झारखंड के धनबाद में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के विरोध में यहां लोग चिपको आंदोलन का रास्ता अपनाए हुए हैं. अब पेड़ों की कटाई का खुलकर विरोध होने लगा है. पर्यावरण प्रेमी खुलकर पेड़ों की कटाई के खिलाफ सामने आए हैं.
धनबाद में मंगलवार को माइनिंग के लिए बीसीसीएल की आउटसोर्स कंपनी जब पेड़ काटने पहुंची तो उन्हें पर्यावरण बचाओ संघर्ष समिति और स्थानीय लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. इस वरोध की वजह से मंगलवार को सैकड़ो पेड़ कटने से बच गए.
यहां पेड़ों से चिपककर स्थानीय लोगों ने पेड़ नहीं काटने की गुजारिश की. इसके बाद आउटसोर्सिंग पैच चालू करने के लिए पेड़ काटने के लिए पुटकी पहुंचे पीबी एरिया के गोपालीचक कोलियरी प्रबंधन को लौटना पड़ा.
इस मामले पर पर्यावरण एक्टिविस्ट शशिभूषण ओझा मुकुल ने बताया कि कभी हाईवे के नाम पर तो कभी माइनिंग के नाम पर तो कभी किसी अन्य तरीके से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ेगा. पेड़ सांस लेने के साथ बहुत सारी चीजों के लिए जरूरी हैं.ऐसे में धनबाद के स्थानीय लोग और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की कोशिश वाकई काबिलेतारीफ है.
धनबाद में पर्यावरण बचाओ संघर्ष समिति मोर्चा के सदस्यों के अलावा महिला,पुरुष और युवाओं ने मंगलवार को पेड़ काटने पहुंचे अधिकारियों के सामने जमकर प्रदर्शन कर पेड़ों को काटने काटे जाने का विरोध किया. प्रबंधन ने आउटसोर्सिंग पैच के दायरे में आए पेड़ों को काटने की घोषणा की थी. लेकिन कड़े विरोध को देखते हुए उसे स्थगित कर दिया. पीसीसीएफ का कहना है कि जितने पेड़ काटे जाएंगे, उसके दस गुना पेड़ लगाने होंगे. उसकी देखरेख की जिम्मेदारी भी उसी संस्था की होती है,जो पेड़ काटती है.