जम्मू कश्मीर की मौजूदा स्थिति और भविष्य क्या? 10 प्वाइंट में समझें
जम्मू कश्मीर की मौजूदा संवैधानिक स्थिति और भविष्य को आसानी से दस बिंदुओं में समझा जा सकता है. इसमें 370 हटने के बाद क्या बदला, आगे क्या संभावनाएं हैं, जानिए.
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साल 2019 में कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया गया था
- नई दिल्ली,
- 24 जून 2021,
- (अपडेटेड 24 जून 2021, 3:52 PM IST)
स्टोरी हाइलाइट्स
- जम्मू कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिया जा सकता है
- इसके पूरा होने में दो से तीन साल लग सकते हैं
जम्मू कश्मीर जिसका विशेष दर्जा दो साल पहले केंद्र सरकार ने खत्म कर दिया था, उसको लेकर सरकार का फ्यूचर प्लान क्या होगा, इसको लेकर चर्चाओं का दौर जारी है. राज्य का दर्जा वापस मिलना, विधानसभा की सीटों का बढ़ना, या ऐसी ही दूसरी संभावनाओं को लेकर चर्चा जारी है. लेकिन अगर कश्मीर के नेताओं से बातचीत के बाद पीएम मोदी इन बदलावों को मंजूरी भी देते हैं तो इन्हें होते-होते करीब तीन साल का वक्त लग जाएगा.
जम्मू कश्मीर की मौजूदा संवैधानिक स्थिति और भविष्य को आसानी से दस बिंदुओं में समझा जा सकता है. इसमें 370 हटने के बाद क्या बदला, आगे क्या संभावनाएं हैं जानिए.
- जम्मू कश्मीर के भारत गणराज्य में विलय की प्रक्रिया, विलय पत्र और विशेष दर्जे को खत्म करने की प्रक्रिया पर उठाए गए सवाल अभी भी जवाब के इंतजार में हैं. मामला कोर्ट में लंबित है.
- केंद्र सरकार ने स्पष्ट कह दिया है कि कश्मीर के नेताओं के साथ राज्य के भविष्य और हालात पर बात होगी और सुधार के उपाय तेज होंगे लेकिन समय का पहिया पीछे नहीं जाएगा. यानी जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35a को फिर से बहाल करने का कोई सवाल नहीं.
- रही बात पूर्ण राज्य का दर्जा देने की तो उसके लिए विधान सभा बहाल करनी पहली शर्त होगी. केंद्र सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि इसके लिए प्रक्रिया चालू है. लेकिन इसके पूरा होने में दो से तीन साल लग सकते हैं.
- विधान सभा बहाल करने के लिए चुनाव जरूरी है. चुनाव कराने के लिए राज्य विधान सभा के हलकों का नए सिरे से परिसीमन कराना होगा. परिसीमन आयोग इस बाबत काफी आगे बढ़ गया है. केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के सभी बीस जिलों के अधिकारियों को पूरे हलके के आंकड़े और जानकारियां विस्तार से तलब की गई हैं.
- परिसीमन आयोग और निर्वाचन आयोग के सूत्रों के मुताबिक आयोग के परिसीमन मसौदे को जनता के सुझाव और आपत्तियों के लिए सार्वजनिक किया जाएगा. फिर उन सुझाव, आपत्तियों और जनता की समस्याओं या शिकायतों को ध्यान में रखते हुए उसे अंतिम रूप दिया जाएगा. फिर विधान सभा क्षेत्रवार मतदाता सूची अपडेट की जाएगी. दिवंगत मतदाताओं के नाम हटाना और नए मतदाताओं के नाम जोड़कर फाइनल वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया में अभी डेढ़ से दो साल और लगने का अनुमान है.
- परिसीमन और मतदाता सूची के अपडेट के बाद विधान सभा चुनाव का आयोजन भी एक चुनौती होगा. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव और फिर जिला विकास परिषदों के चुनाव से सुधरते हालात का अंदाजा लग रहा है.
- केंद्रीय योजनाओं के सीधे लागू होने से राज्य के लोगों को आसानी और जनजीवन पर इसका असर देखा जा रहा है.
- 5 अगस्त 2019 को संसद में जम्मू कश्मीर के प्रशासनिक इंतजाम में बदलाव का प्रस्ताव पारित होते ही राज्य का विशेष दर्जा खत्म हो गया. दोहरी नागरिकता का प्रावधान ख़त्म हुआ. सिर्फ नागरिकता ही नहीं बल्कि दो निशान, दो प्रधान और दो विधान की व्यवस्था भी निरस्त हो गई. जम्मू कश्मीर भी देश के अन्य राज्यों की तरह सामान्य राज्य हो गया.
- अब पूरे देश के लिए संसद जो भी कानून बनाती है वो कश्मीर में भी समान रूप से लागू होते हैं. पहले ऐसा नहीं था. कोई भी कानून जम्मू कश्मीर में लागू होगा या नहीं ये फैसला वहां की विधान सभा तय करती थी जिसमें घाटी के नेताओं का बहुमत होता था और वो अपने हिसाब से राज्य के अवाम का मुस्तकबिल यानी भविष्य तय करते थे. अब वो सब खेल खत्म हो गया है.
- पूरे देश की तरह अब जम्मू कश्मीर में भी भारतीय दण्ड संहिता यानी आईपीसी लागू हो गई है. पहले ऐसा नहीं था. शिक्षा और सूचना का अधिकार भी अवाम को मिला. सफाई कर्मचारी एक्ट 1950 लागू होने के बाद अब राज्य में पीढ़ियों से रह रहे अनुसूचित जातियों के सफाई कर्मचारियों को नागरिकता और नागरिक अधिकार मिल गए हैं.