ISRO Aditya L1 Mission Launch Live Updates: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर इतिहास रचने की दहलीज पर है. अब देश के साथ-साथ विश्व देश की निगाहें ISRO के सूर्य मिशन यानी Aditya-L1 पर टिकी हैं. श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग सेंटर से ISRO के सूर्य मिशन आदित्य-L1 मिशन को आज 11.50 बजे लॉन्च कर दिया गया. आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक फीसदी दूरी तय करके L-1 पॉइंट पर पहुंचा देगा. लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद यह अपने पॉइंट L1 तक पहुंचेगा. इस पॉइंट पर पहुंचने के बाद Aditya-L1 बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा. जानिए इस लॉन्चिंग से जुड़े तमाम ताजा अपडेट्स-
Aditya L1 Mission: भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य एल1 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा- मैं आदित्य-एल1 मिशन लिए पीएसएलवी को बधाई देता हूं. अब से, मिशन अपनी यात्रा शुरू करेगा. यह लगभग 125 दिनों की बहुत लंबी यात्रा है. बता दें कि आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है. इसरो ने कुछ देर पहले ही यह जानकारी दी थी.
Aditya L1 Mission: सूर्य का अध्ययन करने के भारत के महत्वाकांक्षी मिशन #AdityaL1 के बेहद सफल प्रक्षेपण पर इसरो को बहुत-बहुत बधाई. पूरा देश बेहद उत्साहित है और अपने सुपर वैज्ञानिकों पर बेहद गर्व महसूस कर रहा है. इसके सभी उद्देश्यों को पूरा करने की कामना.
Aditya L1 Mission: पीएम मोदी ने इसरो को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि 'चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा जारी रखी है. भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य -एल1 के सफल प्रक्षेपण के लिए, इसरो के हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई. संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करने के लिए हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे.'
आदित्य-L1 की सफल लॉन्चिंग पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसरो को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए सनशाइन मूमेंट है. हम सभी का भाग्य है कि हम श्रीहरिकोटा में बनने वाले एक सफल इतिहास का हिस्सा हैं. भारत के पहले सौर मिशन के सफल प्रक्षेपण के लिए टीम #ISRO को बधाई. बता दें कि PSLV से अलग होकर आदित्य-L1 अपनी यात्रा पर निकल चुका है.
आदित्य-L1 अपनी यात्रा पर निकल चुका है. PSLV-XL रॉकेट से आदित्य-L1 अलग हो चुका है और अपनी यात्रा पर निकल गया है. यहां से इसकी 125 दिन की यात्रा शुरू हो चुकी है. यहां से यह धरती के चारों तरफ 16 दिनों तक पांच ऑर्बिट मैन्यूवर करके सीधे धरती की गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र यानी स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस (SOI) से बाहर जाएगा.
Aditya L1 Mission: आदित्य-L1 को लेकर उड़ान भरे PSLV-XL रॉकेट के चौथे स्टेज का इंजन दोबारा ऑन हो चुका है. आदित्य-L1 सही दिशा में जा रहा है. सभी तंत्र ठीक से काम कर रहे हैं. इसकी पुष्टि हो चुकी है. आदित्य-L1 का वजन 1480.7 किलोग्राम है. लॉन्च के करीब 63 मिनट बाद रॉकेट से आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट अलग हो जाएगा.
Aditya L1 Mission: श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 को लेकर इसरो के पीएसएलवी रॉकेट ने सफलतापूर्वकल उड़ान भर ली है. आज सुबह 11:50 बजे इसे लॉन्च किया गया. जब मिशन को लॉन्च किया गया तो उस दौरान श्रीहरिकोटा के व्यूवर्स गैलरी में मौजूद भीड़ ने 'भारत माता की जय' के नारे लगाए. थोड़ी ही देर में आदित्य-एलवन अपनी तय कक्षा में पहुंचेगा.
Aditya L1 Mission: आदित्य-L1 के साथ सूरज की स्टडी करने के लिए सात पेलोड्स भी शामिल हैं. इसमें PAPA पैलोड की काफी चर्चा है. ये अपने खास नामकरण की वजह से भी लोगों की उत्सुकता का केंद्र है. PAPA यानी प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य. यह सूरज की गर्म हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स और भारी आयन की दिशाओं की स्टडी करेगा. कितनी गर्मी है इन हवाओं में इसका पता करेगा. इसके साथ ही चार्ज्ड कणों यानी आयंस के वजन का भी पता करेगा.
