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जेलेंस्की से मीटिंग, बाइडेन और पुतिन से बात... क्या रूस-यूक्रेन को बातचीत की टेबल पर लाने की कोशिश कर रहे PM मोदी?

शांति स्थापित कराने के लिए भारत का यह कूटनीतिक प्रयास एक महत्वपूर्ण समय पर आया है, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है और इसके कम होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं. युद्ध के परिणामस्वरूप मानवीय पीड़ा और आर्थिक क्षति हुई है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसके वैश्विक परिणामों के बारे में चिंतित है.

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दुनिया के कई बड़े देशों को उम्मीद है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में भारत अग्रणी भूमिका निभा सकता है. (Photo: AP/PTI)
दुनिया के कई बड़े देशों को उम्मीद है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में भारत अग्रणी भूमिका निभा सकता है. (Photo: AP/PTI)

रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जोर-शोर से प्रयास कर रहे हैं. उनके प्रयास से दो परस्पर विरोधी नेताओं- यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोदिमीर जेलेंस्की और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के वार्ता की मेज पर लौटने की बहुत संभावना है. इन दोनों की आमने-सामने बैठकर वार्ता शांति के लिए महत्वपूर्ण है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से फोन पर बात करने के एक दिन बाद पीएम मोदी ने मंगलवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की. ये कॉलें उनकी यूक्रेन यात्रा के तुरंत बाद आई हैं.

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स्वयं यूक्रेन सहित कई देशों का मानना ​​है कि भारत मॉस्को और कीव के बीच वार्ता के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है, और शांति शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर सकता है. यह बात सीधे तौर पर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की ओर से आई कि भारत शांति शिखर सम्मेलन का आधार बन सकता है. स्विस राजदूत राल्फ हेकनर ने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए भारत की 'साहसी कूटनीति' की प्रशंसा की. जेलेंस्की ने 23 अगस्त को कहा था, 'मेरा सचमुच मानना ​​है कि रूस के साथ दूसरा शांति शिखर सम्मेलन होना चाहिए. यह अच्छा होगा अगर इसकी मेजबानी ग्लोबल साउथ का कोई देश करे.'

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कीव में भारतीय प्रधानमंत्री की मेजबानी के एक दिन बाद वलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा, 'मैंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि हम भारत में वैश्विक शांति शिखर सम्मेलन आयोजित कर सकते हैं. यह एक बड़ा देश है, यह दुनिया का सबसे बड़ा और महान लोकतंत्र है.' भारत ग्लोबल साउथ (दक्षिण एशिया) में निर्विवाद लीडर के रूप में उभरा है. पीएम मोदी की हाल की यूक्रेन यात्रा और उसके बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ फोन पर उनकी बातचीत से उम्मीद जगी है कि वह युद्धरत देशों (रूस और यूक्रेन) के नेताओं के बीच बातचीत कराने में सक्षम हो सकते हैं.

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संवाद और कूटनीति से ही रूस-यूक्रेन युद्ध का समाधान

पुतिन और जेलेंस्की के बीच आमने-सामने की बातचीत को यूक्रेन-रूस युद्ध को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो अब अपने तीसरे वर्ष में है. बता दें कि रूस ने 24 फरवरी, 2022 को यूक्रेन के खिलाफ अपना विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था, जो अब भयंकर युद्ध में तब्दील हो चुका है. जेलेंस्की के साथ अपनी बैठक के दौरान, पीएम मोदी ने राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई थी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि युद्ध को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया था कि भारत तटस्थ नहीं है बल्कि दृढ़ता से शांति के पक्ष में है.

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रूस की यात्रा और राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के छह सप्ताह बाद पीएम मोदी यूक्रेन दौरे पर गए थे. पिछले हफ्ते अपनी यूक्रेन यात्रा के बाद, पीएम मोदी ने 26 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से फोन पर बात की थी. दोनों नेताओं ने यूक्रेन की स्थिति सहित विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की और विचारों का आदान-प्रदान किया. इसके करीब 17 घंटे बाद 27 अगस्त को पीएम मोदी ने जानकारी दी कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर बातचीत की है. दोनों नेताओं ने भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा की. बातचीत में रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा हुई. पीएम मोदी ने X पर ​पोस्ट में बताया कि उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के शीघ्र, स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया.

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युद्ध के वैश्विक परिणामों से चिंतित है अंतरराष्ट्रीय समुदाय

शांति स्थापित कराने के लिए भारत का यह कूटनीतिक प्रयास एक महत्वपूर्ण समय पर आया है, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है और इसके कम होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं. युद्ध के परिणामस्वरूप मानवीय पीड़ा और आर्थिक क्षति हुई है, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसके वैश्विक परिणामों के बारे में चिंतित है. दोनों परस्पर विरोधी नेताओं को बातचीत की मेज पर लाने के पीएम मोदी के प्रयासों को शांतिपूर्ण समाधान खोजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है. उनके नेतृत्व में भारत की हालिया कूटनीतिक हस्तक्षेप ने यूरोप में चल रहे युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान में भारतीय भूमिका की अटकलों को जन्म दिया है.

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स्विस राजदूत राल्फ हेकनर ने हाल ही में एक अखबार को दिए साक्षात्कार में कहा, 'भारत लगातार आगे बढ़ रहा है और अपने प्रभाव का उपयोग कर रहा है... चुनाव के बाद पीएम मोदी इटली और रूस में थे, वह पोलैंड गए, फिर यूक्रेन गए. इसलिए यह देखकर बहुत अच्छा लग रहा है कि भारत सरकार अब कूटनीति पर फोकस कर रही है. पीएम मोदी को इस दिशा में आगे बढ़ते और साहसी निर्णय लेते देखना बहुत अच्छा है. यह यूक्रेन और वहां के नागरिकों के लिए अच्छा होगा. यह रूस और वहां की जनता के लिए अच्छा होगा. यह यूरोप के लिए अच्छा होगा. यह अमेरिका के लिए अच्छा होगा. यह ग्लोबल साउथ के लिए अच्छा होगा. इसलिए यदि हम इस संघर्ष का शांतिपूर्ण, बातचीत से समाधान ढूंढते हैं, तो परिणाम केवल सकारात्मक होंगे और इसके लिए भारत का धन्यवाद.'

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