इसरो, डीआरडीओ और वायुसेना ने मिलकर रविवार सुबह आरएलवी (RLV) के लैंडिग मिशन को सफलतापूर्व अंजाम दिया. इसरो ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है.
अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर इसरो ने लिखा, भारत ने कर दिखाया. (India Achieved it). ये सफल परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में अंजाम दिया गया. ये अंतरिक्ष यान बिल्कुल नासा के उस स्पेस शटल जैसा दिखता है जिसने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में सबसे बड़े ट्रांसपोर्टर के तौर पर काम किया था.
RLV lands on a runway pic.twitter.com/hXdKlII57J
— ISRO (@isro) April 2, 2023
कर्नाटक के चित्रदुर्ग एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में हुआ मिशन
इस मिशन का आयोजन एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR), चित्रदुर्ग कर्नाटक में किया गया था. इस दौरान लैंडिंग युद्धाभ्यास किया गया और करीब 7:40 पर ATR एयरपोर्ट पर एक लैंडिंग पूरी की गई. स्पेस री एंट्री व्हीकल की लैंडिंग ठीक उसी हाई स्पीड से की जाती है जैसे अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष से आता है.
ऐसे कराई गई सफल लैंडिंग
स्पेसक्रॉफ्ट ने रविवार सुबह भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से उड़ान भरी थी. इसे हैवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर पर सतह से 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर अंडरस्लंग वेट के रूप में लॉन्च किया गया था. एक बार जब यह परीक्षण ऊंचाई पर पहुंच गया, तो आरएलवी को हवा के बीच छोड़ दिया गया. इसके छोड़ने के बाद रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल ने हल्की स्पीड से उड़ान भरा.
इसके कुछ देर बाद उसे लैंडिंग गियर के साथ खुद ही एटीआर में लैंड कराया गया. यहां से RLV खुद सुबह 7:40 बजे जमीन पर उतरा. इसके लिए RLV ने अपने इंटीग्रेटेड नेविगेशन और गाइडेंस एंड कंट्रोल सिस्टम का इस्तेमाल किया. RLV लैंडिंग ठीक उसी प्रकार कराई गई जैसा कि अंतरिक्ष से लौटने के वक्त होता है.
इस दौरान यान की रफ्तार बहुत अधिक होती है. इसरो ने कहा कि यह दुनिया में पहली बार है कि एक पंख वाले शरीर को हेलीकॉप्टर द्वारा 4.5 किमी की ऊंचाई पर ले जाया गया है और रनवे पर स्वायत्त लैंडिंग करने के लिए छोड़ा गया है.