प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में गुरुवार को जम्मू-कश्मीर को लेकर एक अहम बैठक हुई. साल 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक हलचल की ये पहली बड़ी पहल है. करीब एक दर्जन नेताओं के साथ साढ़े तीन घंटे तक मंथन चला, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद रहे.
इस सबसे बड़ी राजनीतिक बैठक के बाद जम्मू-कश्मीर के भविष्यों को लेकर क्या निष्कर्ष निकला, वो कौन-से अहम मुद्दे थे जिनपर मंथन हुआ और आगे क्या हो सकता है, ये पांच अहम प्वाइंट्स समझिए...
1) परिसीमन: जम्मू-कश्मीर में अभी परिसीमन की प्रक्रिया चल रही है, सरकार की ओर से सभी राजनीतिक दलों से अपील की गई है कि वो इसमें सहयोग करें. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर लिखा है कि पूर्ण राज्य की प्रक्रिया में परिसीमन काफी जरूरी है.
2) विधानसभा चुनाव: जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने मीटिंग में राज्य में जल्द से जल्द सरकार बनाने की अपील की. तो वहीं, केंद्र सरकार की ओर से भी विश्वास दिलाया गया कि वो राज्य में जल्द से जल्द ही चुनाव कराना चाहते हैं. परिसीमन की प्रक्रिया के बाद चुनाव की ओर कदम बढ़ने की संभावना है. जम्मू-कश्मीर में 2018 के बाद से कोई चुनी हुई सरकार नहीं है.
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3) पूर्ण राज्य: जम्मू-कश्मीर के नेताओं की ओर से जो मुख्य मुद्दा रखा गया, उसमें पूर्ण राज्य का दर्जा शामिल है. नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और अन्य पार्टियों ने फिर ये बात दोहराई है. केंद्र सरकार की ओर से फिर विश्वास दिया गया है कि जम्मू-कश्मीर को सही समय पर पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा. अमित शाह का कहना है कि सरकार ने संसद में इसका वादा किया है, ऐसे में इसे पूरा किया जाएगा.
4) आर्टिकल 379, 35A: जम्मू-कश्मीर के कुछ नेताओं ने अनुच्छेद 370, 35ए को लेकर भी बैठक में बात की. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इसपर ज्यादा चर्चा नहीं हुई, क्योंकि अभी इससे जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में है. बैठक के बाद उमर अब्दुल्ला ने बयान जरूर दिया कि वो लोग 5 अगस्त के फैसले को नहीं मानते हैं.
5) लड़ी जाएगी अदालती लड़ाई: सरकार के साथ बैठक के बाद भले ही हर किसी ने जोश बढ़ाने वाले बयान दिए हैं. लेकिन अनुच्छेद 370, 35ए को लेकर तीखे तेवर जारी हैं. उमर अब्दुल्ला ने साफ किया है कि उनकी ओर से अदालत में भी लड़ाई लड़ी जाएगी, सरकार से भी वो अपील करेंगे क्योंकि वो 5 अगस्त, 2019 को नहीं मानते हैं.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में ये अहम बैठक पीएम आवास पर हुई थी, जो करीब साढ़े तीन घंटे चली. मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के कुल 14 नेता शामिल हुए थे, इनके अलावा अमित शाह, मनोज सिन्हा और केंद्र के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे. जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र बहाली, सामान्य हालातों की ओर इसे बढ़ता हुआ एक अहम कदम माना जा रहा है.