जमीयत उलेमा-ए हिंद के दो दिवसीय सम्मेलन के बाद संगठन के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी का सामना आजतक के सवालों से हुआ. आजतक के खास कार्यक्रम थर्ड डिग्री में मौलाना महमूद मदनी से पूछा गया कि देवबंद में सम्मेलन के दौरान आपके आंसू क्यों निकल आए थे, मुसलमानों के खिलाफ किस तरह का माहौल है जिसकी तरफ आप इशारा कर रहे थे. इस सवाल के जवाब में मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि हालात ऐसे हो गए हैं कि लोगों का रास्ता चलना मुश्किल हो गया है.
मुसलमानों को किस बात का डर है, जिसकी तरफ आपने सम्मेलन में इशारा किया, इस सवाल के जवाब में मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मैंने सिर्फ सिचुएशन की बात की थी और आजकल हालात ऐसे हो गए हैं कि लोगों का रास्ता चलना मुश्किल हो गया है.
मौलाना मदनी ने मध्य प्रदेश की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि हाल ही में एक जैन भाई को मुसलमान होने के शक में पीट-पीटकर मार दिया गया, लेकिन उसपर चर्चा भी नहीं हुई जैसे होनी चाहिए थी. बता दें कि इस घटना में एक जैन शख्स को मुस्लिम समझकर मार दिया गया था.
क्यों निकल आए थे आंसू?
28-29 मई को देवबंद में चले जमीयत के सम्मेलन के दौरान भाषण देते हुए मौलाना महमूद मदनी के आंसू निकल आए थे. उस भावुक क्षण की वजह बताते हुए मदनी ने बताया कि हाल के दिनों में हमारे अध्यक्ष और गुरु की मौत हो गई थी और मैं अध्यक्ष बन गया. आज कल के गर्म माहौल में बड़े हमारे साथ नहीं है.
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर क्या बोले मदनी
क्या ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर मुसलमानों में खौफ पैदा किया जा रहा है? इस सवाल के जवाब में मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि हमने इसे लेकर कोई डर का माहौल नहीं दिखाया है. जमीयत के सम्मेलन में ज्ञानवापी के बारे में कोई बात नहीं की गई है. मदनी ने कहा कि ज्ञानवापी को लेकर जमीयत के सम्मेलन में सिर्फ एक प्रस्ताव आया है और उसमें ये कहा गया है कि इस मुद्दे को लेकर मुसलमानों को सड़क पर नहीं आना चाहिए.
'ओवैसी की बात मत कीजिए'
ज्ञानवापी पर जब असदुद्दीन ओवैसी के रुख का उदाहरण दिया गया तो मौलाना मदनी ने कहा कि उनकी बात मत कीजिए, वो एक्स्ट्रा हैं. हमारा स्टैंड बहुत क्लीयर है. जमीयत का स्टैंड बताते हुए मदनी ने कहा कि ज्ञानवापी का मामला सड़क पर नहीं आना चाहिए. ये मामला या तो बातचीत से तय हो या कोर्ट से.
मौलाना मदनी ने कहा कि हम बातचीत की पहल भी नहीं करेंगे क्योंकि हम इसमें पक्षकार नहीं है, लेकिन मस्जिद इंतजामिया कमेटी हमारी मदद मांगेगी तो हम मदद जरूर करेंगे.
मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत का फैसला ये है कि ज्ञानवापी को लेकर सार्वजनिक तौर पर बात नहीं करनी है. क्योंकि मीडिया का एक वर्ग इसे हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा बनाकर मुल्क में जो खाई है उसे बड़ा करना चाहता है.