Aditya L1 Mission: आदित्य-L1 अपनी यात्रा की शुरुआत लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) से कर चुका है. PSLV-XL रॉकेट कुछ देर में आदित्य- L1 को उसके लिए तय किए गए LEO में छोड़ देगा. यहां से यह धरती के चारों तरफ 16 दिनों तक पांच ऑर्बिट मैन्यूवर करके सीधे धरती की गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र यानी स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस (SOI) से बाहर जाएगा. यहां से आदित्य-L1 को हैलो ऑर्बिट (Halo Orbit) में डाला जाएगा. जहां पर L1 प्वाइंट होता है. इस यात्रा में इसे 109 दिन लगेंगे. आदित्य-L1 को दो बड़े ऑर्बिट में जाना है, लिहाजा यह यात्रा बेहद कठिन है.
Aditya L1 Launch Live: आदित्य-L1 का वजन 1480.7 किलोग्राम है. लॉन्च के करीब 63 मिनट बाद रॉकेट से आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट अलग हो जाएगा. रॉकेट वैसे तो आदित्य को 25 मिनट में ही तय कक्षा में पहुंचा देगा. यह इस रॉकेट की सबसे लंबी उड़ानों में से एक है.
Aditya L1 Launch Live: ISRO अपने पहले सूर्य मिशन PSLV-C57/Aditya-L1 मिशन को लॉन्च कर चुका है. लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से तय समय 11:50 बजे की गई. यह लॉन्चिंग पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट से की गई है. इस रॉकेट की यह 25वीं उड़ान थी. रॉकेट PSLV-XL आदित्य को उसके तय ऑर्बिट में छोड़ने निकल गया है. लॉन्च के करीब एक घंटे बाद आदित्य-एलवन अपनी तय कक्षा में पहुंचेगा.
Aditya L1 Mission: चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है. ISRO के सूर्य मिशन Aditya-L1 को आज सुबह 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस स्टेशन से लॉन्च किया गया. अब लॉन्चिंग के ठीक 125 दिन बाद यह अपने पॉइंट L1 तक पहुंचेगा. इस पॉइंट पर पहुंचने के बाद Aditya-L1 बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा.
Aditya L1 Launch Live: सभी वैज्ञानिक अपने कंसोल पर समय बीतते हुए देख रहे हैं. अब सिर्फ 4 मिनट लॉन्चिंग के लिए बाकी हैं. इस रॉकेट के लिए खास अरेंजमेंट ऑफ पेरीजी (AOP) की व्यवस्था करनी पड़ती है. इसलिए इस रॉकेट का चौथा स्टेज एक बार में आदित्य को तय ऑर्बिट में नहीं पहुंचाएगा. पहले 30 सेकेंड के लिए ऑन होगा. जब तक आदित्य तय AOP हासिल नहीं कर लेता, चौथा स्टेज उसे छोड़ेगा नहीं.
Aditya L1 Launch Live: आदित्य-L1 के लिए ऑटोमेटिक लॉन्च सीक्वेंस (ALS) जारी है. सभी जांच सुचारू रूप से जारी हैं. लॉन्च व्यू गैलरी में मौजूद लोग उत्साह से लबरेज हैं और बड़ी ही रोमांचक भीड़ है जो कि उस पल की प्रतीक्षा कर रही है, जब आदित्य-L1 उड़ान भरेगा. लॉन्च के लिए सिर्फ 6 मिनट बाकी रह गए हैं.
Aditya L1 Launch Live: Aditya-L1 को PSLV-XL रॉकेट अंतरिक्ष में छोड़ेगा. ये रॉकेट आदित्य-L1 को धरती की निचली कक्षा में छोड़ेगा. इसकी पेरिजी 235 किलोमीटर और एपोजी 19,500 किलोमीटर होगी है. पेरीजी का मतलब है धरती से नजदीकी दूरी और एपोजी का अर्थ है अधिकतम दूरी. आदित्य-L1 का वजन 1480.7 किलोग्राम है. लॉन्च के करीब 63 मिनट बाद रॉकेट से आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट अलग हो जाएगा.
