वित्त वर्ष 2025-26 के लिए झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने 145,400 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है, जिसे 'अबुआ बजट' नाम दिया गया है. इस बजट का शिक्षा, पर्यटन और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों पर फोकस है. इस बार के बजट में शिक्षा विभाग के लिए 15,198.35 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के लिए 2,409.20 करोड़ रुपये का प्रावधान है. स्वास्थ्य विभाग को 7,470.50 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
पिछले तीन वित्तीय वर्षों का बजट क्रमशः 1,01,101 करोड़ (2022-23), 1,16,418 करोड़ (2023-24) और 1,28,900 करोड़ रुपये (2024-25) था. कृषि विभाग के लिए 4,587.66 करोड़ रुपये और ग्रामीण विकास के लिए 9,841.41 करोड़ रुपये दिए गए हैं. 4 लाख किसानों के 2 लाख रुपये तक के कर्ज माफ करने के लिए 769 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
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पर्यटन विभाग के लिए 336 करोड़ रुपये का बजट
पर्यटन क्षेत्र में नई जान भरने के मकसद से पेत्रा, नेतरहाट जैसे स्थानों को पर्यटन क्षेत्र के अंतर्गत जोड़ा जाएगा और बजट में पर्यटन विभाग के लिए 336.64 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. सड़क निर्माण विभाग को 5,900.89 करोड़ रुपये और शहरी विकास और आवास विभाग के लिए 3,577.68 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है.
महिला और बाल विकास मंत्रालय को 22 हजार करोड़ से ज्यादा का आवंटन
महिला और बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग के लिए 22,023 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि 'माईआन योजना' के अंतर्गत 13,363.35 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे. इस योजना के तहत 58 लाख महिलाओं को प्रतिमाह 2500 रुपये दिए जाएंगे.
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सरकार का 61 हजार करोड रेवेन्यू का टार्गेट
वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकार 61,056.12 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करने का लक्ष्य रखती है. कुल बजट का 50% योजना और विकास विभाग के लिए आवंटित किया गया है, जो कुल 91,741.52 करोड़ रुपये है. योजना और गैर-योजना बजट का अनुपात 37:63 रखा गया है.
जनादेश को अपमानित करने वाला बजट- मरांडी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार द्वारा सदन में पेश बजट पर तीखी प्रतिक्रिया दी. मरांडी ने कहा कि यह बजट देखने में बड़ा है लेकिन प्राण विहीन है, ताकत विहीन है. उन्होंने कहा कि बजट में दूरदर्शिता का घोर अभाव है. इससे न राज्य की बेरोजगारी दूर होने वाली है न गरीबी दूर होगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार चुनावी घोषणाओं को बजटीय धरातल पर उतारने में पूरी तरह विफल साबित हुई. यह जनादेश को अपमानित करने वाला बजट है.