जम्मू-कश्मीर में आर्मी बेस पर ड्रोन हमले की साजिश का मसला संयुक्त राष्ट्र सभा में भी उठा है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि सामरिक और वाणिज्यिक संपत्तियों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए हथियारबंद ड्रोन के इस्तेमाल की संभावना पर वैश्विक समुदाय को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है.
गृह मंत्रालय के विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) वीएसके कौमुदी ने कहा कि आज आतंकवाद के प्रचार और कैडर की भर्ती के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया का दुरुपयोग हो रहा है, आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए नई भुगतान विधियों और क्राउडफंडिंग प्लेटफार्मों का इस्तेमाल हो रहा है और आतंकी अब ड्रोन तकनीकी का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
वीएसके कौमुदी ने कहा कि कम लागत वाला विकल्प होने के कारण आतंकी ड्रोन का तेजी से इस्तेमाल कर रहे हैं और यह आसानी से उपलब्ध है, ड्रोन के जरिए आतंकी हथियार या विस्फोटक एक जगह से दूसरे जगह तक आसानी से भेज रहे हैं, यह दुनिया भर में सुरक्षा एजेंसियों के लिए खतरा और चुनौती बन गया है.
गृह मंत्रालय के विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) वीएसके कौमुदी ने कहा कि रणनीतिक और वाणिज्यिक संपत्तियों के खिलाफ हथियारबंद ड्रोन के इस्तेमाल पर ध्यान देने की जरूरत है, हमने सीमा पार से हथियारों की तस्करी के लिए ड्रोन का उपयोग करने वाले आतंकवादियों को देखा है.
PM मोदी से मिलेंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. मुलाकात का एजेंडा अभी क्लियर नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि एयरबेस ड्रोन पर हमले और सीमाई इलाकों में देखे जा रहे ड्रोन को लेकर यह मीटिंग हो सकती है. इस मीटिंग में राजनाथ सिंह सेना की तैयारियों के बारे में बता सकते हैं.
क्या है पूरा मामला
जम्मू में लगातार ड्रोन दिखने से हड़कंप मच गया है. इसकी शुरुआत 26-27 जून की दरम्यानी रात जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन से विस्फोटक गिराने से हुई थी. शुरुआती जांच से पता चला है कि विस्फोटक में आरडीएक्स भी शामिल हो सकता है. अभी जम्मू ड्रोन अटैक की जांच ही चल रही है, 24 घंटे के अंदर फिर दो ड्रोन दिख गए.
इस बार इन ड्रोन का टारगेट जम्मू का ही कालूचक मिलिट्री बेस था. रविवार की रात को 11 बजकर 45 मिनट पर पहला ड्रोन दिखा. करीब तीन घंटे बाद रात 2 बजकर 40 मिनट पर दूसरा ड्रोन दिखा, एयरफोर्स स्टेशन पर एक दिन पहले ही हमला हो चुका था, इसलिए ड्रोन दिखते ही तुरंत हाई अलर्ट किया गया, क्विक रिएक्शन टीम एक्टिव हो गई.
अभी ये कहना मुश्किल है कि एयरफोर्स स्टेशन पर जो ड्रोन अटैक हुआ, उसमें ड्रोन सीमा पार से आए थे, क्योंकि बॉर्डर से एयर डिस्टेंस करीब 14-15 किलोमीटर है और इतनी दूर तक दो किलोग्राम वजन के विस्फोटक लेकर ड्रोन का उड़ान भरना और आसानी से पकड़ में ना आना, ये नामुमकिन सी बात है.