झारखंड में 19 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को दी गई मौत की सजा पर रोक लगा दी है. जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट से संबंधित रिकॉर्ड तलब किए हैं.
झारखंड हाईकोर्ट का फैसला
झारखंड हाईकोर्ट ने पहले ही ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा के आदेश की पुष्टि की थी. अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़िता उस दिन कॉलेज से घर लौटी थी और रात में वह अकेली थी. अगली सुबह पड़ोसियों को उसका जला हुआ शव मिला, जिसके बाद मामले की जांच शुरू की गई.
पुलिस की कार्रवाई
पीड़िता के पिता ने दुष्कर्म और हत्या का संदेह जताते हुए स्थानीय पुलिस को शिकायत दर्ज कराई. प्रारंभिक जांच के बाद यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया. सीबीआई जांच में यह खुलासा हुआ कि आरोपी याचिकाकर्ता ने पीड़िता का पीछा किया था. मृतका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह पता चला कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया गया था और फिर डेटा केबल और बिजली के तार से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गई. डीएनए रिपोर्ट के आधार पर आरोपी की पहचान राहुल के रूप में हुई.
ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आईपीसी की धारा 302, 376, 449 और 201 के तहत दोषी ठहराते हुए उसे मौत की सजा सुनाई थी. अपील में झारखंड हाईकोर्ट ने भी दोषसिद्धि और सजा की पुष्टि की थी. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अगर ऐसे मामलों में मृत्युदंड नहीं दिया जाता तो समाज और पीड़ित को निराशा होगी. आरोपी ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा.