कोरोना के कप्पा वैरिएंट (kappa variant) के नए मामले सामने आने के बाद लोग इसको लेकर चिंता में हैं. उत्तर प्रदेश के बाद अब राजस्थान में कप्पा वैरिएंट के 11 मामले सामने आए हैं. इससे पहले यूपी में भी कप्पा वैरिएंट के दो मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे में कप्पा वैरिएंट को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल हैं.
सबसे पहले आपको बताते हैं कि डेल्टा की तरह कप्पा भी कोरोना वायरस (kappa variant of covid 19) के डबल म्यूटेंट मतलब दो बदलावों से सामने आया है. इसे B.1.617.1 भी कहा जाता है. कप्पा को लेकर उठ रही चिंताओं पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉक्टर वीके पॉल पहले ही बयान दे चुके हैं. उन्होंने कहा था कि कोरोना का यह वैरिएंट नया नहीं है, पहले से मौजूद था.
वहीं, जब यूपी में कप्पा के मामले मिलने के बाद अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद से सवाल पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि कोई चिंता की बात नहीं है. यह कोरोना का बस एक अलग वैरिएंट है, जिसको ठीक किया जा सकता है.
कोरोना वायरस को VOI और VOC में बांटा गया है
बता दें कि कप्पा वैरिएंट सबसे पहले अक्टूबर 2020 में भारत में पाया गया था. फिर 4 अप्रैल 2021 को इसे वायरस ऑफ इंट्रेस्ट (VOI) श्रेणी में जगह दी गई. अब वायरस ऑफ इंट्रेस्ट का मतलब (voi and voc difference) क्या है उसे समझिए. WHO ने फिलहाल कोरोना वायरस के 8 वैरिएंट को अलग-अलग कैटेगिरी में रखा है. इसमें से चार वायरस ऑफ इंट्रेस्ट हैं और चार वायरस और कंसर्न. इंट्रेस्ट कैटेगिरी जिसमें कप्पा भी शामिल है, उसमें वायरस पर नजर रखी जाती है. दूसरा यानी वायरस और कंसर्न का मतलब है कि यह वैरिएंट तेजी से फैल रहा है और चिंता का विषय है. इलमें अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा शामिल हैं.
क्या है वायरस ऑफ इंट्रेस्ट
जब म्यूटेशन में वायरस के स्ट्रक्चर में बदलाव आता है और उसका बर्ताव बाकी के अलग होता है तो उसपर नजर रखी जाती है. ऐसे में भी जो नया वैरिएंट आता है, संक्रमण फैलाने लगता है तो उसपर नजर रहती है. ऐसे किसी भी वायरस पर नजर बनाए रखने के लिए उसे वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट (VOI) श्रेणी में रखा जाता है. इस श्रेणी में आने का मतलब वह वैज्ञानिकों की नजर में है. इसपर क्लीनिकल डेटा जमा किया जाता है, इसकी संक्रमण दर, कितना घातक है यह सब देखा जाता है.
कप्पा वैरिएंट के लक्षण और बचाव
कोरोना के बाकी वैरिएंट की तरह ही कप्पा वैरिएंट के लक्षण (kappa variant symptoms) हैं. इसमें बुखार, खांसी, स्वाद-गंध का चले जाना, बदन दुखना, सिर दर्द, मुंह सूखना आदि शामिल है. किसी किसी केस में आंखों और नाक से पानी आना, शरीर पर लाल निशान पड़ना भी देखा गया है. कोरोना से किसी भी वैरिएंट से बचने के लिए जरूरी है कि मास्क लगाए जाए और सामाजिक दूरी का पालन किया जाए.