प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस्कॉन गवर्निंग बॉडी कमिश्नर (GBC) गोपाल कृष्ण गोस्वामी (79) के निधन पर शोक व्यक्त किया, जिनका रविवार को सुबह 9.20 बजे निधन हो गया. उन्होंने देहरादून के सिनर्जी अस्पताल में अंतिम सांस ली. संत गोपाल कृष्ण इस्कॉन द्वारा बनाए जा रहे बांके बिहारी मंदिर के 1 मई को हुए शिलान्यास कार्यक्रम में भाग लेने के लिए देहरादून आए थे. कार्यक्रम के बाद बाथरूम में फिसलने से उन्हें चोट आई थी. वह हृदय संबंधी बीमारी से भी ग्रसित थे.
पीएम मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा कि गोपाल कृष्ण गोस्वामी अपनी शिक्षाओं में दूसरों के प्रति भक्ति, दया और सेवा के महत्व पर जोर देते थे. उन्होंने X पर एक पोस्ट में लिखा, 'गोपाल कृष्ण गोस्वामी महाराजा एक स्पिरिचुअल आइकन थे, जो भगवान श्री कृष्ण के प्रति अटूट भक्ति और इस्कॉन के माध्यम से उनकी अथक सेवा के लिए विश्व स्तर पर सम्मानित थे. उन्होंने इस्कॉन के सामुदायिक सेवा प्रयासों का विस्तार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य और जरूरतमंदों की सेवा जैसे क्षेत्रों में. इस दुखद घड़ी में मेरी संवेदनाएं सभी भक्तों के साथ हैं. ओम शांति.'
संत गोपाल कृष्ण गोस्वामी के पार्थिव शरीर को इस्कॉन के पदाधिकारी रविवार को देहरादून से दिल्ली स्थित ईस्ट ऑफ कैलाश मंदिर ले आए. छह मई की सुबह तक पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन जा सकिएकेंगे. इसके बाद संत को वृंदावन में भू-समाधि दी जाएगी. संत गोपाल कृष्ण गोस्वामी का जन्म 1944 में नई दिल्ली में हुआ था. उन्होंने 1964 में दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया. फ्रांस के सोरबोन विश्वविद्यालय और कनाडा के मैक्गिल विश्वविद्यालय से उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की. वर्ष 1968 में उन्होंने कनाडा में अपने गुरु और इस्कॉन के संस्थापक आचार्य भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद से मुलाकात की. तब से उन्होंने खुद को भगवान श्रीकृष्ण और सनातन धर्म के लिए खुद को समर्पित कर दिया.