राजस्थान के जोधपुर जिले के शेरगढ़ के भूंगरा गांव में हुई गैस त्रासदी मामले में अब तक 33 लोगों की मौत हो चुकी है. महात्मा गांधी हॉस्पिटल के आईसीयू इंचार्ज डॉक्टर नवीन पालीवाल फिलहाल आइसोलेशन में हैं लेकिन उन्होंने गैस त्रासदी को लेकर 'आज तक' को अहम जानकारी दी.
'सूचना मिली- आग में झुलसे 50-60 मरीज आ रहे हैं'
पालीवाल ने बताया 'घटना के दिन मेरी ड्यूटी पूरी हो चुकी थी लेकिन हमारे पास 2 घंटे पहले हॉस्पिटल से इस घटना की सूचना आई तब हमने हमारे सभी स्टाफ को इमरजेंसी में बुला लिया. हमें बता दिया गया था की आग में झुलसे 50 से 60 मरीज आ रहे हैं लेकिन जैसे ही मरीज आने शुरू हुए तो लगभग 1 घंटे में सभी मरीज इमरजेंसी में भर चुके थे.'
'1 घंटे में आ चुके थे 53 मरीज'
पहले से सूचना मिलने से हमारे पास मैनपॉवर उपलब्ध हो गया था. हमने पहले दिन से ही यही सोच लिया था जिस मरीज को जितनी जरूरत है वही ट्रीटमेंट दिया जाएगा. हमारे पास 1 घंटे में 53 मरीज आए थे लेकिन हमारी टीम ने इस एक घंटे में ही सभी मरीज के ड्रेसिंग कर के इलाज शुरू कर दिया था. अगले 4 घंटे में जिस मरीज को आईसीयू में शिफ्ट करना था उसे हमने आईसीयू में शिफ्ट किया और जो मरीज वार्ड में शिफ्ट होने लायक था उसे हमने वार्ड में शिफ्ट कर दिया. इसके बाद अगले 6 घंटे के अंदर हमने हर एक मरीज के साथ एक नर्सिंग स्टाफ व तीन मरीजों के साथ एक डॉक्टर की ड्यूटी लगा रखी थी. यह सुविधा हमने 24 घंटे के लिए शुरू कर दी थी.
'अपनों को पहचान नहीं पा रहे थे परिवार वाले'
इसके बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा बाहर एक रूम में भर्ती मरीजों के रिश्तेदारों के लिए एक डेस्क पर 24 घंटे के लिए 2 लोगों की ड्यूटी लगा दी गई थी ताकि वे मरीजों के रिश्तेदारों को अंदर चल रहे इलाज की पल-पल अपडेट दे सकें. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि लोग इतने जल चुके थे कि उनके परिजन उन्हें पहचान ही नहीं पा रहे थे.
'100% जल चुकी थी 7 साल की बच्ची'
डॉक्टर नवीन ने बताया कि हमारे पास सबसे पहले एक 7 साल की बच्ची धापू कंवर आई. वह इतनी जली हुई थी की हमें उसे पहचानने में 24 घंटे लग गए. वह बच्ची 100% जली हुई थी हम सब उस बच्ची को देखकर चौंक गए थे.
'बच्ची की हालत देखतक कुछ समझ ही नहीं आ रहा था'
पालीवाल ने बताया कि बच्ची की हालत देखकर हमारी टीम को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. उसकी चमड़ी सिर के बाल, आंखे... सबकुछ जल चुका था. ऐसे में हमने सबसे पहले उसके पूरे शरीर पर दवाई की लेयर डाली जिससे कि बॉडी में इंफेक्शन नहीं हो और क्योंकि बच्ची वेंटीलेटर पर थी तो हमने इनक्यूबेशन कार्डियक सपोर्ट भी देना शुरू कर दिया था. यूं तो हमें पता था कि यह बच्ची नहीं बच पाएगी लेकिन हम कोशिश कर रहे थे कि उसे किसी तरह बचा लें. हालांकि 24 घंटे बाद बच्ची की मौत हो गई.
'12 साल की नौकरी में पहली बार देखा ऐसा भयानक दृश्य'
डॉक्टर नवीन पालीवाल ने बताया कि मेरी 12 साल की नौकरी में पहली बार यह इतना भयानक दृश्य देखने को मिला. इन सभी भर्ती मरीजों में से 35 मरीज तो 60 प्रतिशत से ज्यादा जले हुए थे. इतनी बड़ी घटना मैंने पहली बार देखी थी, मैंने इस घटना के समय 12 घंटे ड्यूटी के अलावा दिन में, शाम में और रात में भी आईसीयू में जाकर मरीजों के बारे में लगातार अपडेट ली. हमने छोटे बच्चों के लिए एम्स जोधपुर के डॉक्टर प्रदीप भाटिया की टीम से सलाह ली.
'मैं ICU से बाहर निकलता तो लोग उम्मीद भरी नजर से देखते'
पालीवाल ने आगे बताया कि जयपुर से भी डॉक्टरों की टीम हमारे पास आई थी. हमारी कोशिश यह थी कि जैसे तैसे करके हम जितने ज्यादा हो सके मरीजों को बचा लें. मैं जैसे ही आईसीयू से बाहर निकलता तो परिजन मेरी और देखते कि क्या पता डॉक्टर कुछ अच्छा बोले लेकिन हमें नहीं चाहते हुए भी उन्हें बोलना पड़ता था कि हम उनके मरीज को नहीं बचा सके.
अब भी जारी है 9 मरीजों का इलाज
फिलहाल जोधपुर के महात्मा गांधी हॉस्पिटल के आईसीयू में 9 मरीजों का इलाज चल रहा है जिस मैं से 4 मरीज 40% तो अन्य 5 मरीज 60% से ज्यादा जले हुए है. वहीं दूल्हे सुरेंद्र सिंह की लगातार रिकवरी हो रही है. सुरेंद्र सिंह का मुंह व थोड़ा हाथ जला हुआ है. अब तक इस पूरी गैस त्रासदी में दूल्हे के माता पिता समेत कुल 34 मरीजों की मौत हो चुकी है.
शादी का घर में फैला था मातम
जोधपुर जिले की शेरगढ़ तहसील के भूंगरा गांव में 8 दिसंबर (गुरुवार) को दूल्हा बना सुरेंद्र सिंह भरे-पूरे परिवार संग खड़ा था. दूसरी ओर बारात रवाना होने की तैयारी चल रही थीं. किसी पता था कि शादी के इस घर में जरा देर में मातम फैल जाएगा. दरअसल उस समय बारातियों के लिए चाय बन रही थी कि अचानक गैस सिलेंडर में धमाका हुआ. धमाके के साथ गैस पूरे घर में फैल गई और साथ ही आग लग गई. घर में सर्वाधिक महिलाएं और बच्चे थे. ये हादसा कितना भीषण था इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि आज घटना के 10वें दिन तक कुल 33 लोगों की मौत हो चुकी है और कई की स्थिति गंभीर है और उनका इलाज चल रहा है. वहीं दूल्हे के माता पिता की मौत हो चुकी है.
दूल्हे के भाई रविंद्र ने बताया कि इस हादसे में परिवार का सबकुछ जलकर राख हो गया है. आग लगने से दूल्हन ओमकंवर के लिए तैयार 20 तोले सोने के आभूषणों समेत अन्य बेटियों और बहुओं का करीब 50 तोला सोना भी पूरी तरह से जल गया.