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कर्नाटक में बजरंग दल 'बैन' मुद्दा: BJP के लिए गेम चेंजर या कांग्रेस की मुस्लिम वोट साधने की कवायद

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव नजदीक है. उससे पहले कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर सियासत गरमा गई है. बीजेपी ने कांग्रेस के बजरंग दल पर 'प्रतिबंध' लगाने के मुद्दे पर हमला तेज कर दिया है. इसे हनुमानजी से जोड़कर कांग्रेस की कार्यशैली पर उठाए जा रहे हैं. इस मसले को जोर-शोर से उठा रही बीजेपी को कर्नाटक में हिंदू बहुसंख्यक एकजुट होने की उम्मीद है.

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कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र पर बीजेपी हमलावर है. (फाइल फोटो)
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के घोषणा पत्र पर बीजेपी हमलावर है. (फाइल फोटो)

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में प्रचार अपने अंतिम दौर में पहुंच गया है. इस बीच, कांग्रेस के घोषणा पत्र का एक वादा गले की फांस बन गया है. सत्ता में आने पर कांग्रेस पार्टी द्वारा बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वादा चर्चा का विषय बना है. भाजपा ने इसे मुद्दा बना दिया है और कांग्रेस पर हिंदू विरोधी और विशेष रूप से हनुमान विरोधी होने का आरोप लगाया है. जिस दिन कांग्रेस का घोषणापत्र जारी किया गया, उसी दिन प्रधानमंत्री ने इसे अपने चुनावी अभियान में केंद्र बिंदु बनाया. ऐसे में राजनीतिक जानकार भी सोच रहे हैं कि क्या यह विवाद गेम चेंजर साबित होगा.

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बीजेपी ने जो स्टैंड लिया है वह यह है कि कांग्रेस ने जो बजरंग दल पर बैन लगाने का वादा किया है, उससे हनुमानजी के भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है. बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का मतलब स्वयं हनुमानजी का विरोध करना है. अगर इसी तर्क को और आगे बढ़ाया जाए तो जनता दल का कोई भी विरोध जनता - आम जनता की आलोचना होगी.

बीजेपी ने बनाया मुद्दा और कांग्रेस को घेरा

दरअसल, पिछले एक सप्ताह के दौरान चुनावी अभियान में एक उलटफेर की उम्मीद की जा रही थी. कई कारणों से राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ एक भावना दिखाई दे रही थी. लेकिन, जब कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो की घोषणा की और उसमें बजरंग दल-पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के बारे में वादा किया तो भाजपा ने इसे तुरंत मुद्दा बनाया और बजरंग दल पर प्रस्तावित प्रतिबंध और इसे हनुमानजी के साथ जोड़कर एक अभियान के रूप उठाना शुरू कर दिया. 

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'बीजेपी को हिंदुओं के एकजुट होने की उम्मीद'

बजरंग दल पर प्रतिबंध को हनुमानजी पर एक्शन के रूप में पेश करके भाजपा को कर्नाटक में हिंदू बहुमत हासिल करने की उम्मीद है. इन सबके बीच, एक महत्वपूर्ण सवाल है, जो हर किसी का ध्यान आकर्षित करता है. वह यह है कि क्या कर्नाटक इस तरह के मुद्दों के लिए एक मुफीद जमीन है. यहां चार बिंदुओं पर विचार करने की जरूरत है. 

'कर्नाटक में चार मसलों पर विचार करने की जरूरत'

सबसे पहले दक्षिण में सामाजिक-सांस्कृतिक ढांचा उत्तर और पश्चिमी भारत में पाए जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक ढांचे से बहुत अलग है. कर्नाटक ने हिंदुत्व कंसोलिडेशन की स्पष्ट सीमाएं देखी हैं. दूसरा, यह तर्क दिया जा सकता है कि 2018 के चुनाव अभियान के आसपास हिंदुत्व कंसोलिडेशन की संभावना एक वृहद स्तर पर पहुंच गई थी. 

- यह स्पष्ट करता है कि हिजाब प्रतिबंध जैसे मुद्दे चुनाव अभियान में सबसे आगे क्यों नहीं रहे. तीसरा, जो लोग इस मुद्दे पर भाजपा का समर्थन करेंगे, वे पहले से ही पार्टी का समर्थन कर रहे हैं. अंत में, क्या यह मुद्दा राज्य सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को ठंडे बस्ते में डालने के लिए पर्याप्त है?

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-कांग्रेस के लिए भी यह मुद्दा एक मौके के तौर पर देखा जा रहा है. पार्टी के घोषणापत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध उसके एक हिस्से के रूप शामिल है. लोकनीति-सीएसडीएस पोल संकेत देता है कि हर दस में से करीब छह मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं और उसके पक्ष में मतदान करने की संभावना है. बाकी लोग कमोबेश भाजपा और जेडीएस के बीच समान रूप से विभाजित हैं. 

'कांग्रेस की मुसलमानों के बीच मजबूती की पहल?'

कांग्रेस की रणनीति यह हो सकती है कि मुसलमानों के बीच अपने समर्थन को और मजबूत करने के लिए उन्हें अपने पक्ष में लाया जाए जो वर्तमान में जेडीएस और बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं. एसडीपीआई ने पहले ही समुदाय से एक ऐसे उम्मीदवार का समर्थन करने का आह्वान किया है, जो भाजपा के उम्मीदवार को हरा सकता है. इस प्रकार घोषणापत्र में यह वादा धार्मिक अल्पसंख्यकों के बीच समर्थन को और मजबूत करने का एक स्पष्ट प्रयास कहा जा सकता है.

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'कांग्रेस ने बीजेपी को हमला करने का दिया मौका'

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इस नई कहानी से एक और महत्वपूर्ण बदलाव आया है. कांग्रेस राज्य स्तर के मुद्दों से अपना ध्यान एक व्यापक राष्ट्रीय बहस पर केंद्रित करने के लिए मजबूर हो सकती है. पिछले कुछ महीनों से देखा जा रहा है कि कांग्रेस चुनावी एजेंडा सेट कर रही है और बीजेपी उसका जवाब दे रही है. बजरंग दल के मुद्दे ने भाजपा को पहल करने का मौका दिया और कांग्रेस को अपने रुख का बचाव करने की स्थिति में धकेल दिया. 

'चुनाव के चार दिन तय करेंगे लोगों का रुझान'

कांग्रेस नेतृत्व अब राज्य भर में हनुमान मंदिर बनाने के वादे के साथ सामने आया है. इस प्रकार, बहस की रूपरेखा राज्य सरकार की परफॉर्मेंस से जुड़े मुद्दों से हटकर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के कांग्रेस के वादे और हनुमान के अनादर के संबंध में बदल गई है. फिलहाल, इस कैंपेन के बाकी चार दिन यह संकेत देंगे कि राजनीतिक सरगर्मी में क्या कोई बदलाव होंगे या पिछले रुझान दोहराते देखे जा सकते हैं.

 

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