कर्नाटक हाईकोर्ट ने कांग्रेस कार्यालय के निर्माण के लिए हुबली में नगरपालिका की जमीन को काफी कम कीमत पर आवंटित करने के राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस कदम की आलोचना और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था.
फरवरी में कर्नाटक कैबिनेट ने हुबली-धारवाड़ में केशवपुर सर्किल के पास कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) को जिला कांग्रेस कार्यालय बनाने के लिए 2,988.29 वर्ग मीटर भूमि के आवंटन को मंजूरी दी थी.
गाइडेंस वैल्यू के अनुसार, 5.67 करोड़ रुपये कीमत वाली ये जमीन केवल 28 लाख रुपये के लिए आवंटित की गई थी जो इसकी वास्तविक लागत का लगभग 5 प्रतिशत है. इस साइट में वर्तमान में बड़े जल भंडारण टैंक हैं जो हुबली शहर को पीने के पानी की आपूर्ति करते हैं और जनता के लिए एक प्रतिबंधित क्षेत्र है.
सरकार के इस फैसले का हुबली-धारवाड़ नगर निगम के बीजेपी सदस्यों ने तीखा विरोध किया और कहा कि एक राजनीतिक पार्टी को सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए बनी जमीन आवंटित करना अनुचित है.
निगम सदस्य ने दी कोर्ट में चुनौती
निगम के सदस्य संतोष चव्हाण और बीरप्पा ने इस कदम को अदालत में चुनौती दी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप किया. उस वक्त आवंटन का बचाव करते हुए कानून मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा था, 'कर्नाटक में ऐसी परंपराएं हैं. जहां रियायतें दी जाती हैं. उसी के आधार पर हमने अतीत में विभिन्न पार्टियों को भूमि आवंटित की है. यह कोई नई बात नहीं है.'
हालांकि, भाजपा नेताओं ने इस फैसले की आलोचना की और कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह शासन से ज्यादा पार्टी के बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दे रही है. हाईकोर्ट के स्थगन के साथ सरकार द्वारा जमीन सौंपने का कदम अगली कानूनी कार्यवाही तक के लिए स्थगित रहेगा.