पहले हिजाब आया, फिर हलाल, उसके बाद अजान और अब दुकान... देश में एक बार फिर से हिंदू बनाम मुस्लिम की राजनीति तेज हो गई है. कर्नाटक में हिजाब से शुरू हुई सियासत दिल्ली में दुकान बंद कराने के मसले तक आ पहुंची. कर्नाटक में हिंदू संगठनों ने हलाल मीट न खरीदने की अपील की थी. वहीं, दिल्ली में नवरात्रि के दौरान मीट शॉप बंद करने को कह दिया गया है.
'नवरात्रि के दौरान बंद हो मीट शॉप'
दिल्ली में बीजेपी नवरात्रि के दौरान मीट शॉप बंद कराने की बात कर रही है. दक्षिण दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के मेयर ने नवरात्रि के समय मीट शॉप बंद रखने को कहा है.
दक्षिण दिल्ली नगर निगम के मेयर मुकेश सूर्यन ने कमिश्नर ज्ञानेश भारती को एक पत्र लिखकर कहा कि नवरात्रि के समय मीट की दुकानें खोलने की जरूरत नहीं है.
मुकेश सूर्यन ने अपनी चिट्ठी में ये भी लिखा कि नवरात्रि के दौरान दुर्गा पूजा के लिए जा रहे भक्त मीट शॉप से आ रही बदबू से प्रभावित होते हैं, जिससे उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेंस पहुंचती है. उन्होंने कहा कि 11 अप्रैल तक मीट शॉप को बंद रखने की अपील की.
उनके अलावा ईस्ट दिल्ली के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने भी मीट शॉप बंद रखने की अपील की. उन्होंने अपील करते हुए कहा कि नवरात्रि के समय मीट शॉप बंद रखनी चाहिए, इससे हमें खुशी मिलेगी. हालांकि, जब विवाद बढ़ा तो बाद में सफाई देते हुए अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने सिर्फ अपील की थी.
इस पर हैदराबाद से सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा कि मीट शॉप बंद रखने से जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई कौन करेगा? ओवैसी ने कहा कि न सिर्फ 99% बल्कि 100% के पास ये विकल्प है कि अगर वो मीट नहीं खरीदना चाहते तो न खरीदें.
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अजान के शोर पर महाराष्ट्र-कर्नाटक में बयानबाजी
अजान को लेकर विवाद की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने अजान को लेकर बयान दिया. उन्होंने धमकी दी कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद हो, नहीं तो मस्जिदों के बाहर तेज आवाज में हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा.
अजान और लाउडस्पीकर को लेकर विवाद महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रहा. इसकी आग कर्नाटक तक पहुंची. महाराष्ट्र के बाद कर्नाटक में अजान को लेकर भी विवाद शुरू हो गया. कुछ हिंदू संगठनों और बीजेपी नेताओं ने कहा कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद होना चाहिए, क्योंकि इससे आसपास रह रहे लोग डिस्टर्ब होते हैं.
इस पर जब मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अजान को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश है. हाईकोर्ट ने अजान के दौरान बजने वाले लाउडस्पीकर की डेसिबल लिमिट तय कर रखी है. उन्होंने कहा कि हमारा काम सबको भरोसे में रखना है. हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता एम. सिद्धारमैया ने कहा कि चुनाव के लिए बीजेपी सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रही है.
हिंदुओं से हलाल मीट न खरीदने की अपील
1 अप्रैल को कर्नाटक में 'होसातोड़ाकु' मनाया जाता है. इसका मतलब होता है नए साल की शुरुआत. पूरे भारत में 1 अप्रैल से हिंदुओं को नया साल शुरू होता है. बस इसके नाम बदल जाते हैं.
हुआ ये कि होसातोड़ाकु से पहले हिंदू संगठनों ने हिंदुओं से हलाल मीट न खरीदने की अपील की. इस पर सियासत तब शुरू हो गई, जब बीजेपी महासचिव सीटी रवि ने हलाल फूड को 'आर्थिक जेहाद' से जोड़ दिया. उन्होंने कहा कि इसका मतलब ऐसे जेहाद से है, जिसमें मुस्लिम दूसरों से कारोबार नहीं करना चाहते. सीटी रवि ने कहा कि जब मुस्लिम, हिंदुओं से मीट नहीं खरीदना चाहते तो फिर हिंदुओं को उनसे मीट खरीदने के लिए मजबूर क्यों किया जा रहा है.
इस पूरे विवाद में आग में घी डालने का काम सरकारी आदेश ने कर दिया. कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा कि शहर में जितने भी बूचड़खाने और मुर्गे की दुकानें हैं, वहां जानवरों को बिजली से करंट देने की व्यवस्था होनी चाहिए.
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कर्नाटक में हिजाब बनाम भगवा गमछा
अजान और हलाल से पहले कर्नाटक में दिसंबर के आखिर में हिजाब को लेकर विवाद शुरू हुआ. जनवरी में मामले ने तूल पकड़ लिया. छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लास में आने से रोक दिया गया. सरकार ने आदेश जारी कर दिया कि कोई भी छात्र किसी भी तरह का धार्मिक वस्त्र पहनकर स्कूल-कॉलेज नहीं आ सकता. सभी छात्र-छात्राओं को यूनिफॉर्म ही पहनकर आनी होगी.
हालांकि, मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर आने पर अड़ी रहीं. मामला इतना बढ़ा कि हिजाब बनाम भगवा की लड़ाई शुरू हो गई. हिजाब के जवाब में हिंदू छात्र-छात्राएं भगवा गमछा पहनकर स्कूल-कॉलेज आने लगे. विवाद इतना बढ़ा कि कई दिन तक शैक्षणिक संस्थानों को बंद करना पड़ा.
मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा. कई दिनों तक सुनवाई चली और फिर हाईकोर्ट ने क्लास में हिजाब पहनने पर रोक लगाने के सरकारी फैसले को सही ठहराया. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सभी को स्कूल-कॉलेज के यूनिफॉर्म कोड का पालन करना चाहिए. लेकिन हाईकोर्ट के फैसले से नाखुश मुस्लिम छात्राओं ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी.