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क्या दोस्ती भी भावनात्मक थकान दे रही है? जानें TIME मैगजीन की रिपोर्ट की सबसे अहम बात

TIME मैगजीन में प्रकाशित हुए एक नए लेख में बताया गया है कि अब दोस्ती भी लोगों में भावनात्मक थकान पैदा कर रही है, जिससे लोगों में अवसाद और तनाव बढ़ रहा है. ये रिपोर्ट कहती है कि सच्ची दोस्ती निस्वार्थ होती है और अगर किसी दोस्ती में स्वार्थ और लालच की भावना ज्यादा है तो उस दोस्ती में आप अवसाद का शिकार हो सकते हैं.

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कैसी दोस्ती बेस्ट मानी गई है? (सांकेतिक तस्वीर)
कैसी दोस्ती बेस्ट मानी गई है? (सांकेतिक तस्वीर)

वर्ष 1975 में एक शोले फिल्म आई थी जो कि सुपरहिट भी हुई थी. इस फिल्म में एक गाने था, जिसके बोल थे, ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोडेंगे. ये गाना उस दौर में आया था, जब लोग दोस्ती ना तोड़ने की कसमें खाते थे. लेकिन अब जमाना पूरी तरह से बदल गया है और अब दोस्ती के रिश्ते में भी इतना जहर भर गया है कि इसे तोड़ना ही लोगों के लिए अच्छा है.

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सच्ची दोस्ती वो होती है, जिसमें समर्पण और प्रेम के सिवा कुछ नहीं होता. एक बार सुदामा ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा था कि सच्ची दोस्ती का क्या मतलब होता है? इस पर श्रीकृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा था कि जहां मतलब होता है, वहां दोस्ती कहां होती है. लेकिन आज के इंटरनेट युग में दोस्ती का स्वरूप इतना बदल गया है कि अब दोस्ती दुनियाभर के लोगों को थकाने लगी है.

भावनात्मक थकान पैदा कर रही दोस्ती

TIME मैगजीन में प्रकाशित हुए एक नए लेख में बताया गया है कि अब दोस्ती भी लोगों में भावनात्मक थकान पैदा कर रही है, जिससे लोगों में अवसाद और तनाव बढ़ रहा है. ये रिपोर्ट कहती है कि सच्ची दोस्ती निस्वार्थ होती है और अगर किसी दोस्ती में स्वार्थ और लालच की भावना ज्यादा है तो उस दोस्ती में आप अवसाद का शिकार हो सकते हैं.

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अंग्रेजी में इसे TOXIC फ्रेंडशिप भी कहते हैं, जो इतनी खतरनाक होती है कि ये आपकी जीवन आयु को तीन से पांच वर्ष तक कम कर सकती है. बहुत सारे लोग ऐसा सोचते हैं कि दोस्ती में उनकी इच्छाएं मायने नहीं रखतीं और दोस्ती में उन्हें वो सब करना चाहिए, जो उनके दोस्त को अच्छा लगता है. जैसे, दोस्त को अगर कहीं घूमना है, कोई फिल्म देखनी है या पार्टी करनी है तो आपको लगता है कि आप उसे इनकार नहीं कर सकते और जब आप अपनी इच्छाओं के विरुद्ध दोस्ती को बचाने के लिए अपने दोस्त की कही हर बात को मानने लगते हैं और रिश्ते में 'मजबूर' होकर कोई चीज करते हैं तो वो दोस्ती TOXIC बन जाती है, जो आपको भावनात्मक रुप से थकाने लगती है और तनाव के कारण आप चिड़चिड़े हो जाते हैं.

टॉक्सिक फ्रेंडशिप में तो नहीं फंसे आप?

आपको ऐसी चार बातें जाननी चाहिए, जिनसे आपको ये पता चलेगा कि आपकी दोस्ती सच्ची है या आप एक TOXIC फ्रेंडशिप में फंसे हुए हैं.

इनमें पहला है असमान व्यवहार- TOXIC फ्रेंडशिप एकतरफा होती है, जिसमें आप तो अपने दोस्त की चिंताएं सुनते हैं और उसे सलाह भी देते हैं. लेकिन बदले में आपको अपने दोस्त से उसी तरह का व्यवहार नहीं मिलता और जब ऐसा होता है तो वो दोस्ती आपको मानसिक रूप से थकाने लगती है और आप उस रिश्ते में तनाव महसूस करने लगते हैं.

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दूसरा है सीमाएं तोड़ना- अगर आप देर रात तक नहीं जागते. लेकिन इसके बावजूद आपका दोस्त देर रात को आपसे फोन पर बात करने के लिए दबाव बनाता हैं या, साथ में फिल्म देखने के लिए या कहीं घूमने जाने के लिए इमोशनल अत्याचार करता है तो दोस्ती का ये रिश्ता आपके लिए सही नहीं है. तो ऐसे दोस्तों से आपको ब्रेकअप कर लेना चाहिए.

तीसरा है स्वार्थीपन- अगर कोई दोस्त हमेशा अपनी जरूरतों पर ध्यान देता है और आपके काम में या आपकी बातों में दिलचस्पी नहीं लेता तो ये असंतुलन भी दोस्ती के लिए खराब होता है. ऐसे स्वार्थी दोस्त आपके लिए अच्छे नहीं होते. 

