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कन्नौज पुलिस का अनोखा 'न्याय', भैंस पर ही छोड़ा असली मालिक पहचानने का काम

एक भैंस के दो मालिक होने के दावेदार सामने आने पर पुलिस ने मालिक को पहचानने का काम खुद भैंस से करवाया. विवाद उस समय शुरू हो गया जब बरामद भैंस के 2-2 दावेदार कोतवाली पहुंच गए और भैंस अपनी होने का दावा करने लगे.

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सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 3 दिन पहले चोरी हो गई थी भैंस
  • मुखबिर की सूचना पर भैंस हुई बरामद
  • दोनों दावेदारों ने अपने अंदाज में भैंस को पुकारा
  • आवाज सुनकर अपने मालिक के पास गई भैंस

पुलिस के न्याय करने की दास्तां तो आपने बहुत सुनी होगी, लेकिन कन्नौज में पुलिस का एक अनोखा न्याय लोगों के बीच खूब चर्चा का विषय बना हुआ है. कन्नौज पुलिस ने चोरी की बरामद भैंस को उसके असली मालिक के पास जाने के लिए खुद भैंस को ही फैसला करने का मौका दे दिया.

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एक भैंस के दो मालिक होने के दावेदार सामने आने पर पुलिस ने मालिक को पहचानने का काम खुद भैंस से करवाया. विवाद उस समय शुरू हो गया जब बरामद भैंस के 2-2 दावेदार कोतवाली पहुंच गए और भैंस अपनी होने का दावा करने लगे.

पुलिस जब फैसला करने में असमर्थ रही तो भैंस को दोनों दावेदारों के बीच में छोड़ दिया. फिर क्या था, भैंस अपने असली मालिक को पहचानते हुए उसके पीछे चल दी.  

कन्नौज जिले के तिर्वा कोतवाली क्षेत्र के अलीनगर निवासी धर्मेंद्र की भैंस 3 दिन पहले चोरी हो गई थी. 3 दिन पहले ही तालग्राम के वीरेंद्र की भैंस भी चोरी हुई थी. इस बीच मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने चोरी की भैंस बरामद कर ली.

भैंस बरामद होने की जानकारी मिलते ही धर्मेंद्र और वीरेंद्र तिर्वा कोतवाली पहुंच गए. दोनों भैंस पर अपना दावा कर रहे थे. पुलिस ने दोनों दावेदारों की दलीलें सुनी, लेकिन वह जब दोनों का फैसला नहीं करवा पाई तो उसने मालिक पहचानने का काम भैंस पर ही छोड़ दिया.

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भैंस ने पहचाना मालिक

कोतवाली के एसएसआई विजयकांत मिश्र ने दोनों दावेदारों के बीच में भैंस छोड़ दी. दोनों ने आवाज देकर भैंस को अपनी तरफ बुलाया. थोड़ी देर बाद भैंस ने अपने असली मालिक धर्मेंद्र को पहचान लिया और उसके पीछे पीछे चल दी.

एसएसआई के इस सूझबूझ भरे निर्णय की जमकर सराहना हो रही है. भैंस का दूसरा दावेदार भी इस फैसले से सहमत हो गया. वह चुपचाप अपने गांव वापस चला गया.

एसएसआई विजयकांत मिश्रा ने बताया कि एक भैंस का मामला आया था. दोनों पक्ष यही कह रहे थे मेरी भैंस है. फिर मैंने फैसला भैंस के ऊपर ही डाल दिया जिसकी भैंस होगी उसके साथ चली जाएगी. मामला निपट गया. जिसकी भैंस थी उसके साथ वह चली गई. दूसरा पक्ष संतुष्ट हो गया कि भैंस उसी की है. 


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