श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजीटीए) ने रविवार को राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) से हैरिटेज बायलॉ के मसौदे को वापस लेने का अनुरोध किया है, जो श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर के लिए बनाए गए थे. एसजीटीए प्रशासन प्रमुख कृष्ण कुमार ने एनएमए को पत्र लिखते हुए बड़े पैमाने पर भगवान, भक्तों और सेवायतों के हितों की रक्षा का हवाला देते हुए इस नोटिफिकेशन को जल्द वापस लेने की बात कही है.
उन्होंने पत्र में लिखा है कि श्री जगन्नाथ न सिर्फ ओडिशा नहीं बल्कि देश-विदेश में फैले लाखों हिंदुओं के आराध्य देवता हैं. वे पूरी के मूल पीठ में ब्रह्मदारू के तौर पर पूजे जाते हैं. भक्त इनको लंबे समय से विश्व के देवता के रूप में पूजते आ रहे हैं. प्रधाकिरण को यह देखना चाहिए कि यह स्थान लाखों लोगों के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र है.
कुमार ने आगे पत्र में लिखा, 'मंदिर के आसपास बड़ी संख्या में लोग (शाही) रहते हैं. ये सेवायत परिवार से संबंद्ध रखते हैं और हजारों सालों से भगवान की सेवा करते आ रहे हैं. इनका श्री जगन्नाथ से अनादि काल का संबंध है.'
उन्होंने आगे लिखा, 'प्राधिकरण के इस नोटिफिकेशन से सेवायत परिवार बुरी तरीके से प्रभावित होंगे. इसलिए एनएमए को उनके अधिकारों पर रोक लगाने से पहले या कोई भी निर्णय लेने से पहले मंदिर प्रशासन से विचार-विमर्श करना चाहिए. सेवायतों पर किसी तरह के प्रतिकूल प्रभाव का असर सीधे सीधे भगवान श्री जगन्नाथ की अनुष्ठान के रिवाज पर पड़ता है.'
इस बीच पूरी के सांसद पिनाकी मिश्रा ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए इस फैसले को 'अपमानजनक प्रयास' बताया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने श्री मंदिर और लिंगराज मंदिर के परिवेश को बेहतर करने के लिए अथक प्रयास किया है. केंद्र सरकार इस तरह के फैसले से उनके असाधारण काम को बेपटरी करने का प्रयास कर रही है.
बता दें, एनएमए ने जो ड्राफ्ट बनाया है उसके अंतर्गत मंदिर के 100 मीटर के एरिया को 'निषिद्ध क्षेत्र' घोषित किया गया है. जहां पर किसी भी प्राइवेट या सरकारी एजेंसी द्वारा कोई निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता है. वहीं 200 मीटर के एरिया को 'नियंत्रित क्षेत्र' घोषित किया गया था. जहां निर्माण को लेकर रोक तो नहीं है लेकिन वो एनएमए से स्वीकृत होना चाहिए.