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धर्म का एकतरफा अनादर समस्याएं पैदा कर रहा है, काली पोस्टर विवाद पर बोले अमीश त्रिपाठी

काली पोस्टर विवाद पर लेखक अमीश त्रिपाठी ने कहा है कि ये विवाद कनाडा में कुछ पोस्टर के साथ शुरू हुआ, जहां मां काली को धूम्रपान करते हुए दिखाया गया था. लेकिन अगर ईमानदारी से कहा जाए तो मुझे नहीं पता कि मांस खाने का धूम्रपान से क्या लेना-देना है.

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पौराणिक कथाओं के लेखक अमीश त्रिपाठी. (फोटो- पीटीआई)
पौराणिक कथाओं के लेखक अमीश त्रिपाठी. (फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • देवी काली पोस्टर विवाद पर क्या बोले अमीश त्रिपाठी
  • पौराणिक कहानियों को नए कलेवर में लिखने के लिए प्रसिद्ध हैं अमीश
  • 'धर्म का एकतरफा अपमान चिंताजनक'

पौराणिक कहानियों पर कई सीरीज लिख चुके कथाकार अमीश त्रिपाठी ने देवी काली से जुड़े पोस्टर विवाद पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि एक धर्म का एकतरफा अनादर देश में समस्याएं पैदा कर रहा है. उन्होंने कहा कि देश में कुछ धर्मों को निहायत ही अपमान किया जाता है जबकि वहीं पर कुछ धर्म ऐसे हैं जिन्हें बड़ा रुतबा और सम्मान दिया जाता है. 

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टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की टिप्पणी जिक्र करते हुए अमीश त्रिपाठी ने कहा कि 'कनाडा में कुछ पोस्टर के साथ विवाद शुरू हुआ जहां मां काली को धूम्रपान करते हुए दिखाया गया था. अगर ईमानदारी से कहा जाए तो मुझे नहीं पता कि मांस खाने का धूम्रपान से क्या लेना-देना है. मुझे लगता है कि ये दोनों पूरी तरह से अलग अलग मुद्दे हैं. 

अमीश त्रिपाठी ने कहा कि पश्चिम दुनिया में ईसाइयत पर तीखा प्रहार किया जाता है, लेकिन दूसरे धर्मों को छोड़ दिया जाता है. भारत में जिस धर्म पर प्रहार किया जाता है वो हिन्दुत्व है. उन्होंने कहा कि ये धर्म को लेकर असंतुलन है या तो आप सभी धर्मों की आलोचना करें या फिर सभी का बराबरी से सम्मान करें. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि धर्म का एकतरफा अपमान मुश्किलें पैदा कर रहा है. 

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भारत के पौराणिक पात्रों पर कई कहानियां लिख चुके अमीश त्रिपाठी ने कहा कि मैं चाहूंगा कि धर्मों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने की हमारी परंपरा जारी रहे, इसके साथ ही इस पर सलीके से सवाल उठाया जाए. धर्म या देवता का अनादर करने की जरूरत नहीं है. आधुनिक हिन्दुत्व में जाति पर सवाल भगवद गीता के शब्दों का प्रयोग करके के भी किया जा सकता है. एक व्यक्ति आधुनिक इस्लाम में मिसोजनी (Misogyny) पर सवाल करने के लिए खादिजा का उदाहरण दे सकता है. आधुनिक ईसाई धर्म में बाल शोषण  पर सवाल उठाने के लिए जीसस क्राइस्ट के सच्चे संदेश का प्रयोग किया जा सकता है, जरूरी नहीं है कि इसके लिए किसी भी धर्म का अपमान किया जाए. 

अमीश त्रिपाठी ने दावा किया कि सभी धर्मों का सम्मान करने का ये संतुलन तब तक प्रभावी नहीं रह सकता जबतक जबतक कट्टरपंथी वोक (Woke) मार्क्सवादी और कट्टरपंथी इस्लामी धर्म के प्रति अपना एकतरफा अनादर जारी रखते हैं. 

हिन्दू धर्म में पितृ सत्ता और ब्राह्मणवादी प्रभुत्व के महुआ मोइत्रा के आरोपों के जवाब में अमीश त्रिपाठी ने कहा कि महुआ स्वयं ब्राह्मण हैं, लेकिन इस देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राष्ट्रपति और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार ब्राह्मण नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हमें सामूहिक अपराधबोध की भावना बनाए जाने के खिलाफ लड़ने की जरूरत है. 

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