यूनेस्को ने रविवार को तेलंगाना में स्थित काकतीय रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर को विश्व धरोहर में शामिल कर लिया है. वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने इस सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि सभी को बधाई, खासकर तेलंगाना की जनता को, प्रतिष्ठित रामप्पा मंदिर महान काकतीय वंश के उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है. मैं आप सभी से इस राजसी मंदिर परिसर की यात्रा करने और इसकी भव्यता का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने का आग्रह करूंगा.
बता दें कि वारंगल स्थित यह शिव मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है, जिसका नाम इसके शिल्पकार रामप्पा के नाम पर रखा गया. इतिहास के अनुसार काकतीय वंश के राजा ने इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में करवाया था. सबसे बड़ी बात यह है कि उस काल में बने ज्यादातर मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, लेकिन कई आपदाओं के बाद भी इस मंदिर को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा है. यह मंदिर हजार खंभों से बना हुआ है.
Excellent! Congratulations to everyone, specially the people of Telangana.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 25, 2021
The iconic Ramappa Temple showcases the outstanding craftsmanship of great Kakatiya dynasty. I would urge you all to visit this majestic Temple complex and get a first-hand experience of it’s grandness. https://t.co/muNhX49l9J pic.twitter.com/XMrAWJJao2
वहीं उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ट्वीट करते हुए लिखा कि यह गौरव का विषय है कि तेलंगाना के पालमपेट स्थित, 13वीं सदी के काकातिया रुद्रश्वेर (रामप्पा) मंदिर को यूनेस्को द्वारा वैश्विक धरोहर स्वीकार किया गया है. यह तेलंगाना की प्राचीन संस्कृति की समृद्धि का प्रमाण है. तेलंगाना के निवासियों की सृजनात्मकता का अभिनंदन करता हूं. मेरी बधाई!
गौरव का विषय है कि तेलंगाना के पालमपेट स्थित, 13वीं सदी के काकातिया रुद्रश्वेर (रामप्पा) मंदिर को यूनेस्को द्वारा वैश्विक धरोहर स्वीकार किया गया है। यह तेलंगाना की प्राचीन संस्कृति की समृद्धि का प्रमाण है। तेलंगाना के निवासियों की सृजनात्मकता का अभिनंदन करता हूं। मेरी बधाई! pic.twitter.com/puiVsQSPdy
— Vice President of India (@VPSecretariat) July 25, 2021
क्या है मंदिर का इतिहास
तेलंगाना के काकतिया वंश के महाराजा गणपति देव ने सन 1213 में इन मंदिर का निर्माण शुरू करवाया था. मंदिर के शिल्पकार रामप्पा के काम को देखकर महाराजा गणपति देव काफी प्रसन्न हुए थे और इसका नाम रामप्पा के नाम पर रख दिया था. रामप्पा को मंदिर निर्माण में 40 साल का समय लगा था. छह फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर बने इस मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण के दृश्य देखे जा सकते हैं. शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां काफी श्रद्धालु पहुंचते हैं.
(वरुण सिन्हा)