सुप्रीम कोर्ट देशद्रोह या राजद्रोह मामले में 11 मई को सुबह 10:30 बजे फिर से सुनवाई करेगा. कोर्ट ने केंद्र सरकार को हिदायत देते हुए कहा कि इस कानून के तहत लंबित केसों और भविष्य के मामलों को सरकार कैसे संभालेगी, वह इस पर अपना रुख साफ करे.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जिक्र किया. सिब्बल ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि हम जितनी जल्दी राजद्रोह कानून से छुटकारा पा लें उतना अच्छा है. इस पर सॉलिसिटर जनरल पलटवार करते हुए कहा कि हम वही करने की कोशिश कर रहे हैं, जो पंडित नेहरू तब नहीं कर सके थे.
Sedition Law: राजद्रोह की धारा 124 A पर सरकार क्या चाहती है? क्या पूरी तरह खत्म होगा कानून?
पुलिस को कार्रवाई करने से क्यों नहीं रोक सकते?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि देशद्रोह कानून पर पुनर्विचार किया जा रहा है लेकिन दंड कानून वैसे ही बरकरार रहेगा. यह देश की संप्रभुता और अखंडता का सवाल है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि जमीनी स्तर पर देशद्रोह कानून से कौन निपट रहा है? पुलिस अधिकारी, स्थानीय पुलिस स्टेशन आदि. आप उन्हें कानून पर पुनर्विचार प्रक्रिया पूरी होने तक इसके तहत कार्रवाई स्थगित रखने का निर्देश क्यों नहीं दे सकते?
जिन पर देशद्रोह साबित हुआ उनका क्या होगा?
SC ने सुनवाई के दौरान केंद्र से पूछा कि उन लोगों का क्या होगा जिन्हें पहले ही इस मामले में सजा सुनवाई जा चुकी है या फिर पुनर्विचार याचिकार पर सुनवाई पूरी होने तक जिन्हें सजा सुनवाई जा सकेगी? SC सुनवाई पूरी होने तक देशद्रोह कानून स्थगित रखने का सुझाव दिया.
गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में तीन पेज का हलफनामा दायर किया है. इस हलफनामे के बाद एक और हलफनामा दायर किया गया था. इस हलफनामे में सरकार ने केदारनाथ के मामले में हुए फैसले का हवाला दिया था. इस फैसले में कोर्ट ने राजद्रोह कानून को सही ठहराया था.
पीएम मोदी ने कानून के दुरुपयोग पर जताई चिंता
पीएम मोदी ने राजद्रोह कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताई है. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, सरकार औपनिवेशिक बोझ दूर करने के लिए काम कर रही है. केंद्र सरकार ने कहा है कि औपनिवेशिक कानून हटाने की दिशा में काम किया जा रहा है.
सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में ये कहा गया है कि राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार न किया जाए. कोर्ट को केंद्र सरकार की ओर से पुनर्विचार की कवायद पूरी होने तक इंतजार करना चाहिए.