ईवीएम और मतदाता पहचान पत्र के मुद्दे पर निर्वाचन आयोग को ज्ञापन सौंपने पहुंचे तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसदों के बीच हुए विवाद से पार्टी में हड़कंप मच गया है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे घटनाक्रम से मुख्यमंत्री और पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी बेहद नाराज़ हैं. ममता बनर्जी ने साफ तौर पर कहा है कि कोई भी सांसद इस विवाद को आगे न बढ़ाए और न ही मीडिया में बयानबाज़ी करे. पार्टी के अंदरूनी मामलों को सार्वजनिक मंच पर लाने से बचने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि अब कोई भी सांसद इस मुद्दे पर इंटरव्यू नहीं देगा, और पार्टी की छवि को नुकसान नहीं पहुंचाएगा.
दरअसल, गुरुवार को टीएमसी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल निर्वाचन आयोग को ज्ञापन देने गया था. इस दौरान दो लोकसभा सांसदों और वरिष्ठ नेता कल्याण बनर्जी के बीच तीखी बहस हो गई. बात निजी आरोपों, चोर और एजेंट कहे जाने तक जा पहुंची. महिला सांसद ने तो कल्याण बनर्जी पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराने और गिरफ्तारी की धमकी तक दे दी. अन्य सांसदों ने बीच-बचाव कर मामला शांत कराया.
सूत्रों के मुताबिक, सांसदों को सुबह 9:30 बजे पार्टी कार्यालय बुलाया गया था, लेकिन ज्ञापन कल्याण बनर्जी के पास था जो सीधे निर्वाचन आयोग पहुंच गए. इसी बात को लेकर कई सांसदों में नाराजगी थी.
वीडियो लीक होने के बाद कल्याण बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई दी कि उन्हें डेरिक ओ’ब्रायन की ओर से 27 सांसदों के ज्ञापन पर हस्ताक्षर कराने का निर्देश मिला था. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को बेवजह तूल दिया जा रहा है. उन्होंने कहा, "अगली सुबह जब मैं EC कार्यालय पहुंचा, तो एक महिला सांसद मुझ पर चिल्लाने लगी कि उनके नाम को जानबूझकर सूची में नहीं रखा गया. वो ऊंची आवाज़ में चिल्ला रही थीं, मैंने भी जवाब दिया. फिर वो सीधे BSF जवानों के पास जाकर बोलीं- इस आदमी को गिरफ्तार करिए."
बनर्जी ने यह भी कहा कि डेरिक ओ’ब्रायन ने उन्हें मेसेज किया था कि 27 सांसदों के हस्ताक्षर लेकर ज्ञापन EC को सौंपना है. बाद में बताया गया कि सभी सांसदों को 9:30 बजे दफ्तर पहुंचना होगा. उन्होंने आरोप लगाया कि पूरा मामला बेवजह तूल पकड़ा गया.
उन्होंने कहा कि मैं 40 साल से राजनीति में हूं. मैंने सीपीआईएम, कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. मैं सिर्फ़ अडानी और मोदी के खिलाफ नहीं लड़ता. आप मुझे संसद में जानते हैं. लेकिन इस महिला के पास मोदी और अडानी के अलावा राजनीति में कोई और मुद्दा नहीं है. वह कभी किसी अन्य बीजेपी नेता को चुनौती नहीं देती, न ही बंगाल से. उन्होंने मेरी गिरफ़्तारी की मांग करने की हिम्मत कैसे की? वह कौन हैं? मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई कि प्रतिनिधिमंडल में कौन शामिल होगा. स्वाभाविक रूप से उनके बयान के बाद मुझे गुस्सा आ गया.