लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साइबर क्राइम और बच्चों पर पड़ रहे इसके प्रभावों को लेकर अहम जानकारी दी. सांसदों ने उनसे साइबर क्राइम से जुड़े सवाल किए, जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों के खिलाफ अपराध एक संवेदनशील विषय है. बच्चों के खिलाफ साइबर क्राइम रोकने के लिए, राज्य सरकारों के सहयोग से काम किया जा रहा है.
साइबर क्राइम पर एक नहीं, कई मंत्रालय एक-साथ काम करते हैं
राजस्थान से सांसद कनमल कटारा ने सवाल किया कि आजकल बच्चों के साथ किए जा रहे साइबर क्राइम को लेकर सरकार क्या कर रही है. इसपर अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकने के लिए, राज्य सरकारों के सहयोग से काम किया जा रहा है. इसमें सिर्फ आईटी मंत्रालय नहीं बल्कि, शिक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय और लॉ इनफोर्समेंट एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं. इसमें सबसे बड़ी व्यवस्था है इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर (I4C), जो गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है. इसमें पोर्टल भी चलाया जाता है और सभी राज्यों के साथ इसका कॉर्डिनेशन होता है. इसमें जिस भी राज्य से साइबर क्राइम के ज़्यादा मामले आते हैं वहां की पुलिस को अगर केंद्र की तरफ से टेक्नोलॉजी की मदद चाहिए होती है, तो वह उन्हें दी जाती है.
इसके अलावा, शिक्षा मंत्रालय ने भी सीबीएसई के जरिए, इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल के बारे में काफी जानकारी उपलब्ध कराई है. उन्होंने आगे कहा कि आईटी एक्ट में सेक्शन 67B के तहत भी, कई तरह के प्रावधान रखे गए हैं, जिन्हें राज्यों के साथ शेयर किया गया है, ताकि वे इसमें एक्शन ले सकें. इसमें राज्यों के साथ प्रयास किए जा रहे हैं.
साइबर कानून को सख्त करते हैं तो विपक्ष चिल्ला पड़ता है!
सवाल किया गया कि ऑनलाइन गेमिंग में फंसते बच्चों के लिए सरकार क्या प्रयास कर रही है. साथ ही, ऑनलाइन पढ़ाई के चलते जब बच्चों को फोन से दूर नहीं रखा जा सकता, ऐसे में उनके साथ आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं. इसको लेकर सरकार क्या कर रही है. इसपर आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव का कहना है कि जब भी हम साइबर कानून को सख्त करते हैं तो विपक्ष चिल्ला पड़ता है कि संविधान का गला घोंट दिया, विरोध करने लगता है. फ्रीडम ऑफ स्पीच की दुहाई दी जाती हैं. मैं साइबर क्राइम और बच्चों पर पड़ रहे इसके प्रभाव को बहुत जिम्मेदारी से रख रहा हूं, क्योंकि इसमें बहुत तेजी के साथ नए-नए आयाम खुल रहे हैं. इसमें रेग्यूलेश को और सख्त करने की ज़रूरत है.
ऑनलाइन गेमिंग पर राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर करने होंगे प्रयास
सीकर राजस्थान से सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने सवाल किया कि ऑनलाइन गेमिंग को रोकने के लिए सरकार क्या प्रयास कर रही है. इसपर जवाब दिया गया कि भारत की संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत 'रैग्यूलेशन एंड टैक्सेशन ऑफ बेटिंग एंड गैंबलिंग' 34 और 64 स्टेट लिस्ट के अंतर्गत आती है. इसमें, राज्यों को कानून बनाना होता है. ऑनलाइन बेटिंग और गैंबलिंग को रेग्यूलेट करने और प्रतिबंधित करने के लिए, अभी तक इस पर चार राज्यों ने कानून बनाया है. ये राज्य हैं- कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडू और आंध्रप्रदेश. इसके अलावा दो राज्यों, सिक्किम और नगालैंड ने इसे लीगलाइज़ भी कर दिया है. साथ ही, इस पर लाइसेंस की व्यवस्था भी की है. यह एक ऐसा विषय है जिसपर राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर ही कुछ प्रयास करना होगा.