आमतौर पर लोग दक्षिण भारतीय व्यंजन इडली को बेहद चाव से खाते हैं लेकिन इसको लेकर कर्नाटक में एक बड़ा खुलासा हुआ है जिसके बाद राज्य सरकार ने 52 होटलों पर कार्रवाई की है. कर्नाटक खाद्य सुरक्षा विभाग ने राज्यभर में 52 होटलों में इडली बनाने के लिए पॉलीथीन शीट के अवैध इस्तेमाल का खुलासा किया है जिससे लोगों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है. इसको लेकर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने गुरुवार को जानकारी दी.
प्लास्टिक शीट से इडली बनाने पर सख्ती
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इडली बनाने में विशेष रूप से पतली पॉलीथीन शीट का उपयोग स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है, क्योंकि यह कैंसरकारी (कार्सिनोजेनिक) होती है. सरकार इस तरह की हानिकारक चीजों के इस्तेमाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है.
दरअसल खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों ने कर्नाटक के 250 स्थानों से इडली के नमूने एकत्र किए थे. स्वास्थ्य मंत्री राव ने कहा, 'पहले पारंपरिक रूप से इडली पकाने के लिए कपड़े का उपयोग किया जाता था, लेकिन हमें कुछ होटलों में प्लास्टिक शीट का उपयोग किए जाने की शिकायत मिली थी. इसी आधार पर हमने जांच की और 52 होटलों में प्लास्टिक का अवैध उपयोग पाया.'
प्लास्टिक से सेहत को गंभीर खतरा
जांच के दौरान मिले चौंकाने वाले नतीजों से स्वास्थ्य विभाग चिंतित है. मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि 'गर्म होने पर प्लास्टिक के हानिकारक तत्व इडली में मिल सकते हैं, जिससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती है.'
सरकार की सख्त कार्रवाई
मंत्री ने कहा कि दोषी होटलों पर पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी गई है, और सरकार खाद्य व्यंजनों में प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाएगी. उन्होंने जनता से अपील की कि यदि वो किसी होटल या रेस्टोरेंट में प्लास्टिक का उपयोग होता देखें तो तुरंत अधिकारियों को इसकी सूचना दें.
रंगीन फूड कलर पर भी प्रतिबंध
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि 2024 में कर्नाटक सरकार ने रॉडामिन-बी नामक खतरनाक खाद्य रंग पर प्रतिबंध लगाया था, जिसका व्यापक रूप से गोभी मंचूरियन और कॉटन कैंडी जैसे खाद्य पदार्थों में उपयोग किया जाता था.
राव ने कहा, 'हमने गोभी मंचूरियन की जांच के दौरान पाया कि इसमें खतरनाक रॉडामिन-बी रंग का उपयोग किया जा रहा था. यह स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है, इसलिए हमने इसे प्रतिबंधित कर दिया है. यदि कोई इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसे सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है, और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा.'