सतीश धवन स्पेस सेंटर में आदित्य-L1 मिशन के लिए ऑटोमेटिक लॉन्च सीक्वेंस शुरू कर दिया गया है. Aditya-L1 को PSLV-XL रॉकेट अंतरिक्ष में छोड़ेगा. एक्सएल वैरिएंट की 25वीं उड़ान है. लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से हो रही है. यह रॉकेट 145.62 फीट ऊंचा है. लॉन्च के समय इसका वजन 321 टन रहता है. यह चार स्टेज का रॉकेट है. उड़ान के लिए केवल 11 मिनट बचे हैं.
Aditya L1 Launch Live: लैरेंज प्वाइंट जिसे शॉर्ट फॉर्म में L कहा जा रहा है. आदित्य-L1 को सूर्य के निकट इसी पाइंट पर पहुंचना है. यह नाम गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैरेंज के नाम पर दिया गया है. इन्होंने ही इन लैरेंज प्वाइंट्स को खोजा था. जब किसी दो घूमते हुए अंतरिक्षीय वस्तुओं के बीच ग्रैविटी का एक ऐसा प्वाइंट आता है, जहां पर कोई भी वस्तु या सैटेलाइट दोनों ग्रहों या तारों की गुरुत्वाकर्षण से बचा रहता है. आदित्य-L1 के मामले में यह धरती और सूरज दोनों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से बचा रहेगा.
आदित्य- L1 के लिए काउंट डाउन शुरू हो चुका है. स्टेप बाय स्टेप लान्चिंग के आखिरी चरण पूरे किए जा रहे हैं. सतीश धवन स्पेस सेंटर और मिशन लॉन्च पैड के स्थल के आसपास मौसम साफ है. हवा बह रही है. मिशन की लॉन्चिंग को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी हुई है. बड़ी संख्या में लोग उस पल का गवाह बनने के लिए बेकरार हैं, जब आदित्य-L1 मिशन सूर्य की ओर उड़ान भरने के लिए ल़ॉन्च किया जा रहा है.
Aditya L1 Launch Live: ISRO के सूर्य मिशन यानी Aditya-L1 की सफलता के लिए देशभर में प्रार्थनाएं की जा रही हैं. जम्मू में छात्रों ने इस मौके पर खुशी जाहिर की. एक छात्र ने बताया कि हम सूर्य मिशन को लेकर बहुत उत्साहित हैं. यह गर्व का पल है. हमारा पूरा स्कूल इसरो के साथ है और इसकी सफल लॉन्चिंग की कामना कर रहा है. हमें भारतीय होने पर गर्व है.
देशभर में सूर्य मिशन Aditya-L1 को लेकर लोगों में उत्साह है. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब Aditya-L1 सूर्ययान की सफलता के लिए कांदिवली के मिथिला हनुमान मंदिर में हवन किया जा रहा है. वाराणसी में भी मिशन की सफलता की कामना के लिए हवन किया जा रहा है. ऐसी ही नजारा उत्तराखंड में भी देखने को मिल रहा है, जहां सूर्य मिशन की सफलता के लिए पूजा-पाठ और विशेष पूजा की जा रही है.
Aditya L1 Launch Live: श्रीहरिकोटा में लॉन्चिंग के लिए मौसम एकदम उपयुक्त है. हवा 13 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल रही है. तापमान 33-34 डिग्री सेल्सियस के बीच है. हवा की वजह से ह्यूमिडिटी ज्यादा नहीं है. आसमान में हल्के-फुल्के बादल हैं, लेकिन उससे लॉन्च में कोई दिक्कत नहीं होगी.
Aditya L1 Mission Launch: खगोल वैज्ञानिक सोमक रायचौधरी ने कहा कि सूर्य मिशन Aditya-L1 की क्षमता विज्ञान के क्षेत्र में बड़ा चमत्कार करने की है. लेकिन सूर्य से निकलने वाले कणों से पृथ्वी पर संचार को नियंत्रित करने वाले सैटेलाइट्स प्रभावित हो सकते हैं.
Aditya L1 Mission: ISRO के पूर्व वैज्ञानिक मनीष पुरोहित ने कहा कि इसरो और भारत के लिए यह बहुत बड़ा कदम है. देश की नई अंतरिक्ष नीति के साथ यह स्पष्ट है कि इसरो स्पेस इकोनॉमी में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा. इसलिए इसरो ने स्पष्ट रूप से इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है.
