कर्नाटक की एक बस में हंगामा हो गया. यहां बस ड्राइवर पर आरोप लगा है कि उसने स्कूल जा रही लड़कियों पर बुर्का पहनने का दबाव डाला. इतना ही नहीं उसने छात्राओं को बुर्के के बिना बस में चढ़ने नहीं दिया.
जानकारी के मुताबिक, ये छात्राएं कमलापुर तालुक के ओकली गांव से बस में चढ़ी थीं. इनको बसवकल्याण में अपने स्कूल जाना था.
चश्मदीदों के मुताबिक, बस ड्राइवर ने मुस्लिम छात्राओं से कहा कि वे बस में चढ़ने से पहले बुर्का पहन लें. ये भी दावा किया गया कि जिन लड़कियों ने हिजाब (स्कार्फ) पहना हुआ था उनको भी बस में चढ़ने नहीं दिया जा रहा था. ड्राइवर ने कहा कि मुस्लिम छात्राओं को वह बिना बुर्के के बस में नहीं चढ़ाएगा.
चश्मदीदों ने बताया कि ड्राइवर ने कहा था, 'अगर आप मुस्लिम हैं तो हिजाब नहीं, बुर्का पहनें. तब ही बस में चढ़ने दिया जाएगा.'
एक छात्रा जिसके सामने यह सब हुआ उसने बताया कि ड्राइवर ने सब छात्राओं से उनका धर्म पूछा था और फिर बुर्का पहनने को कहा. लेकिन जब छात्राओं ने ऐसा करने से इनकार किया तो ड्राइवर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने लगा और बस में चढ़ने नहीं दिया.
इतने हंगामे के बीच जब कुछ लोगों ने ड्राइवर से सवाल किए तो वह बात घुमाने लगा. उसने कहा कि बस खराब हो गई है और इसको लेकर छात्राएं हंगामा कर रही हैं. इस मामले पर बस ड्राइवर का बयान भी आया है. उसका कहना है कि मैंने छात्राओं से कहा कि बस खराब है, बावजूद इसके वो बस में बैठ गईं.
इस पूरी घटना पर राज्य के परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी का बयान भी आ गया है. वह बोले, 'ड्राइवर ने जो किया वह गलत है. क्या पहनना है वह लड़कियों पर निर्भर है. इस मामले में जल्द एक्शन लिया जाएगा.'
कर्नाटक पर हिजाब पर हुआ था विवाद
कर्नाटक में इससे पहले हिजाब पर भी लंबा विवाद चला था. पिछले साल वहां स्कूल यूनिफॉर्म पर बवाल हुआ था. वहां कुछ मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर क्लास में बैठना चाहती थीं. लेकिन स्कूल ने यूनिफॉर्म पॉलिसी का हवाला देते हुए उनको इसकी इजाजत नहीं दी.
इसके बाद मामले ने तूल पकड़ ली. दूसरे स्कूल-कॉलेजों में भी इस तरह की मांग उठने लगी. इसके खिलाफ हिंदू छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और वे केसरिया स्काफ पहनकर स्कूल आने लगे.
फिर कर्नाटक सरकार ने आदेश जारी किया कि क्लास में हिजाब पहनकर नहीं बैठा जा सकता. बावजूद इसके कुछ मुस्लिम लड़कियों ने आदेश का उल्लंघन किया और हिजाब पहना. इसके बाद मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंच गया. हाईकोर्ट ने भी किसी भी प्रकार की धार्मिक पोशाक पहनने पर रोक लगा दी. कोर्ट ने माना कि हिजाब इस्लाम में एक जरूरी धार्मिक प्रथा नहीं है.