रविवार को खेल मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय कुश्ती संघ की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी और अध्यक्ष संजय सिंह को निलंबित कर दिया. इसके बाद खेल मंत्रालय ने इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (IOA)को लेकर एक नई एड हॉक कमेटी बनाने को कहा जो तीन दिनों के अंदर बनेगी. इस कमेटी का काम WFI की हर दिन की गतिविधियों पर ध्यान रखना रहेगा.
इसके लिए खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने खुद आईओए प्रमुख को पत्र लिखकर कहा कि अस्थायी पैनल, एथलीटों के सेलेक्शन सहित डब्ल्यूएफआई के मामलों का प्रबंधन और नियंत्रण करेगा. एडहॉक कमेटी का मुख्य काम खास सलाह और सुझाव देना है. एडहॉक कमेटी में अलग-अलग पृष्ठभूमि और विषयों के लोग शामिल हो सकते हैं. सरकार के इस सख्त फैसले के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. तो आइए जानते हैं इस विवाद की वो वजहें, जिसके कारण से कुश्ती महासंघ की नई कार्यकारिणी भंग हुई.
नंदिनी नगर बना विवाद की अहम जड़
कुश्ती महासंघ के चुनाव जीतने के कुछ घंटे बाद बाद ही नए अध्यक्ष संजय सिंह ने गोंडा स्थित नंदिनी नगर में अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आयोजन का ऐलान कर दिया. जो बृजभूषण सिंह का गृह क्षेत्र है. इस फैसले के बादर विवाद शुरू हो गया था. खुद साक्षी मलिक ने फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, 'गोंडा बृजभूषण का इलाका है. अब आप सोचिए कि जूनियर महिला पहलवान किस माहौल में कुश्ती लड़ने वहां जाएंगी. क्या इस देश में नंदिनी नगर के अलावा कहीं पर भी नेशनल करवाने की जगह नहीं है? समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं.'
नंदिनी नगर में टूर्नामेंट कराने को लेकर बृजभूषण सिंह ने कहा कि समय कम था तो सभी फेडरेशनों ने टूर्नामेंट कराने से हाथ खड़े कर दिए इसलिए उन्होंने नंदिनी नगर में टूर्नामेंट कराने का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि नंदिनी नगर में कुश्ती के लिए सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं.
नंदिनी नगर को लेकर ना केवल खिलाड़ियों ने सवाल उठाए बल्कि खेल प्रेमियों को भी इससे आश्चर्य हुआ. बस यही फैसला नई कार्यकारिणी को भारी पड़ा और लोगों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए सरकार ने अहम फैसला लिया और कार्यकारणी को ही भंग कर दिया.
कैसा है नंदिनी नगर स्टेडियम?
दरअसल नंदिनीनगर यूपी के उस गोंडा में है जो बृजभूषण शरण सिंह का कार्यक्षेत्र है. यहां से खुद बृजभूषण शरण सिंह और उनकी पत्नी भी सांसद रह चुके हैं. यहां कुश्ती के लिए बृजभूषण सिंह ने एक अलग केंद्र बनाया है जिसकी शुरुआत 15 अगस्त, 2011 में हुई थी.
कुर्सी रोड, नवाबगंज पर स्पोर्ट्स अथारिटी आफ इंडिया (साई) के मानक पर तैयार इस प्रशिक्षण केंद्र में कुश्ती के लिए तमाम सुविधाएं मौजूद हैं और कई बड़े राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट यहां आयोजित हो चुके हैं. सालों से बृजभूषण शरण सिंह कुश्ती प्रतियोगिता कराते आए हैं. पहले यहां अस्थायी इंतजाम थे बाद में बृजभूषण सिंह ने शानदार स्थायी प्लेटफॉर्म में तब्दील कर दिया.
दबदबा था और रहेगा वाला पोस्टर
सरकार के कुश्ती संघ को भंग करने के फैसले के पीछे एक वजह बृजभूषण सिंह के पोस्टर भी रही. बीते गुरुवार को जब भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) चुनाव के नतीजे घोषित हुए तो निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के समर्थन वाले पैनल ने इसमें जबरदस्त जीत हासिल की. बृजभूषण के करीबी संजय सिंह ने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष के चुनाव में अपनी प्रतिद्वंदी अनीता श्योराण को शिकस्त दी. इस जीत के बाद जहां बृजभूषण के बेटे प्रतीक भूषण सिंह ने एक तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की तो वहीं बृजभूषण शरण सिंह के घर के बाहर पोस्टर लग गए जिनमें लिखा था 'दबदबा तो है, दबदबा रहेगा, ये तो भगवान ने दे रखा है.'
बृजभूषण ने खुद स्वीकार की ये बात
पोस्टर के जरिए साफ हो गया था कि चुनाव भले ही संजय सिंह जीते हों लेकिन असली जीत बृजभूषण सिंह की हुई है और इसकी झलक उस समय देखने को भी मिली जब जीत के बाद संजय सिंह की जगह बृजभूषण सिंह को मालाएं पहनाई जा रही थी. लेकिन रविवार को जब खेल मंत्रालय के फैसले के बाद बृजभूषण सिंह प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए तो उनके तेवर बदले हुए थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से पहले वह बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने पहुंचे थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बृजभूषण सिंह ने कहा कि उन्होंने घर के बाहर से वो पोस्टर हटा दिए हैं क्योंकि इनसे अंहकार की बू आ रही थी. यानि बृजभूषण मान रहे थे कि पोस्टर लगाने का दांव उलटा पड़ गया है.
साक्षी का संन्यास, बजरंग का सम्मान लौटाना
वहीं भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव नतीजों के बाद आंदोलन कर चुके तीनों पहलवान बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट एक साथ आए और प्रेस कॉन्फ्रेंस की. ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कहा कि WFI का अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का बिजनेस पार्टनर और करीबी सहयोगी संजय सिंह चुना जाता है तो मैं अपनी कुश्ती को त्यागती हूं. इस दौरान साक्षी ने अपने जूते उठाकर मेज पर रख दिए और ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी शेयर की गईं.
इसके बाद बजरंग पूनिया ने अपना पद्म सम्मान वापस लौटाते हुए पीएम आवास के बाहर फुटपाथ पर रख दिया. साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण शऱण सिंह भी ट्रेंड में आ गए और उनकी आलोचना होने लगी. वहीं डेफ़ ओलिम्पिक्स के गोल्ड मेडलिस्ट पहलवान वीरेंद्र सिंह ने भी महिला पहलवानों के समर्थन करते हुए अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया.
सरकार ने दिया संदेश
भारतीय कुश्ती महासंघ की नई कार्यकारिणी को भंग करके सरकार ने एक साथ कई मैसेज भी दिए. हो सकता है कि एक बार से कुश्ती महासंघ की नई कार्यकारिणी का गठन करने के लिए चुनाव हो और इसमें बृजभूषण शरण सिंह से जुड़े लोगों को दूर रखा जाए. लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.