Aditya L1 Mission: 16 दिनों तक आदित्य-L1 धरती के चारों तरफ चक्कर लगाएगा. इस दौरान पांच ऑर्बिट मैन्यूवर होंगे, ताकि सही गति मिल सके. इसके बाद आदित्य-L1 का ट्रांस-लैरेंजियन 1 इंसर्शन (Trans-Lagrangian 1 Insertion - TLI) होगा. फिर यहां से उसकी 109 दिन की यात्रा शुरू होगी. जैसे ही आदित्य-L1 पर पहुंचेगा, वह वहां पर एक ऑर्बिट मैन्यूवर करेगा. ताकि L1 प्वाइंट के चारों तरफ चक्कर लगा सके.
Aditya L1 Mission Lunch: इसरो सूर्य की गतिविधि समझने के लिए जिस Aditya-L1 मिशन को लॉन्च कर रहा है, उसमें PSLV-XL रॉकेट बेहद जरूरी भूमिका निभाने वाला है. यह वह रॉकेट है जो Aditya-L1 को अंतरिक्ष में छोड़ेगा. यह पीएसएलवी की 59वीं उड़ान है. एक्सएल वैरिएंट की 25वीं उड़ान है. लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 2 से हो रही है. यह रॉकेट 145.62 फीट ऊंचा है. रॉकेट आदित्य-L1 को धरती की निचली कक्षा में छोड़ेगा. जिसकी पेरिजी 235 किलोमीटर और एपोजी 19,500 किलोमीटर होगी. पेरीजी यानी धरती से नजदीकी दूरी और एपोजी यानी अधिकतम दूरी.
पढ़िए पूरी खबर- Aditya L1 PSLV Rocket: जानिए उस फौलादी रॉकेट की ताकत... जो आदित्य को करेगा सूर्य की ओर रवाना
Aditya L1 Launch Live:आदित्य एल1 मिशन पर, पद्मश्री पुरस्कार विजेता और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक मायलस्वामी अन्नादुराई ने कहा, "एल1 बिंदु तक पहुंचना और उसके चारों ओर एक कक्षा में लगातार घूमना तकनीकी रूप से बहुत ही चुनौती भरा है. इसके साथ ही बेहद सटीक पॉइंट पर पांच वर्षों तक लगातार सर्वाइव करना भी बहुत चुनौतीपूर्ण है. यह वैज्ञानिक रूप से बेहद फायदेमंद होने वाला है क्योंकि सात उपकरण, उन घटनाओं को जानने-समझने की कोशिश करेंगे कि वहां क्या हो रहा है.
Aditya L1 Mission: खगोलशास्त्री और प्रोफेसर आरसी कपूर ने आदित्य एल1 लॉन्च पर बहुत ही जरूरी बात शेयर की है. लॉन्चिंग से पहले उन्होंने इस मिशन के बारे में बताते हुए कहा कि "यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है. आदित्य एल1 में शामिल सबसे महत्वपूर्ण उपकरण सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेगा. आम तौर पर, इसका अध्ययन केवल पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान ही किया जा सकता है."
Aditya L1: सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT): सूरज के फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर इमेजिंग करेगा. यानी नैरो और ब्रॉडबैंड इमेजिंग होगी.
सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS): सूरज को बतौर तारा मानकर वहां से निकलने वाली सॉफ्ट एक्स-रे किरणों की स्टडी करेगा.
हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS): यह एक हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर है. यह हार्ड एक्स-रे किरणों की स्टडी करेगा.
आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX): यह सूरज की हवाओं, प्रोटोन्स और भारी आयन के दिशाओं और उनकी स्टडी करेगा.
प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA): यह सूरज की हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स और भारी आयन की दिशाओं और उनकी स्टडी करेगा.
एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर्स: यह सूरज के चारों तरफ मैग्नेटिक फील्ड की स्टडी करेगा.
आदित्य-एल1 भारत का पहला सोलर मिशन है. सबसे महत्वपूर्ण पेलोड विजिबल लाइन एमिसन कोरोनाग्राफ (VELC) है. इसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने बनाया है. इसमें 7 पेलोड्स हैं. जिनमें से 6 पेलोड्स इसरो और अन्य संस्थानों ने बनाया है. आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट को धरती और सूरज के बीच एल1 ऑर्बिट में रखा जाएगा. यानी सूरज और धरती के सिस्टम के बीच मौजूद पहला लैरेंजियन प्वाइंट. इसलिए उसके नाम में L1 जुड़ा है. L1 असल में अंतरिक्ष का पार्किंग स्पेस है. जहां कई उपग्रह तैनात हैं. आदित्य-एल1 धरती से 15 लाख km दूर स्थित इस प्वाइंट से सूरज की स्टडी करेगा. करीब नहीं जाएगा.