चौथा- अगर आपका दोस्त आपको कम करके आंकता है और आपकी उपलब्धियों को महत्व नहीं देता, तो वो आपका सच्चा दोस्त नहीं है और आपको ऐसे दोस्तों से बिना देर किए अलग हो जाना चाहिए और उनसे ब्रेकअप कर लेना चाहिए.

दोस्ती टूटने पर कैसा महसूस करते हैं आप?

इसी रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि ज्यादातर लोग दोस्ती में नाकाम होने पर या दोस्ती तोड़ने पर अपराधबोध महसूस करते है और उन्हें लगता है कि उन्होंने कुछ गलत किया है. जबकि वास्त-विकता ये है कि अगर आप अच्छे हैं तो आपके दोस्त बनते रहते हैं और एकतरफा TOXIC फ्रेंडशिप से अलग होना ही आपके लिए अच्छा होता है. हालांकि, ऐसे रिश्तों में दोस्ती तोड़ते समय आपको चार बातों का ध्यान रखना चाहिए.

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पहला- अपने दोस्त को दोस्ती तोड़ने की सही वजह बताएं और ईमानदारी से उसे सारी बातें कहें।

दूसरा बहस से बचें- बहस करने के बजाय अपने दोस्त को ये स्पष्ट करें कि आपका उनसे दोस्ती तोड़ने का फैसला अंतिम है और आप व्यर्थ की बहस से बचने के लिए मैसेज लिखकर भी अपने दोस्त को उससे दोस्ती तोड़ने की वजह बता सकते हैं. 

तीसरा- सही जगह और सही समय चुनें- अपने दोस्त से बातचीत निजी और शांत माहौल में करें और उसकी भावनाओं का सम्मान करते हुए उसके साथ दोस्ती को तोड़ें और आप चाहें तो इसमें एक कॉमन फ्रेंड की भी मदद ले सकते हैं.

और चौथा- दोस्ती टूटने के लिए खुद को दोषी ना मानें। और अपने अंदर ये भरोसा रखें कि आप और अच्छे दोस्त बना सकते हैं. अगर आपका दोस्त जरूरत पड़ने पर आपको उधार पैसे नहीं देता तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो आपका सच्चा दोस्त नहीं है.

पैसों की वजह से बिगड़ी दोस्ती

ज्यादातर मामलों में लोग ऐसा सोचते हैं कि उधार पैसे देने वाला ही सच्चा दोस्त होता है जबकि सच्चाई ये है कि दोस्ती का धन और दौलत से कोई संबंध नहीं होता. और अगर ऐसा होता तो पिछले 5 वर्षों में 1 हजार 238 लोगों की हत्याएं अपने दोस्तों का उधार ना चुकाने के कारण नहीं होती. इनमें भी एक घटना तो पिछले हफ्ते ही हुई है जहां पटियाला में तीन दोस्तों ने एक दोस्त की इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसने दो हज़ार रुपये उधार लेकर काफी समय से वापस नहीं लौटाए थे.

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हर व्यक्ति के होते हैं दो पक्के दोस्त

अभी दुनिया में हर व्यक्ति के औसतन दो पक्के दोस्त हैं. सच्चे दोस्तों की वजह से डिप्रेशन का खतरा 17 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं. हार्ट स्ट्रोक का खतरा 19 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं और सच्चे दोस्त होने पर आप ज्यादा खुश और आनंदित महसूस करते हैं और आपकी जीवन आयु 3 से 5 साल बढ़ जाती है. इसलिए दोस्त होने ज़रूरी हैं लेकिन अगर वो दोस्त सच्चे नहीं हैं तो वो दोस्त आपको मानसिक रूप से थका भी सकते हैं.

इसके अलावा वर्ष 2016 की एक रिसर्च कहती है कि अगर एक व्यक्ति 4 लोगों को अपना सच्चा दोस्त मानता है तो उनमें से तीन दोस्त या कई बार चारों दोस्त उसे अपना सच्चा दोस्त नहीं मानते. इसीलिए कहा जाता है कि दोस्ती में जब तक दोनों दोस्तों का समर्पण ना हो तो वो दोस्ती नहीं है.

हर रिश्ते से ऊपर मानी गई है दोस्ती

दोस्ती के रिश्ते को सभी रिश्तों से ऊपर माना गया है. क्योंकि ये इकलौता ऐसा रिश्ता है, जो इंसान खुद बनाता है. माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी और चाचा-चाची जैसे रिश्ते आपको आपके जन्म से मिलते हैं और इन रिश्तों को आप नहीं चुनते हैं. लेकिन दोस्ती का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता है जिसमें आप खुद ये तय करते हैं कि कौन आपका दोस्त होगा और कौन आपका दोस्त नहीं होगा और इसलिए जब आप दोस्त बनाते हैं, तो आपको सोच समझकर अच्छे दोस्त बनाने चाहिए और अगर कोई दोस्त आपको अवसाद और तनाव दे रहा है तो उस दोस्ती को आपको तुरंत खत्म कर देना चाहिए. क्योंकि ऐसी दोस्ती में दोस्त आपके लिए दोष बन जाते हैं और दोष हमेशा तकलीफ ही देते हैं.

आजतक ब्यूरो
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