कर्नाटक हाई कोर्ट ने MUDA 'घोटाला' मामले में सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ किसी भी कार्रवाई पर तब तक रोक लगा दी है, जब तक राज्यपाल की मंजूरी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका की समीक्षा नहीं हो जाती. अदालत ने अगली सुनवाई 29 अगस्त की तारीख तय की है.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा कथित मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) घोटाले से संबंधित उन पर मुकदमा चलाने के लिए हाल ही में दिए गए आदेश को चुनौती दी थी.
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सिद्धारमैया का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि राज्यपाल की मंजूरी पक्षपातपूर्ण है और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कर्नाटक की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को कमजोर करने के एक व्यवस्थित कोशिश का हिस्सा है.
सिद्धारमैया के खिलाफ क्या है मामला?
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप है. दावा है कि डेवलपमेंट अथॉरिटी ने सीएम सिद्धारमैया की पत्नी को एक्सचेंज के तौर पर 14 लैंड-पीस आवंटित किए गए थे, जिसे अथॉरिटी ने अधिग्रहित किया था. मामले की जांच के लिए गवर्नर ने सीएम के खिलाफ जांच का आदेश दिया था. इसको लेकर कांग्रेस की तरफ से लगातार विरोध किया जा रहा है.
सिद्धारमैया ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा कथित MUDA घोटाले के सिलसिले में उनके खिलाफ जांच को मंजूरी देने के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने अपनी अर्जी में कहा था कि राज्यपाल द्वारा दिए गए जांच के आदेश में कोई दम नहीं है और ये कि उनका आदेश अवैध है.
कांग्रेस एमएलसी की गवर्नर को चेतावनी
कांग्रेस के एक स्थानीय एमएलसी इवान डिसूजा ने यहां तक चेतावनी दे दी कि अगर राज्यपाल अपना आदेश वापस नहीं लेते हैं तो उन्हें कर्नाटक से भागना पड़ेगा. मसलन, उन्होंने कहा कि आदेश वापस नहीं लिया जाता है तो गवर्नर का हाल बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना जैसा कर दिया जाएगा, जिन्हें विरोध-प्रदर्शन की वजह से अपना पद और देश छोड़ना पड़ा.
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कांग्रेस एमएलसी ने यह भी ऐलान किया कि अगली बार विरोध-प्रदर्शन के लिए वे गवर्नर हाउस जाएंगे. मसलन, ठीक वैसे ही जैसे बांग्लादेश में पीएम हाउस में प्रदर्शनकारियों के घुसपैठ के बाद वहां की पीएम को देश छोड़कर भागना पड़ा.