इजरायल में हमास के हमले की जांच की मांग लंबे समय से की जा रही है, और कल तक पीएम बेंजामिन नेतन्याहू खुद इसके पक्ष में थे. अब आलम ये है कि वह इस हमले की जांच को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश कर रहे हैं, जहां इजरायली जनता अब सड़क से संसद तक पहुंच रही है. इजरायल की संसद में सोमवार को भीड़ ने हंगामा कर दिया, जो उसी हमले पर चर्चा करना चाहते थे.
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के संसद में संबोधन से पहले 7 अक्टूबर के बंधकों और पीड़ितों के परिजनों और नेसेट (इजरायली संसद) गार्डों के बीच जबरदस्त झड़पें हुईं. यह झड़प तब शुरू हुई जब परिजन संसद में प्रवेश की मांग कर रहे थे. कुछ प्रदर्शनकारियों ने अंदर प्रवेश भी किया लेकिन नेतन्याहू का विरोध करते हुए उन्हें पीठ दिखाई.
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हालांकि गार्ड ने रोकते हुए कहा कि केवल दस लोग ही अंदर जा सकते हैं, मगर परिवार अपनी बात पर अड़े रहे. घटनास्थल पर तकरार इतनी बढ़ गई कि सुरक्षाकर्मियों ने परिजनों को अतिथि दीर्घा से दूर धकेलने की कोशिश की, जिसका वीडियो जल्द ही वायरल हो गया.
स्टेट कमिशन की मदद से संसद पहुंचे परिवार
परिजन स्टेट कमिशन के समर्थन में संसद पहुंचे थे, जो उस दिन के हमास अटैक की पूर्ण जांच की मांग कर रहे हैं. झड़पों के दौरान कई परिवारों और गार्डों के बीच हिंसक संघर्ष हुए, जिसमें दो लोग घायल हो गए.
गौरतलब है कि, इजरायली संसद में अक्टूबर काउंसिल है, जो 7 अक्टूबर के पीड़ितों के परिवारों का प्रतिनिधित्व करती है. इसने पहले ही जानकारी दी थी कि सोमवार के विशेष सत्र में कम से कम 40 लोग मौजूद होंगे. हालांकि, हालात इतने खराब हो गए कि लोगों को कथित रूप से एंट्री नहीं दी गई, और वे संसद के भीतर जबरदस्ती घुसने की कोशिश करने लगे.
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भीड़ पर बल प्रयोग मामले में जांच के निर्देश
नेसेट के अध्यक्ष अमीर ओहाना ने इस मामले में गार्डों के बल प्रयोग की जांच के निर्देश दिए हैं. पीएम नेतन्याहू ने स्टेट कमिशन की मांग ठुकरा दी है. उनका तर्क है कि ऐसी जांच जनमत से प्रभावित हो सकती है और जनता का विश्वास कठिनाई से जीत पाएगी.
हालांकि, विदेश मंत्री गिडोन साअर ने नेतन्याहू से असहमति जाहिर करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ऐसी किसी भी जांच का समर्थन करेगी. पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने इस हालात को नेतन्याहू की सरकार के लिए आपदा करार दिया.