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रिटायर्ड IPS बृजलाल को बीजेपी से राज्यसभा का टिकट, कभी चुनाव आयोग ने DGP पद से हटाया था

मायावती से नजदीकियां होने की वजह से कयास लगाए जाते रहे हैं कि बृजलाल बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो सकते हैं, लेकिन सभी को चौंकाते हुए उन्होंने जनवरी 2015 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की.

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पूर्व DGP बृजलाल को बीजेपी ने दिया राज्यसभा का टिकट (फाइल-ट्विटर)
पूर्व DGP बृजलाल को बीजेपी ने दिया राज्यसभा का टिकट (फाइल-ट्विटर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बृजलाल 2015 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए
  • 4 बार राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किए गए बृजलाल
  • नियमों की अनदेखी कर मायावती ने 2011 में DGP बनाया

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सोमवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लिए अपने राज्यसभा उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. यूपी से हरदीप सिंह पुरी, अरुण सिंह, बृजलाल, नीरज शेखर, हरिद्वार दुबे, गीता शाक्य, बीएल शर्मा के अलावा सीमा द्विवेदी को उम्मीदवार बनाया गया है. इनमें चौंकाने वाला नाम बृजलाल का है जो उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस प्रमुख और कभी मायावती के बेहद करीबी रहे हैं.

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1977 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अफसर बृजलाल जनवरी 2015 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे. 2018 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूर्व आईपीएस बृजलाल को राज्य के अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया. बृजलाल 4 बार राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किए गए.

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जब मायावती ने बना दिया DGP

बृजलाल 2007 में उत्तर प्रदेश में एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) के रूप में तैनात थे, लेकिन इसी साल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री मायावती के साथ उनके ताल्लुकात काफी अच्छे हो गए. और सितंबर 2011 में मायावती ने सारे नियमों और 2 वरिष्ठ पुलिस अफसरों की जगह बृजलाल को तरक्की देते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP) बना दिया. हालांकि वह इस पद पर महज 3 महीने ही रह सके थे.

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2012 के विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने जनवरी 2012 में आईपीएस बृजलाल को डीजीपी के पद से हटा दिया था. चुनाव से पहले कई विपक्षी दलों ने उनके डीजीपी पद पर बने रहने की शिकायत चुनाव आयोग से की थी, जिसके बाद आयोग ने उन्हें पद से हटा दिया. इस फैसले का भारतीय जनता पार्टी समेत कई पार्टियों ने स्वागत भी किया था. 

बीजेपी का दामन थामा

चुनाव के बाद जब अखिलेश यादव सत्ता में आए तो उन्होंने 15 मार्च, 2012 को बृजलाल की डीजीपी पद पर बहाली नहीं की और उन्हें हटा दिया. बृजलाल की गिनती उत्तर प्रदेश में ताकतवर अफसरों में की जाती रही है और मायावती के शासनकाल के दौरान वे सबसे ज्यादा ताकतवर दलित अफसरों में से एक रहे हैं.

मायावती से नजदीकियां होने की वजह से कयास लगाए जाते रहे हैं कि बृजलाल बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो सकते हैं, लेकिन सभी को चौंकाते हुए उन्होंने जनवरी 2015 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की.

सख्त अफसर की छवि

उत्तर प्रदेश के ताकतवर अफसरों में शुमार किए जाने वाले बृजलाल का जन्म पूर्वी उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर के एक दलित परिवार में हुआ था. उन्हें पढ़ाई करने के लिए अपने घर से करीब 20 किलोमीटर पैदल स्कूल जाना पड़ता था. यहां तक कि दलित होने के नाते उन्हें कक्षा में सीट हासिल करने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ता था.

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1977 में भारतीय पुलिस सेवा में चयन होने के बाद बृजलाल इलाहाबाद (अब प्रयागराज) शिफ्ट हो गए और जल्द ही उनकी छवि सख्त पुलिस अफसर की बन गई. उन्होंने माफियाओं, डकैतों और आतंकियों के खिलाफ कई सफल अभियान चलाए. बृजलाल को चित्रकूट में डकैतों के एनकाउंटर के लिए बतौर एडीजी अभियान की अगुवाई के लिए जाना जाता है. साथ ही बृजलाल ने प्रशासनिक सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए किताबें लिखी हैं.

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