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क्या जगन्नाथ मंदिर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ भेदभाव किया गया? जानें हकीकत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की दिल्ली के हौजखास स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर की तस्वीर और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की इसी मंदिर की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इन तस्वीरों को वायरल कर यह आरोप लगाया जा रहा है कि आदिवासी होने की वजह से राष्ट्रपति मुर्मू को मंदिर में बैरिकेडिंग के पीछे से पूजा करनी पड़ी. लेकिन यह बात सच्चाई से कोसों दूर है.

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जगन्नाथ मंदिर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
जगन्नाथ मंदिर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

दो तस्वीरों का एक कोलाज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इसे शेयर करते हुए कई लोग तंज कस रहे हैं कि भगवान जगन्नाथ के जिस मंदिर में रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने मूर्ति के पास जाकर पूजा अर्चना की, उसी मंदिर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक लकड़ी के बैरिकेडिंग के पीछे से ही पूजा करनी पड़ी. ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि ये भेदभाव राष्ट्रपति के आदिवासी समाज से होने की वजह से बरता गया.

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लेकिन इन तस्वीरों की सच्चाई कुछ और ही है. हम आपको बताते हैं कि क्या है ये पूरा मामला.

कहां की और कब की हैं ये तस्वीरें?
 
असल में ये तस्वीरें दिल्ली के हौज खास स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर की हैं. राष्ट्रप​ति द्रौपदी मुर्मू वाली तस्वीर 20 जून  को उनके आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पोस्ट हुई थी. वहीं, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव वाली फोटो जुलाई 2021 की है.  

भगवान की मूर्ति के करीब कौन जा सकता है?  

श्री नीलांचल सेवा संघ, जगन्नाथ मंदिर, हौज खास के सचिव रवींद्र नाथ प्रधान ने हमें बताया, "जो लोग इस मंदिर में जाते हैं, उन्हें एक लकड़ी के बैरिकेडिंग के पीछे खड़े होकर ही भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने होते हैं. भगवान की मूर्ति के पास सिर्फ पुजारी जा सकते हैं. इस नियम के बारे में राष्ट्रपति जानती हैं और इसी वजह से उन्होंने बैरिकेडिंग के पीछे खड़े होकर दर्शन किए." 

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उन्होंने भी बताया कि साल में एक दिन यानी रथयात्रा वाले दिन, ये बैरिकेडिंग कुछ देर के लिए हटाई जाती है. उस दिन एक मुख्य अतिथि को आमंत्रित किया जाता है जो मूर्ति के पास जाकर भगवान जगन्नाथ का आह्वान करते हैं. यात्रा से संबंधित कुछ रस्मों को निभाते हैं. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की ये तस्वीर भी साल 2021 की है जब वो रथयात्रा वाले दिन बतौर मुख्य अतिथि मंदिर आए थे. यही वजह है कि उन्होंने भगवान की मूर्ति के पास जाकर पूजा की थी. 

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अलावा शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी रथयात्रा के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि इस मंदिर में आ चुके हैं. रवींद्रनाथ प्रधान के मुताबिक,  मंदिर में दर्शन करने के लिए सभी जातियों के लोग आ सकते हैं, किसी को मनाही नहीं है.

अब तक कोई महिला मंदिर में नहीं बनी है मुख्य अतिथि

एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि इस मंदिर में अभी तक रथयात्रा वाले दिन मुख्य अतिथि के तौर पर किसी महिला को आमंत्रित नहीं किया गया है. रवींद्र नाथ प्रधान कहते हैं, "दरअसल ऐसा रिवाज है कि "राजा" भगवान जगन्नाथ का आह्वान करते हैं. इसी वजह से अभी तक यात्रा के दिन मुख्य अतिथि के तौर पर पुरुषों को ही आमंत्रित किया गया है."  

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क्या बोले राष्ट्रपति के प्रवक्ता?  
 
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के प्रवक्ता सूरज कुमार महतो ने हमें बताया कि हौज खास के जगन्नाथ मंदिर में उनके साथ भेदभाव होने की बात सही नहीं है. वो हमेशा ही दूर से भगवान की पूजा करती हैं.

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