लॉन्चिंग के बाद आदित्य-एल1 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करेगा. यह चांद की दूरी से करीब चार गुना ज्यादा है. लॉन्चिंग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है PSLV-XL रॉकेट. जिसका नंबर है PSLV-C57. आदित्य अपनी यात्रा की शुरुआत लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) से करेगा. उसके बाद यह धरती की गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्र यानी स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस (SOI) से बाहर जाएगा. यह थोड़ी लंबी चलेगी. इसके बाद इसे हैलो ऑर्बिट (Halo Orbit) में डाला जाएगा. जहां पर L1 प्वाइंट होता है. यह प्वाइंट सूरज और धरती के बीच में स्थित होता है. लेकिन सूरज से धरती की दूरी की तुलना में मात्र 1 फीसदी है. इस यात्रा में इसे 109 दिन लगने वाले हैं.
सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर यानी फोटोस्फेयर का तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस रहता है. उसके केंद्र का तापमान अधिकतम 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस रहता है. ऐसे में किसी यान या स्पेसक्राफ्ट का वहां जाना संभव नहीं है. धरती पर इंसानों द्वारा बनाई गई कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जो सूरज की गर्मी बर्दाश्त कर सके. इसलिए स्पेसक्राफ्ट्स को सूरज से उचित दूरी पर रखा जाता है. या फिर उसके आसपास से गुजारा जाता है. ISRO आज सुबह 11.50 बजे आदित्य-एल1 मिशन लॉन्च करने जा रहा है. यह भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित ऑब्जरवेटरी (Space Based Observatory) है. आदित्य-एल1 सूरज से इतनी दूर तैनात होगा कि उसे गर्मी लगे तो लेकिन वह मारा न जाए. खराब न हो. उसे इसी हिसाब से बनाया गया है.
आदित्य-L1 की लाइव लॉन्चिंग आप इन लिंक्स पर देख सकते हैं. लाइव लॉन्चिंग 11:20 से शुरू होगी.
इसके लिए आप इसरो की वेबसाइट... isro.gov.in पर जा सकते हैं.
आप फेसबुक पेज... facebook.com/ISRO पर भी विजिट कर सकते हैं
यूट्यूब... youtube.com/watch?v=_IcgGYZTXQw पर लाइव देखना भी अच्छा विकल्प हो सकता है.
और फिर डीडी नेशनल टीवी चैनल तो है ही.
आदित्य- L1 की लॉन्चिंग अब से तकरीबन तीन घंटे बाद होने वाली है. सामने आए शेड्यूल के मुताबिक आदित्य-L1 को आज यानी शनिवार सुबह 11:50 बजे लॉन्च किया जाएगा. आदित्य सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी करेगा. सौर हवाओं के विभाजन और तापमान की स्टडी करेगा. सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा.
इसरो का सूर्यमिशन सूर्य से जुड़े कई रहस्यों को उजागर करने के लिए काम करने वाला है. आदित्य-L1 जिस खास काम के लिए भेजा जा रहा है उनमें सबसे पहले तो ये शामिल है कि, सौर तूफानों के आने की वजह क्या है और सौर लहरों और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर पड़ता है, यह भी पता लगाएगा.
सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर यानी फोटोस्फेयर का तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस रहता है. उसके केंद्र का तापमान अधिकतम 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस रहता है. ऐसे में किसी यान या स्पेसक्राफ्ट का वहां जाना संभव नहीं है. धरती पर इंसानों द्वारा बनाई गई कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जो सूरज की गर्मी बर्दाश्त कर सके.
पढ़ें पूरी खबरः Aditya L1 Mission: सूरज तक नहीं जाएगा Aditya-L1, 14.85 करोड़ किलोमीटर दूर से करेगा
इस मिशन का मकसद सूर्य के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटाना है. मून मिशन की तरह इसरो आदित्य-L1 की लॉन्चिंग का लाइव टेलीकास्ट करेगा. इसे आप 'आजतक' पर लाइव देख सकते हैं. इसके अलावा इसरो के यूट्यूब और फेसबुक पेज पर भी इसका लाइव प्रसारण होगा.
आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक फीसदी दूरी तय करके L-1 पॉइंट पर पहुंचा देगा. L1 सूरज और धरती की कुल दूरी का एक फीसदी हिस्सा है. यानी 15 लाख किलोमीटर. जबकि, सूरज से धरती की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है.