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'जम्मू कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा स्थाई नहीं', केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

जम्मू कश्मीर में अगस्त 2019 को उसका विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया गया था. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई हो रही है. केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू कश्मीर से जुड़े सवालों पर सरकार 31 अगस्त को सभी सवालों के जवाब देगी.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट लगातार सुनवाई कर रहा है. इस मामले पर मंगलवार को 12वें भी सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करेगा लेकिन लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा.

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केंद्र की ओर से कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरलत तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में संविधान पीठ की ओर से उठाए गए सवालों पर जवाब देते हुए कहा कि मेंने निर्देश लिए हैं. निर्देश ये है कि केंद्र शासित प्रदेश कोई स्थाई नहीं है. लेकिन मैं 31 अगस्त को सकारात्मक बयान दूंगा. लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा.

दरअसल पीठ ने सॉलिसिटर जनरल से केंद्र सरकार से निर्देश लेने को कहा था कि क्या जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने की कोई निश्चित समयसीमा है या नहीं. पीठ ने कहा कि हम समझते है कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. लेकिन लोकतंत्र की बहाली महत्वपूर्ण है.

इस पर सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाने का फैसला स्थायी नहीं है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब चीजें समान्य हो जाएंगी तो जम्मू कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा मिल जाएगा. 

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था? 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जम्मू कश्मीर का केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा स्थाई हीं है. इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा था कि यह कितना अस्थाई है? चुनाव कब कराए जाएंगे? इसे लेकर सरकार का रोडमैप क्या है?

मेहता ने कहा कि हमारे पास पूरा ब्लूप्रिंट है कि राज्यों का पु्नर्गठन होने पर केंद्र सरकार किस तरह काम करेगी. युवाओं को किस तरह मुख्यधारा में लाया जाएगा. 

इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि हम जम्मू कश्मीर को अन्य सीमावर्ती राज्यों से कैसे अलग कर सकते हैं? इस बात का क्या आश्वासन है कि ऐसा दोबारा नहीं होगा? जस्टिस खन्ना ने कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि सीमावर्ती राज्य होने की वजह से इसके साथ अलग व्यवहार किया जाए.

इस पर जवाब देते हुए मेहता ने कहा कि इस पर काफी विचार विमर्श किया गया है. एक विचार यह था कि युवाओं को मुख्यधारा में किस तरह वापस लाया जाए. ये वही युवा हैं, जिन्हें आंतकी समूहों में भर्तियां किया जाता था. 

इस पर सीजेआई ने कहा कि क्या भारतीय संसद के पास राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील करने की शक्ति है? आपको इन सवालों के जवाब देने होंगे. इस पर मेहता ने कहा कि सभी सवालों के जवाब 31 अगस्त को देने होंगे.

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