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क्या है Sticky bombs, जिसे अमरनाथ यात्रा के लिए बताया जा रहा खतरा, अफगानिस्तान-इराक में मचा चुका तबाही

अमरनाथ यात्रा में 3 लाख लोग शामिल हो सकते हैं. ये यात्रा 11 अगस्त तक चलेगी. अधिकारियों ने बताया कि यह फैसला किया गया है कि तीर्थयात्रियों और सुरक्षा बलों के वाहनों को आवाजाही के दौरान सुरक्षित स्थान पर रखा जाएगा. सुरक्षाबलों और श्रद्धालुओं के प्रबंधन को देखने वालों से कहा गया है कि कोई भी अपने वाहन को अकेला न छोड़े.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों ने बरामद किए स्टिकी बम
  • स्टिकी बम को किसी भी वाहन में आसानी से किया जा सकता है फिट
  • अफगानिस्तान-इराक में भी हो चुका इन बमों का इस्तेमाल

जम्मू कश्मीर में 30 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू होनी है. इससे पहले स्टिकी बम (sticky bombs) ने सुरक्षाबलों की चिंता बढ़ा दी हैं. इन बमों को आसानी से वाहनों में चिपकाया जा सकता है और इन्हें रिमोट के जरिए दूर से भी कंट्रोल भी किया जा सकता है. ऐसे में सुरक्षाबल अब श्रद्धालुओं के लिए बनाई गई एसओपी में बदलाव कर रहे हैं. 

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अधिकारियों के मुताबिक, गिरफ्तार आतंकवादियों और उनके सहयोगियों से पूछताछ में स्टिकी बम को लेकर खुलासा हुआ है. इसके अलावा सुरक्षाबलों ने कुछ स्टिकी बम को बरामद भी किया है. अधिकारियों का कहना है कि घाटी में आतंकियों के पास ये स्टिकी बम हो सकते हैं. 

हाल ही में पाकिस्तान से आए एक ड्रोन को लोगों ने देखा था. बाद में पुलिस ने हथियार बरामद भी किए थे. इनमें 7 स्टिकी बम (मैगनेटिक बम) बरामद किए थे. ऐसे में सुरक्षाबलों की चिंता बढ़ गई है और आगामी अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षाबलों ने रणनीति को बदलने का फैसला किया है. 

3 लाख लोग कर सकते हैं यात्रा

बताया जा रहा है कि अमरनाथ यात्रा में 3 लाख लोग शामिल हो सकते हैं. ये यात्रा 11 अगस्त तक चलेगी. अधिकारियों ने बताया कि यह फैसला किया गया है कि तीर्थयात्रियों और सुरक्षा बलों के वाहनों को आवाजाही के दौरान सुरक्षित स्थान पर रखा जाएगा. 

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इतना ही नहीं सुरक्षाबलों और श्रद्धालुओं के प्रबंधन को देखने वालों से कहा गया है कि कोई भी अपने वाहन को अकेला न छोड़े. उधर, एजेंसी से बातचीत में कश्मीर पुलिस आईजी विजय कुमार ने बताया कि सुरक्षाबल इस खतरे से निपट रहे हैं. हम पर्याप्त सावधानी बरत रहे हैं. 

क्या है स्टिकी बम, भारत में कब-कब आए चर्चा में?

स्टिकी बम आकार में बेहद छोटे होते हैं. इन्हें आसानी से किसी भी वाहन में चिपकाया जा सकता है. इसलिए इन्हें स्टिकी बम कहा जाता है. स्टिकी बम को आईईडी की तरह इस्तेमाल किया जाता है. स्टिकी बम कश्मीर में पिछले फरवरी से चर्चा में आए थे. इन्हें सबसे पहले जम्मू के सांबा से बरामद किया गया था. स्टिकी बम का इस्तेमाल अफगानिस्तान और इराक में होता है. भारत में इससे पहले 2012 में इजराइली राजनयिक के वाहन पर हमले में ईरान के संदिग्ध आतंकियों ने इसका इस्तेमाल किया था. 

एक्सपर्ट क्या बताते हैं?
 
अधिकारियों के मुताबिक, स्टिकी बम को दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना ने भी इस्तेमाल किया था. इसे किसी भी वाहन में लगाया जा सकता है और इसे रिमोट कंट्रोल या टाइमर के जरिए  ब्लास्ट कराया जा सकता है. जम्मू कश्मीर के कटरा में पिछले महीने बस में ब्लास्ट हुआ था. इसमें चार लोगों की मौत हो गई थी. इसमें भी NIA इसी एंगल से जांच कर रही है.

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मेजन जनरल एके सिवाच बताते हैं किये स्टीकी बम असल में बाहर से इन आतंकियों को भेजे गए हैं, पाकिस्तान ने ड्रोन की मदद से सुरंगों के जरिए इन बम को भारत पहुचाया है. अफगानिस्तान की लड़ाई के बाद अमेरिका वहा पर हजारों की तादाद में स्टीकी बम और हथियार छोड़ गया जिसको लश्कर ए तोयबा के माध्यम से इसे घाटी में पहुंचाया गया. उन्होंने आगे ये भी कहा कि हाल ही में ड्रोन का इस्तमाल इस तरह के हथियार और ड्रग्स को ले जाने के लिए पाकिस्तान कर रहा है. लंच बॉक्स में आईडी रखकर बॉर्डर क्रॉस करना उसका एक उदाहरण है.

कठुआ में चलाया गया था अभियान

स्टिकी बम बरामद करने के बाद एसएसपी कठुआ आरसी कोटवाल ने बताया था, बरामद किए गए स्टिकी बम अमरनाथ यात्रा को बाधित करने के लिए पाकिस्तान द्वारा भेजे हुए हो सकते हैं. इसके बाद पुलिस ने इलाके में जागरूकता अभियान भी चलाया था. पुलिस ने लोगों से किसी भी संदिग्ध परिस्थिति को देखकर अलर्ट होने और सूचना देने के लिए कहा था. इतना ही नहीं पुलिस ने लोगों से, बस ड्राइवर्स से वाहनों को चलाने से पहले चेक करने के लिए कहा था, ताकि स्टिकी बम जैसी किसी भी चुनौती का सामना किया जा सके. 
 

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