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'सनातन को गाली देना फैशन, कोई मौलाना पर बोले तो सर तन से जुदा...', धीरेंद्र शास्त्री के समर्थन में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने खुलकर धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन किया है. केंद्रीय मंत्री बोले, यह देश का दुर्भाग्य है कि सनातन को गाली देना फैशन हो गया है. कोई मुस्लिम धर्म के प्रमुख को कुछ नहीं कह सकता, क्योंकि वहां सर तन से जुदा हो जाता है. गिरिराज सिंह ने कहा आज तक कोई मोहम्मद साहब पर फिल्म बनी है क्या?

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धीरेंद्र शास्त्री के समर्थन में गिरिराज सिंह
धीरेंद्र शास्त्री के समर्थन में गिरिराज सिंह

देश में इन दिनों बागेश्वर वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री का मुद्दा काफी चर्चा में है. कई लोग उनका खुलकर विरोध कर रहे हैं तो कुछ लोग उनके समर्थन में भी हैं. ऐसे में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने खुलकर धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन किया है. केंद्रीय मंत्री बोले, यह देश का दुर्भाग्य है कि सनातन को गाली देना फैशन हो गया है. कोई मुस्लिम धर्म के प्रमुख को कुछ नहीं कह सकता, क्योंकि वहां सर तन से जुदा हो जाता है. सनातन के सामर्थ्य को बिना विज्ञान के तराजू में तौले कोई अगर उनको गाली देता है तो ये सनातन को चुनौती है, धीरेंद्र महाराज को नहीं. उन्होंने कहा कि सनातन की शक्ति भी इसी में छुपी है.

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गिरिराज सिंह ने कहा आज तक कोई मोहम्मद साहब पर फिल्म बनी है क्या? मोहम्मद साहब की जीवनी खुली किताब है, कोई उनपर फिल्म क्यों नहीं बनाता. मौलानाओं और पादरियों के ऐसे ही वीडियोज पर गिरिराज सिंह ने कहा कि ये सब वोट बैंक हैं. हिंदुओं को आपस में लड़ाकर ही वो लोग वोट पा रहे हैं. केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि जब तक देश में सनातन धर्म का बहुमत है तभी तक देश में लोकतंत्र है. 

'महापुरुषों में सामर्थ्य होता है'

बीते दिन उन्होंने बागेश्वर धाम के संत धीरेंद्र शास्त्री का समर्थन करते हुए कहा था कि भारत के सनातन धर्म में महापुरुषों में ऐसा सामर्थ्य होता है, इसलिए बिना जाने आरोप लगाना गलत है. बिहार के बेगूसराय में केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने शनिवार को कहा कि भारत के मनीषियों में सनातन परंपरा है. उसमें कई महानुभाव महापुरुष हुए हैं. जो इस ढंग के चीजों (चमत्कार) को करने का सामर्थ्य रखते हैं. किसी के सामर्थ्य को बिना परखे हुए अंधविश्वास कहना उचित नहीं है.

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क्या है धीरेंद्र शास्त्री से जुड़ा पूरा विवाद? 

आपको बता दें कि महाराष्ट्र के नागपुर में पिछले दिनों बागेश्वर धाम सरकार के नाम से विख्यात धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 'श्रीराम चरित्र-चर्चा' का वाचन किया था. वहीं की अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने कथावाचक शास्त्री पर जादू-टोने और अंधश्रद्धा फैलाने का आरोप लगाया था. समिति के अध्यक्ष श्याम मानव ने कहा था कि 'दिव्य दरबार' और 'प्रेत दरबार' की आड़ में जादू-टोना को बढ़ावा दिया जा रहा है. दावा किया गया है कि अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति की वजह से दो दिन पहले ही यानी 11 जनवरी को ही धीरेंद्र शास्त्री की कथा संपन्न हो गई. 

ऐसा इसलिए क्योंकि समिति ने महाराष्ट्र के अंधश्रद्धा विरोधी कानून के तहत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर एफआईआर दर्ज करने की शिकायत दी थी. उधर, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी सफाई में कहा कि उनके गुरुजी के आने वाले जन्मोत्सव के चलते वह अपनी प्रस्तावित तीन कथाओं में से 2-2 दिन कम कर रहे हैं. इसी को लेकर यह मामला तूल पकड़ने लगा और जुबानी जंग दो धड़ों में बंट गई. कोई उनके प्रवचनों को अंध विश्वास बताता है तो कोई कहता है कि ये उनकी दैवीय शक्तियां हैं.

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