जन विश्वास (संशोधन) बिल, 2022 (The Jan Vishwas Amendment of provision Bill 2022) को अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार ने एक्शन प्लान में तेजी ला दी है. दिसंबर में इस बिल को लोकसभा में पेश किया गया. उसके बाद बिल को दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजा गया था. सूत्रों के मुताबिक, अब जनविश्वास बिल पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) गठित कर दी गई है. जेपीसी ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट को सोमवार को अंतिम रूप दिया है.
बता दें कि जनविश्वास बिल के जरिए 42 केंद्रीय कानूनों में 183 अपराधों को गैरअपराध (Decriminalize) बनाया जाएगा. इससे Ease of doing Business और Ease of Living आसान होगी. अंग्रेजों के जमाने से कई कानूनों में अपराधों का प्रावधान है. जैसे रेलवे प्लेटफॉर्म पर भीख मांगना अपराध है, इसके लिए छह महीने तक सजा हो सकती है. जेपीसी ने इन 42 केंद्रीय कानूनों में सुधार के लिए 19 अलग-अलग मंत्रालयों से सलाह-मशविरा किया है.
ईडी की ताकत होने जा रही है कम?
दिलचस्प है कि एक सुधार पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act ) में भी है, जिसका ईडी विरोध कर रहा है. पीएमएलए के प्रावधानों को डिक्रिमिनेलाइज करने का प्रस्ताव है जिसका ईडी ने यह कह कर विरोध किया कि इससे जांच एजेंसी की ताकत कम होगी. जनविश्वास बिल में कई अपराधों में सजा के बजाए जुर्माने का प्रावधान है. इससे आम लोगों और कारोबारियों को अपने काम में आसानी होगी.
कोर्ट का बोझ होगा कम, जेलों में भीड़ भी ना होगी
डिक्रिमिनेलाइज करने से अदालतों का बोझ भी कम होगा और जेलों में भीड़ कम करने में भी मदद मिलेगी. जिन कानूनों में प्रावधानों को डिक्रिमिनेलाइज किया जा रहा है, उनमें पर्यावरण संरक्षण कानून, आईटी ऐक्ट, मोटर व्हीकल ऐक्ट, प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट शामिल है.
इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि Jan Vishwas (Amend of Provisions) Bill, 2022 में कारोबार की सुगमता के लिए छोटे अपराधों से जुड़े प्रावधानों में संशोधन की व्यवस्था है.