकई फर्क पड़ता है. स्टडी में बताया गया था कि महिलाएं इस कमाई को बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च करना पसंद करेंगी.

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